विशेष
अन्नपूर्णा देवी: महिला सशक्तीकरण का बड़ा चेहरा
बेहद संघर्षपूर्ण रहा है साधारण गृहिणी से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
पति को खोया, लेकिन देश-समाज को अच्छी तरह संजोया
ढिंढोरा नहीं पीटतीं, काम करने में भरोसा
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
2024 के चुनाव में झारखंड में सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करनेवाली अन्नपूर्णा देवी को जीत की गारंटी कहा जाये, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए। एक तरफ 2024 के लोकसभा चुनाव की मतगणना के दिन जहां झारखंड के भाजपा प्रत्याशी कई सीटों पर कड़े मुकाबले में फंसे थे, वहीं अन्नपूर्णा देवी की जीत का मार्जिन रॉकेट स्पीड से बढ़ता जा रहा था। अन्नपूर्णा देवी लगातार दूसरी बार कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनीं और मोदी 3.0 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी उन्हें दी गयी है। पिछली सरकार में भी वह शिक्षा राज्यमंत्री थीं। उस दौरान उनके द्वारा किये गये कामों की खूब सराहना भी हुई। शिक्षा और बच्चों के कौशल विकास के मामले में अन्नपूर्णा देवी ने बढ़-चढ़ कर काम किया। अन्नपूर्णा देवी बोलती कम हैं, लेकिन उनका काम जरूर बोलता है। वह अपने द्वारा किये गये कामों का ढोल नहीं पीटती हैं। उनका मानना है कि अगर काम हुआ है, तो जमीन पर जरूर दिखेगा, ढोल पीटने की क्या जरूरत। क्षेत्र में उनकी पहचान उनके द्वारा किये गये विकास कार्यों को लेकर है। ऐसे ही अन्नपूर्णा देवी रिकॉर्ड मतों से विजयी नहीं होती हैं। उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र, बल्कि हर उस जरूरतमंद की मदद की है, जो उनके पास पहुंचा है। चुनाव में जातीय समीकरण एक हद तक काम करता है, लेकिन विकास कार्य ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे जनता आपको दिल खोल कर वोट देती है। जैसे ही कैबिनेट मंत्री के रूप में अन्नपूर्णा देवी ने मंगलवार को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला, उनकी पहली टिप्पणी थी, सेवा यात्रा का एक निर्णायक मोड़, एक नयी शुरूआत। इसका मतलब यह है कि अन्नपूर्णा देवी ने नया लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। पीएम मोदी ने उन्हें टास्क दे दिया है। अन्नपूर्णा देवी बहुत ही साधारण महिला हैं। उनका विजन क्लीयर है। उनमेंं संस्कार कूट-कूट कर भरा है। वह तपे-तुले शब्द ही बोलती हैं। वह आक्रामक राजनीति में विश्वास नहीं रखतीं। शालीन रह कर भी विरोधियों को कैसे घेरा जा सकता है, यह अन्नपूर्णा देवी से सीखा जा सकता है। विवादों से उनका दूर-दूर तक नाता नहीं है। वह रिजल्ट ओरिएंटेड काम करती हैं। मुद्दों को समझती हैं। जमीनी सच्चाई से अवगत रहती हैं। कैसे एक गृहिणी से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया अन्नपूर्णा देवी ने, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
गृहिणी थीं अन्नपूर्णा और पति विधायक
अन्नपूर्णा देवी संताल की बेटी हैं और कोडरमा की बहू। उनका जन्म 2 फरवरी 1970 को दुमका जिले के आजमेरी गांव में हुआ। एक कृषक परिवार में जन्मी अन्नपूर्णा देवी की प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई। शिक्षा के प्रति अन्नपूर्णा देवी का बचपन से ही लगाव रहा। यही कारण था कि वो माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपने गांव से पांच किलोमीटर दूर स्थित स्कूल जाया करती थीं। दुमका से ही मैट्रिक करने के बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने पटना से की। बाद में रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास में उन्होंने एमए किया। अन्नपूर्णा देवी की शादी 1993 में उस समय