रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से दुर्गम इलाकों में झारखंड के प्रवासी श्रमिकों के शोषण को लेकर चिंता जताते हुए इस पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता बतायी है। उन्होंने कहा है कि इसे लेकर वह अन्य राज्यों के साथ आवश्यक चर्चा करेंगे। सीएम हेमंत सोरेन ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार की कई एजेंसियां विकास परियोजनाओं के लिए काम पर रखने के बाद श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि नियुक्ति निकाय और ठेकेदारों के बीच गठजोड़ इस तरह के अनुचित व्यवहार को संभव बनाता है। हेमंत सोरेन ने कहा कि श्रमिकों की दुर्दशा देख कर दुख होता है। श्रमिकों को उनके वैध बकाया से वंचित किया जाता है, जबकि उन्हें एनटीपीसी और बीआरओ जैसे संगठनों द्वारा ठेकेदारों या बिचौलियों के जरिये काम पर रखा जाता है। उनके अधिकारों की रक्षा के लिए नीतियां मौजूद हैं, लेकिन आमतौर पर उन्हें लागू नहीं किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाते रहे हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि कोविड संकट से निपटने के बाद उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के अलावा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासकों के साथ व्यक्तिगत तौर पर बैठक करेंगे। श्रमिकों के शोषण पर रोक के लिए एक मजबूत तंत्र बनाया जायेगा।

प्राकृतिक आपदाओं में कई श्रमिकों को खोया
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बादल फटने और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में श्रमिकों को खो दिया, ऐसे उदाहरणों के बावजूद प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए नीतियों को लागू नहीं किया जा रहा है। कहा कि उनकी सरकार ने अतीत में अपने अप्रिय अनुभवों के बावजूद लद्दाख में भारत-चीन के बीच गतिरोध के समय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए बीआरओ को श्रमिकों को रोजगार देने के लिए अपनी मंजूरी दी थी।

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