– नियामक आयोग में कहा, उपभोक्ताओं का निकल रहा सरप्लस, बिजली दर में कमी उनका अधिकार
लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने अब बिजली दर कम करने के लिए लोक महत्व की याचिका विद्युत नियामक आयोग में दाखिल कर दी है। इसके साथ ही लामबंदी में भी जुट गया है, जिससे बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया।

2022-23 में उपभोक्ताओं का टैरिफ आदेश में 7988 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर निकले सरप्लस को उपभोक्ता परिषद ने आधार बनाया है। इसमें 10 प्रतिशत उपभोक्ताओं को रिबेट दिये जाने के संबंध में विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के निदेशक से दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने मंगलवार को नियामक आयोग के चेयरमैन आर. पी. सिंह से मुलाकात की। इसमें उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि जिस प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल 33121 करोड सरप्लस निकल रहा है, उस प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली दरों में कमी उनका संवैधानिक अधिकार है।

प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे सर प्लस के एवज में उपभोक्ताओं को नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर 10 प्रतिशत रिबेट देने की एक बार फिर मांग उठाई। आयोग के निर्देश पर विद्युत नियामक आयोग के सचिव की तरफ से पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य व मुख्य अभियंता रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट से उपभोक्ता परिषद की रिबेट संबंधी याचिका पर विस्तृत आख्या दो सप्ताह में आयोग ने तलब की है। यह कहना बिल्कुल उचित होगा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा रिपोर्ट तलब किए जाने की बाद बिजली दरों में कमी किए जाने के संबंध में एक बार पुनः कार्यवाही शुरू हो गई है। कार्यवाही की भनक लगते ही प्रदेश की बिजली कंपनियों में हडकंप मच गया है, क्योंकि पिछले चार वर्षों से बिजली दरों में बढोतरी कराने में नाकामयाब साबित हो रही है। प्रदेश की बिजली कंपनियां और उपभोक्ता परिषद लगातार जीत हासिल कर रहा है। ऐसे में उन्हें फिर दरों में कमी का भी डर सताने लगा है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब वर्ष 2023-24 की टैरिफ 25 अप्रैल को जारी की गई तो उसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2023-24 की टैरिफ आदेश में भी लगभग 7988 करोड़ सरप्लस निकल आया, जिस को आधार बनाकर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्त्व याचिका दाखिल की।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि यहां कुल सरप्लस की बात की जाय तो 33121 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहा है। ऐसे में बिजली दरों में कमी किया जाना प्रदेश के उपभोक्ताओं का संवैधानिक अधिकार है।

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