के बिहार के कद्दावर आरजेडी नेता और पूर्व मंत्री रमेश प्रसाद यादव से हुई। रमेश यादव गरीबों और पिछडों के नेता थे। रमेश यादव का बचपन गरीबी और मुफलिसी में बीता था। इलाके में पिछड़ों और दलितों पर होनेवाले शोषण, अन्याय और माइका मजदूरों के हक को लेकर उन्होंने संघर्ष किया था। कोडरमा से दो बार वह विधायक भी बने। रमेश यादव को वर्ष 1996 में बिहार के राबड़ी देवी मंत्रिमंडल में खान एवं भूतत्व राज्यमंत्री बनाया गया। उस समय तक अन्नपूर्णा देवी एक गृहिणी के तौर पर खुश थीं। पति राजनीति में थे और अच्छा कर रहे थे। लेकिन अन्नपूर्णा देवी उनके जीवित रहते तक सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहीं।
1998 की वह काली रात
रमेश यादव और अन्नपूर्णा देवी का दांपत्य जीवन सुखमय बीत रहा था। अन्नपूर्णा देवी पूरी तरह से अपने बच्चों के लालन-पालन में व्यस्त थीं। इसी बीच समय का कालचक्र ऐसा चला कि सब कुछ देखते ही देखते खत्म हो गया। वह 14 अगस्त 1998 की काली रात थी, जब जब रमेश यादव अन्नपूर्णा देवी का साथ छोड़ कर दुनिया से चले गये। रमेश यादव का असामयिक निधन हो गया। तब उनकी शादी के मात्र पांच साल ही हुए थे। इस बात की सहज कल्पना की जा सकती है कि ऐसे मनहूस समय में एक स्त्री पर क्या बीतती है। रमेश यादव के असामयिक निधन से अन्नपूर्णा देवी पूरी तरह से टूट गयी थीं। उनके सामने तीन बच्चों के लालन-पालन की चुनौती भी थी। इसके अलावा उनके सामने घर-परिवार के साथ-साथ रमेश यादव के उन अधूरे कामों को आगे बढ़ाने की चुनौती थी, जो वह छोड़ गये थे यानी उनकी विरासत को संभालने की चुनौती। इस कार्य को आगे बढ़ाने की जरूरत इसलिए थी कि रमेश यादव सामाजिक बदलाव की लड़ाई लड़ रहे थे। कोडरमा ही नहीं, झारखंड के कई जिलों का मजदूर वर्ग रमेश यादव के असमय निधन से स्तब्ध था। कोडरमा की जनता भी निराश और हताश थी, क्योंकि गरीबों, शोषितों, वंचितों के बीच रमेश यादव की छवि एक मसीहा के रूप में थी।
अन्नपूर्णा देवी की राजनीति में एंट्री
कोडरमा की जनता और मजदूर वर्ग के लोग लगातार उनके आवास पर संवेदना जताने आ रहे थे। इस दौरान वे यह भी कह रहे थे कि अब उनकी लड़ाई कौन लड़ेगा। अन्नपूर्णा देवी ने भी उनके दर्द को समझा। उन्हें समझ में आ गया कि अपने पति को अगर लोगों के बीच में जिंदा रखना है, तो उन्हें अब राजनीति में आना ही होगा। फिर क्या था! वर्ष 1998 में अन्नपूर्णा देवी ने घर की दहलीज से बाहर निकल कर राजनीति में कदम रखा। रमेश यादव के निधन के कारण 1998 में कोडरमा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। इसके बाद वह बिहार सरकार में खान मंत्री भी बनीं। 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां भाजपा की सरकार बनी। अन्नपूर्णा देवी सत्ता से अलग होकर केवल विधायक रह गयीं। इसके बाद उन्होंने 2005 और 2009 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में वह जल संसाधन मंत्री भी बनीं। छोटे कार्यकाल में उन्होंने अपने काम की बदौलत सुर्खियां भी बटोरीं।
2014 में पहली बार देखा हार का मुंह, फिर बनाया रिकॉर्ड
2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार का एक महत्वपूर्ण कारण राजद आलाकमान द्वारा झारखंड पर ध्यान नहीं देना भी रहा। लेकिन दूसरे दलों के नेताओं को भी यह पता था कि अन्नपर्णा देवी की आम लोगों के बीच पैठ कितनी गहरी है। यही कारण रहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने अन्नपूर्णा देवी से संपर्क किया। दिल्ली से बड़े नेता झारखंड आये और उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए उन्हें समझाया। अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा ज्वाइन कर ली। बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें