Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, May 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»स्पेशल रिपोर्ट»रेलवे सुरक्षा के लिए सबक है बालासोर ट्रेन हादसा
    स्पेशल रिपोर्ट

    रेलवे सुरक्षा के लिए सबक है बालासोर ट्रेन हादसा

    adminBy adminJune 5, 2023No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    -दुरंतो और वंदे भारत के दौर में स्वीकार्य नहीं हो सकती इस तरह की दुर्घटना
    -अब आधारभूत संरचना को आधुनिक बनाने पर होना चाहिए चौतरफा जोर
    -इस तरह के हादसों से पूरी दुनिया में खराब होती है आगे बढ़ते भारत की छवि

    ओड़िशा में बालासोर के पास हुआ रेल हादसा और हताहतों का आंकड़ा किसी भी सभ्य समाज को स्तब्ध कर देनेवाला है। जैसा कि कहा जाता है कि दुर्घटनाएं अकस्मात ही घटती हैं और यह दुर्घटना भी अकस्मात ही घटी है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में शुमार भारतीय रेल द्वारा हमेशा ‘सावधानी हटी दुर्घटना घटी’ जैसे सूत्र वाक्य पर ध्यान रखने के बावजूद इतनी बड़ी दुर्घटना पूरी व्यवस्था पर सवाल तो खड़े करती ही है। बालासोर के पास हुआ हादसा चाहे लंटरलॉकिंग बदलने से हुआ हो या मानवीय भूल के कारण, एक बात तो साफ है कि भारतीय रेल की सुरक्षा प्रणाली अब भी उस स्तर तक नहीं हुई है, जैसी होनी चाहिए। यह बात मानने में कोई बुराई नहीं है कि दुरंतो और वंदे भारत जैसी सुपर फास्ट ट्रेनों के इस दौर में आधारभूत संरचनाओं के आधुनिकीकरण पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, नहीं दिया गया। दशकों पुरानी रेल पटरियां, बोगियां और सिग्नल प्रणाली के अलावा पूरी प्रणाली में मानवीय हस्तक्षेप की अधिकता भारतीय रेल की कमजोरी है और यही कमजोरी इतने भयावह हादसे का कारण बनी है। इसलिए अब रेलवे के आधारभूत ढांचे को आधुनिक तकनीकों से लैस कर इसे निरापद बनाने पर सबसे अधिक ध्यान देना जरूरी हो गया है। बालासोर हादसे से भारतीय रेल को यह बड़ी सीख लेनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के हादसों से आगे बढ़ते देश की छवि दुनिया भर में खराब होती है। इसके अलावा इस रेल हादसे ने भारतीय रेल के लिए कई सबक छोड़े हैं, जिनके बारे में बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    ओड़िशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को तीन ट्रेनों के टकराने से हुआ हादसा बेहद भयानक है। तीन ट्रेनों के टकराने की घटना तो दुर्लभ है ही, हाल के वर्षों में भारत में रेल हादसे में हताहतों का आंकड़ा भी इतना नहीं रहा। दरअसल शुक्रवार की शाम करीब साढ़े छह बजे हावड़ा से चेन्नई जा रही शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर के पास बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन से कुछ पहले बेपटरी हो गयी। इसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि इसका इंजन आउटर पर एक मालगाड़ी पर चढ़ गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस के पीछे वाले डिब्बे तीसरे ट्रैक पर गिरे, जिनसे उस पर तेजी से आ रही बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे टकरा कर पटरी से उतर गये। टक्कर इतनी भीषण थी कि रेल ट्रैक पर कई किलोमीटर तक पटरी गायब हो गयी और टूट कर दूर जा गिरी। कुछ डिब्बों से पहिये अलग हो चुके थे, तो कई डब्बे पिचक गये थे।
    रेल मंत्री अश्विन वैष्णव ने सुरक्षा आयुक्त की जांच के आधार पर यह स्पष्ट किया है कि यह हादसा इंटरलॉकिंग में परिवर्तन करने से हुआ। इससे पहले हादसा का कारण सिग्नल का फेल होना बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को पहले ग्रीन सिग्नल दिया गया था, फिर सिग्नल अचानक लाल हो गया था। लेकिन तब तक एक्सप्रेस ट्रेन लूप लाइन में प्रवेश कर मालगाड़ी को टक्कर मार कर बेपटरी हो चुकी थी। उसी समय डाउन लाइन पर सुपरफास्ट ट्रेन आ चुकी थी, जिसके दो डिब्बे कोरोमंडल के डिब्बों से टकरा कर पटरी से उतर गये।
