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    Home»Jharkhand Top News»ऐसे में कैसे पढ़ेगा और बढ़ेगा झारखंड, 25 लाख बच्चे भूल रहे पढ़ाई
    Jharkhand Top News

    ऐसे में कैसे पढ़ेगा और बढ़ेगा झारखंड, 25 लाख बच्चे भूल रहे पढ़ाई

    sonu kumarBy sonu kumarJune 24, 2021No Comments3 Mins Read
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    सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले सौरभ का 2019 में पहली कक्षा में नामांकन हुआ। उसने वर्णमाला से लेकर ए,बी,सी,डी तक याद कर लिया। नाम भी लिखने लगा था। 2020 में वह दूसरी कक्षा में गया। इसके साथ ही कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गया। उसकी प्रभावित रही। 2021 में वह कक्षा तीन में पहुंच गया। किताब बांटने के दौरान जब उसके घर पहुंचे शिक्षक ने अपना नाम लिखने को कहा, तो उसे याद नहीं था। यहां तक कि वह ककहरा भी भूल चुका है। उसके पास स्मार्ट फोन नहीं है।
    बच्चों को स्मार्ट फोन देने पर हो विचार
    शिक्षक भी मानते हैं कि डिजिटल क्लास सरकारी स्कूल के बच्चों की वर्तमान स्थिति में संभव नहीं है। शिक्षक नेता चित्तरंजन कुमार कहते हैं कि अब सरकार को इस दिशा में भी विचार करना चाहिए। शिक्षकों के प्रयास के बावजूद बच्चों तक सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। उन तक मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा पहुंचा दी जाये, तो वे पढ़ाई कर सकेंगे। शिक्षक नेता नसीम अहमद कहते हैं कि अब समय डिजिटल का ही है। भले ही कोरोना खत्म हो जाये, लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म नहीं होगी। इस कारण सरकार को इस दिशा में विचार करना चाहिए।

    भले ही अब कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है, लेकिन दोनों लहरों ने कई सेगमेंट को अपनी चपेट में लिया है। सर्वाधिक क्षति सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को उठानी पड़ रही है। झारखंड में पहली से आठवीं तक के करीब 25 लाख बच्चे पढ़ाई तक भूल गये हैं। कई बच्चों को तो ककहरा तक याद नहीं है। इसका कारण इन बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं होना है।
    राज्य में पहली से आठवीं तक के करीब 35 हजार स्कूलों में करीब 35 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 10 फीसदी ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन तो है, लेकिन माता-पिता का रोजगार छिन जाने के कारण वे उसे रिचार्ज नहीं करा पा रहे हैं। नतीजतन सरकारी व्यवस्था के बावजूद बच्चों तक डिजिटल ज्ञान नहीं पहुंच रहा है। स्कूलों का पिछला सत्र कोरोना की भेंट चढ़ गया। इस सत्र में भी अब आॅफलाइन कक्षाएं शुरू नहीं हो पायी हैं। सरकार ने सारी व्यवस्था प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर कर तो दी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बच्चों तक शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंच रही है।
    यह परेशानी शिक्षकों को भी हो रही है। शिक्षकों के मुताबिक आॅनलाइन क्लास में महज 15 फीसदी बच्चे ही आ रहे हैं। दुर्गम इलाकों की स्थिति और खराब है। अब सवाल उठ रहा है कि ऐसे में झारखंड के नौनिहाल कैसे अन्य राज्यों के बच्चों के साथ कदमताल कर पायेंगे।

    25 lakh children are forgetting their studies how will Jharkhand study and grow In such a situation
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    sonu kumar

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