कोडरमा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। उन्हें भाजपा के सीटिंग सांसद प्रो रवींद्र राय का टिकट काट कर प्रत्याशी बनाया गया था। उनके सामने थे झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और उस समय जेवीएम के उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी। अन्नपूर्णा देवी ने बाबूलाल मरांडी को साढ़े चार लाख से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया। उस चुनाव में अन्नपूर्णा देवी को 7,53,016 वोट मिले, जबकि बाबूलाल मरांडी को 2,97,416 वोट मिले थे। इस तरह से अन्नपूर्णा देवी ने बड़ी जीत हासिल कर रिकॉर्ड स्थापित कर दिया। इसी कारण बीजेपी ने उन्हें संगठन में एक बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया और नेतृत्व ने हरियाणा बीजेपी की सह प्रभारी का भी दायित्व सौंपा। अन्नपूर्णा देवी को भाजपा में शामिल कराने के पीछे बीजेपी का मकसद झारखंड-बिहार में यादव मतदाताओं को पार्टी से जोड़ना था। झारखंड में एक हद तक बीजेपी इसमें सफल भी रही और बिहार में भी पार्टी ने उनकी योग्यता का बखूबी इस्तेमाल किया। उसके बाद मोदी 2.0 में उन्हें शिक्षा राज्यमंत्री के पद से नवाजा गया। इस दौरान उनके द्वारा किये गये कार्यों की खूब चर्चा हुई।
फिर आया वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव। अन्नपूर्णा देवी को भाजपा ने फिर से टिकट दिया। चुनाव प्रचार के दौरान कई मीडिया संस्थान अन्नपूर्णा देवी के सामने भाकपा-माले के विनोद सिंह को मजबूत बता रहे थे। अन्नपूर्णा देवी हार रही हैं, यहां तक चर्चा हो रही थी। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और थी। जैसा कि सभी जानते हैं कि अन्नपूर्णा देवी ज्यादा नहीं बोलती हैं, उनका काम बोलता है, तो इस चुनाव में भी यही देखने को मिला। काउंटिंग के समय जहां एक तरफ कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशी लड़खड़ा रहे थे, वहीं अन्नपूर्णा देवी की जीत का मार्जिन जो एक बार बढ़ा, वह रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसके बाद तो भाकपा-माले के विनोद सिंह कहां पीछे छूट गये, कोई अता-पता नहीं चला। इस चुनाव में अन्नपूर्णा देवी ने कोडरमा की पांचों विधानसभा में लीड किया। यहां तक कि विनोद सिंह, जिस बगोदर सीट से विधायक हैं, वे वहां भी हार गये। यहां यह बताना प्रासंगिक है कि जिस गांडेय विधानसभा सीट से उप चुनाव में हेमंत सोरेन की पत्नी और इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी कल्पना सोरेन ने शानदार जीत दर्ज की, लोकसभा चुनाव में उस सीट से भी अन्नपूर्णा देवी को लीड मिली। अन्नपूर्णा देवी ने भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह को 3.77 लाख वोटों के अंतर से हरा कर अपनी सीट बरकरार रखी। दूसरी बार वह अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सकीं, लेकिन उसके नजदीक जरूर पहुंचीं। फिर भी वह झारखंड में जीतनेवाले भाजपा उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट से जीतीं।
केंद्र में मिली बड़ी जिम्मेदारी
इस बार अन्नपूर्णा देवी को मोदी 3.0 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है। 55 वर्षीय अन्नपूर्णा देवी नयी मंत्रिपरिषद में सात महिलाओं में से एक हैं और निर्मला सीतारमण के अलावा दो महिला कैबिनेट मंत्रियों में से एक हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्नपूर्णा देवी पर इतना विश्वास जताया है, तो निश्चित रूप से इसके पीछे उनकी कार्यक्षमता ही है। पिछले कार्यकाल को देखते हुए जनता को उम्मीद है कि अन्नपूर्णा देवी इस विभाग में भी जबरदस्त काम करेंगी।
