झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात 2500 सहायक पुलिस की नौकरी खतरे में है। इन सहायक पुलिस की सेवा अवधि समाप्त हो रही है। नया अनुबंध नहीं हुआ तो राज्य सरकार के द्वारा की गयी पूर्व की अनुबंध शर्त की वजह से अब ये सहायक पुलिस बेरोजगार हो जायेंगे। इनमें अधिकांश सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा इसी वर्ष पांच साल पूरी होनेवाली है। सेवा समाप्त होने के बाद झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था पर भी खासा असर पड़ेगा। नियुक्ति के समय गृह विभाग ने यह शर्त लगा दी थी कि अधिकतम पांच साल से अधिक इनकी सेवा नहीं ली जा सकती है। ऐसे में दुमका सहित कई जिलों से राज्य सरकार से दिशा-निर्देश की मांग की गयी है और कहा है कि उनके यहां नियुक्त अधिकांश सहायक पुलिस की सेवा समाप्त हो रही है। ऐसे में अब इनके लिए मार्गदर्शन दिया जाये।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार गृह विभाग ने 2016-17 को जारी अधिसूचना के अनुसार ही कार्रवाई करने को कहा है। इसका साफ मतलब है कि इन सहायक पुलिसकर्मियों को अब आगे एस्टेंशन नहीं दिया जायेगा। गृह विभाग की 2016-17 में जारी अधिसूचना सेवा शर्त के अनुरूप पांच वर्ष का कार्यकाल इस वर्ष पूरा हो रहा है। हालांकि, सरकार स्तर पर मामला विचाराधीन है। वहीं मामले को लेकर रांची रेंज के डीआइजी ने गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा और खूंटी एसपी को सेवा शर्त के अनुरूप कार्रवाई का निर्देश दिया है। रांची रेंज में तैनात सहायक पुलिसकर्मी का अनुबंध अगस्त से दिसंबर 2022 में पूर्ण होनेवाला है। ऐसे में डीआइजी ने निर्देश दिया है कि गृह विभाग की अधिसूचना संख्या 5120 दिनांक 28.09.2016 और अधिसूचना संख्या 1169 दिनांक 27.02.2017 में निहित प्रवाधानों और सेवा शर्त के अनुसार अग्रतर कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे।
दो साल के लिए नियुक्ति, डीआइजी के अनुमोदन पर मिला था सेवा विस्तार
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों से कुल 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की साल 2017 में नियुक्ति हुई थी। सरकार द्वारा 10 हजार का मानदेय तय किया गया था। गृह विभाग की अधिसूचना संख्या 1169 दिनांक 27.02.2017 की कंडिका 10(क) में अधिसूचना सेवा शर्त के अनुसार सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा दो वर्ष के लिए अनुबंध के आधार पर हुई थी। कार्य संतोषप्रद होने पर एसएसपी और एसपी की अनुशंसा के आधार पर एक-एक वर्ष के लिए अधिकतम तीन वर्षों के लिए संबंधित डीआइजी के अनुमोदन के उपरांत विस्तारित करने का प्रावधान था। गृह विभाग के पत्र में लिखा है कि किसी भी परिस्थिति में कुल अनुबंध सेवा अवधि पांच वर्ष से अधिक नहीं होगी।
सरकार स्तर पर मामला है विचाराधीन
12 नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा के आधार पर बहाल 2,500 सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर सितंबर 2021 में मोरहाबादी मैदान में आंदोलन पर थे। झारखंड की हेमंत सरकार से बात के बाद 37 दिनों से राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे झारखंड सहायक पुलिसकर्मियों ने आंदोलन समाप्त करने पर सहमति बनी थी। आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच वार्ता हुई। इस बातचीत में सरकार की ओर से आइजी मानवाधिकार अखिलेश झा, गृह विभाग के अपर सचिव अंजनी डोडे, रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, ग्रामीण एसपी नौशाद आलम और सिटी एसपी सौरभ मौजूद थे। एसएसपी कार्यालय में चली वार्ता में आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों की ओर से सौंपे गये मांग पत्र में शामिल बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिसमें सीधी स्थायी नियुक्ति की मांग को छोड़ कर अन्य आठ मांगों के समाधान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन पर सहमति बनी।
राजभवन मार्च के लिए पहुंचे सहायक पुलिसकर्मी पर भांजी गयी लाठी
सितंबर 2020 में स्थायी नौकरी की मांग पर रांची के मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन के लिए जुटे थे। इस दौरान सहायक पुलिसकर्मी राज भवन मार्च करने की तैयारी में थे। सहायक पुलिसकर्मियों को खदेड़ने के लिए 18 सितंबर, 2020 को पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। आंसू गैस के गोले भी दागे, इसमें कई सहायक पुलिसकर्मी घायल हो गये। उस समय मंत्री मिथिलेश ठाकुर के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त किया गया था।