    हादसे के बाद से ही राहत और बचाव का कार्य जारी है और अनेक ट्रेनों को निरस्त करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेन दुर्घटना से संबंधित उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जबकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटना की जांच के आदेश दिये हैं। हादसा इतना भीषण है कि विदेशी राष्ट्र प्रमुखों ने इस पर अपनी संवेदनाएं जतायी हैं। राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ की टीमें उतरी हैं, अतिरिक्त बसों और ट्रेन कोचों का इंतजाम करने के अलावा वायुसेना ने हेलीकॉप्टर भी तैनात किये हैं।
    यह सभी जानते हैं कि भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में शुमार है। इसे दुनिया का आठवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है। करीब 170 साल पुराना यह संगठन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरव का प्रतीक है। करीब 18 लाख कर्मियों की मदद से 70 हजार किलोमीटर लंबी रेल पटरियों पर 14 हजार के करीब ट्रेनों के जरिये रोजाना करीब ढाई करोड़ यात्रियों और 33 लाख टन माल ढोनेवाली भारतीय रेल का यह दुर्भाग्य ही है कि सुरक्षा मानकों में इसे अब तक विश्व स्तर पर वह स्थान नहीं मिल सका है, जो इसे मिलना चाहिए था।
    ऐसे में बालासोर ट्रेन हादसे से एक गंभीर सवाल तो पैदा होता ही है कि आखिर इतने बड़े नेटवर्क की सुरक्षा प्रणाली आज भी विश्व स्तरीय क्यों नहीं है। इसका कारण यह है कि चूंकि भारत में रेल दुर्घटनाएं कम होती हैं और उनमें भी इतनी मौतें नहीं होती हैं, इसलिए समझा जाता है कि सुरक्षा प्रणाली में कोई खामी नहीं है। केवल ‘सावधनी हटी दुर्घटना घटी’ जैसे नारों से ही मानवीय भूलों से बचा जा सकता है। ऐसे में बालासोर हादसा और हताहतों का आंकड़ा स्तब्ध कर देनेवाला है। लेकिन इसे भी समझना होगा कि यह दुर्घटना अकस्मात घटी है। दरअसल, कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर के पास इतना समय ही नहीं था कि वह ट्रेन रोक सके। जिस रफ्तार से वह गाड़ी दौड़ रही थी, उसमें ड्राइवर की दृश्यता दो किलोमीटर की दूरी तक थी। ऐसे में गाड़ी रोकने के लिए उसके पास एक मिनट का समय भी नहीं था। अगर ड्राइवर ने ब्रेक लगाया होगा, तो गाड़ी नहीं भी रुकी हो सकती है। एक्सप्रेस ट्रेन के ड्राइवर बेहद अनुभवी होते हैं और सतर्क रहते हैं। लेकिन उन्हें गाड़ी रोकने के लिए समय तो मिलना चाहिए। अगर आपके पास बेहद शानदार कार हो, लेकिन बेहद तेज गति में चलते हुए उसके सामने अगर दूसरी कार आ जाये, तो दुर्घटना शायद ही टाली जा सकती है। ओड़िशा के बालासोर में हुआ रेल हादसा कुछ इसी तरह का है।
    लेकिन इस हकीकत के बावजूद यह मानना होगा कि इतनी मौतें नहीं होनी चाहिए थीं। हर व्यवस्था यही चाहती है कि किसी भी दुर्घटना में एक भी मौत न हो। इस बात में कोई संदेह नहीं कि भारतीय रेल के पास दुनिया के उन्नत रेलवे कोच हैं और अद्यतन तकनीक भी है। जहां तक हादसे के बाद राहत प्रबंधन की बात है, तो भारतीय रेल के पास सौ-डेढ़ सौ साल पुरानी और बेहद चाक-चौबंद व्यवस्था है। वैसे भी हमारे पास रेल सुरक्षा की मजबूत प्रणाली है, जिसके तहत कर्मचारियों की टीम, जिनकी अलग-अलग बीट होती है, रेल पटरियों की लगातार सघन जांच करती है। इसके अलावा मॉक ड्रिल भी लगातार होती है, जिससे कि अगर कहीं दुर्घटना हो, तो तत्काल वहां तक पहुंचा जा सके और प्रभावितों के लिए चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करायी जा सकी। वैसी स्थिति में तमाम कर्मचारियों को अपनी भूमिका के बारे में पता रहता है और रेलवे नेटवर्क के भीतर डॉक्टरों और अस्पतालों की सूची रहती है।
