जयपुर। भारत इस दशक के आखिर तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और वर्ष 2047 तक पहले नंबर की अर्थव्यवस्था होगा। यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को जयपुर के एमएनआईटी संस्थान में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर शिक्षाविद संवाद बैठक में मुख्य अतिथि के तौर पर कही।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने देश की मौजूदा स्थितियों की जमकर तारीफ़ की। साथ ही देश की तरक्की और उपलब्धियों पर सवाल उठाने वालों पर भी तंज कसते हुए उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन दिल्ली से जो पैसा आता है, उसमें कोई एक प्रतिशत की भी कैंची नहीं मार सकता। पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाता है, कोई बिचौलिया नहीं, कोई दलाल नहीं।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा, खेल और उद्यमिता के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों से बातचीत करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण और इसे विश्व शक्ति बनाने में युवाओं की बड़ी भूमिका है। उन्होंने स्वयं की मिसाल देते हुए कहा कि वे एजुकेशन के ही प्रोडक्ट हैं। अगर उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिलती, तो वे यहां नहीं होते। वे बचपन में टॉपर स्टूडेंट रहे।
उपराष्ट्रपति ने देश की मौजूदा स्थिति की दिल खोलकर सराहना की। उन्होंने कहा कि आज भारत उतना उभरा है, जितना पहले कभी नहीं उभरा। पहले हम विश्व इकोनामी में दसवें नंबर पर थे, आज हम पांचवें नंबर पर हैं। हालांकि, कुछ लोगों को भारत की तरक्की हजम नहीं होती है। कुछ लोग कहते हैं कि भारत जीवंत लोकतंत्र नहीं। कुछ भारत से बाहर जाकर ऐसी बात करते हैं, जो उचित नहीं कही जा सकती। यह पीड़ा का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि उन्हें कानून का नोटिस क्यों मिल गया और उनके लोग सड़कों पर आ जाते हैं। क्या यह उचित कहा जा सकता है, क्या वे यह सोचते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं। कुछ लोग बेतुकी बातें कहते हैं कि भारत में जीवंत लोकतंत्र नहीं है। मुझे पीड़ा होती है। देश के बाहर जाकर ऐसा कहना, भारत के राष्ट्रवाद के साथ बदसलूकी है, आपके भविष्य के साथ बदसलूकी है, हमारे विकास पर अंकुश लगाने का कु-प्रयास है।
इससे पूर्व, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और डॉ. सुदेश धनखड़ ने एमएनआईटी जयपुर में पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और परिसर में मौलश्री का पौधा लगाया।