    इसलिए ओड़िशा में हुई ट्रेन दुर्घटना भीषण होते हुए भी राहत प्रबंधन के मामले में निश्चिंत रहना चाहिए कि प्रभावितों के लिए राहत और उनकी चिकित्सा की पूरी व्यवस्था होगी। रेल दुर्घटना के ऐसे मामलों में राहत कार्य कई बार बहुत आसान नहीं होता, क्योंकि ट्रैक के दोनों ओर गांव होते हैं। लेकिन अनेक बार ऐसे हादसों में प्रभावितों को ग्रामीणों की मदद ही सबसे पहले मिलती है, जैसे कि इस भीषण हादसे में भी देखा गया, जब गांववाले मदद के लिए सबसे पहले आये।
    कहा यह जा रहा है कि जहां दुर्घटना हुई, उस रूट पर टक्कर-रोधी उपकरण या कवच नहीं लगा है। सच्चाई जो भी हो, लेकिन यह भी वास्तविकता है कि इस हादसे के बाद रेलवे सुरक्षा अब सरकार की प्राथमिकता में भी होगी। याद रखना चाहिए कि रेलवे सुरक्षा के लिए वर्ष 2012 में अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी थी। उस कमेटी ने जो सिफारिशें की थीं, उनमें रेल सुरक्षा के लिए पांच वर्षों की अवधि में एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करने और रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण का गठन करने की बात कही गयी थी। उस कमेटी की सिफारिशें अभी तक लागू नहीं की गयी हैं। लेकिन यह उम्मीद करनी चाहिए कि रेल परिवहन को आधुनिक बनाने के प्रयास में लगी केंद्र सरकार ऐसी पहल जरूर करेगी, जिससे देश का पूरा रेल नेटवर्क कवच के दायरे में आ सके।
    इसके अलावा बालासोर हादसे ने एक बड़ी सीख यह दी है कि अब आधारभूत संरचनाओं के आधुनिकीकरण के बिना विस्तारीकरण पर दोबारा विचार करना होगा। भारतीय रेलवे की दशकों पुरानी आधारभूत संरचनाएं, मसलन पटरियां और सिगनल प्रणाली दुरंतो और वंदे भारत जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों की तकनीक के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ साबित हो रही हैं। इतना ही नहीं, इस तरह के हादसों से देश की छवि को नुकसान भी पहुंचता है। इसलिए अब पूरा ध्यान सुरक्षा और संरक्षा प्रणाली पर दिये जाने का समय आ गया है। बालासोर हादसे में जान गंवानेवाले रेल यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे की तरफ से यह सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। रेलवे को यह ध्यान देना होगा कि तकनीकी के इस युग में इस तरह के रेल हादसे अब लोगों को स्वीकार्य नहीं होंगे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleयूक्रेनी लड़ाके रूस की सीमा तक पहुंचे, रूसी सेना ने गोले दागकर खदेड़ा
    Next Article भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति के लिए पांच साल पहले शुरू किया काम: प्रधानमंत्री
    admin

      Related Posts

      भारत ने मात्र डिफेंसिव मोड में ही चीनी हथियारों की पोल खोल दी, फुस्स हुए सारे हथियार

      May 18, 2025

      तुर्किये! गलती कर दी, ऑपरेशन दोस्त के बदले खंजर चला दिया

      May 17, 2025

      बलूचिस्तान इज नॉट पाकिस्तान, अलग हुआ तो पाकिस्तान बनेगा कंगालिस्तान

      May 16, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद, भारत में कई आतंकी हमलों का था मास्टर माइंड
      • भारत-पाक संघर्ष के समय आइएसआइ के संपर्क में थी ज्योति मल्होत्रा
      • मोरहाबादी स्टेज को ध्वस्त करने का कारण बताये राज्य सरकार : प्रतुल शाहदेव
      • मंईयां सम्मान योजना महज दिखावा : सुदेश
      • JSCA के नए अध्यक्ष बने अजय नाथ शाहदेव, सौरभ तिवारी सचिव चुने गए
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version