एक सांसद के रूप में अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में कई बहसों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उस दौरान उन्होंने यह बात जोरदार तरीके से रखी कि सरकार ने जिन बच्चों को रेस्क्यू किया है, उनके बचपन को बचाने के लिए उनके कौशल विकास पर काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने अपनी जिंदगी संवार सकें और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर सकें। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी का मानना है कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने महिला सशक्तीकरण और बचपन के संरक्षण-संवर्द्धन में अभूतपूर्व कार्य किया है। उनका प्रयास होगा कि प्रधानमंत्री की आकांक्षा के अनुरूप देश महिला विकास के स्थान पर वीमेन लेड डेवलेपमेंट की उपलब्धि प्राप्त करे।
सांसद के रूप में कई विकास कार्यों की सिफारिश की
अन्नपूर्णा देवी के बारे में एक बात प्रचलित है कि वह जनता का काम करने में कभी पीछे नहीं हटती हैं। यहां तक कि दिन-रात का फर्क भी नहीं करती हैं। एक सांसद के रूप में उन्होंने 2019-2024 के कार्यकाल में सांसद फंड का भरपूर इस्तेमाल किया। कोडरमा संसदीय क्षेत्र में उन्होंने कुल 450 विकास योजनाओं को मंजूरी दी, जिनमें से 181 पूरी हो चुकी हैं, जबकि शेष 269 पर काम लगातार चल रहा है। कोडरमा के ग्रामीण इलाकों में पुस्तकालयों का जाल बिछाने में अन्नपूर्णा देवी का योगदान उल्लेखनीय रहा है। विधायक और सांसद के रूप में उन्होंने कई ऐसे काम किये हैं, जिन्हें लोग आज भी शिद्दत से याद करते हैं। झुमरी तिलैया के लोग बताते हैं कि यहां का कोई भी व्यक्ति यदि अन्नपूर्णा देवी के पास जाता है, तो उसे निराश होकर नहीं लौटना पड़ता है। इलाज से लेकर बच्चों की पढ़ाई और शादी-विवाह से लेकर घर बनाने तक के लिए लोग अन्नपूर्णा देवी से बेझिझक मदद मांगते हैं। अन्नपूर्णा देवी कहती हैं कि उन्हें लोगों की मदद कर संतुष्टि मिलती है। वह मदद इसलिए कर पाती हैं कि उन्हें ऊपरवाले ने इतनी क्षमता दी है। यह सब लोगों के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है।
सादा जीवन उच्च विचार
सितंबर 2021 में इस संवाददाता को अन्नपूर्णा देवी के दिल्ली आवास पर जाने का मौका मिला। मकसद था इंटरव्यू लेना। जब मैं उनके घर गया, तो हॉल में ही आॅफिस जैसा माहौल था। कुछ लोग काम कर रहे थे। मैंने कहा, अन्नपूर्णा देवी जी से बात हुई है, जरा सूचना दे दीजिए कि आजाद सिपाही से राकेश सिंह आये हैं। मैं बैठा और कुछ मैगजीन पढ़ने लगा। तभी अचानक अन्नपूर्णा देवी आयीं। बहुत ही साधारण सी लाइट कलर की साड़ी उन्होंने पहनी थी। उन्होंने आते ही पूछा कि आपने चाय पी। उसके बाद चाय आयी। मैंने कहा कि क्षमा चाहता हूं, मुझे जरा देर हो गयी, दिल्ली की ट्रैफिक में फंस गया था। भला दिल्ली की ट्रैफिक से कौन जीत सका है। चाय आयी और चाय पीते-पीते ही मैंने कई सवाल उनसे किये। चूंकि उन्हें कहीं जाना था और मैं खुद ही लेट पहुंचा था, फिर भी जिस सादगी से अन्नपूर्णा देवी ने मेरे सवालों का जवाब दिया, लगा ही नहीं कि मैं किसी केंद्रीय राज्यमंत्री से बात कर रहा हूं। अन्नपूर्णा देवी जरा धीरे बोलती हैं, लेकिन सटीक बोलती हैं। नयी शिक्षा नीति को लेकर हमने चर्चा की। उसके बाद वह उसी साधारण सी साड़ी में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकल गयीं। मैं भी वहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर से इंटरव्यू लेने निकल पड़ा। बातचीत के बाद बड़ा अच्छा लगा कि कितनी सिंपल महिला हैं। कोई मंत्री का घमंड नहीं। बड़ा अपनापन सा लगा। अन्नपूर्णा देवी साफ-सुथरी छवि की नेता हैं। हमेशा विवादों से दूर रहती हैं। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के मन में उनके प्रति अलग सम्मान है।
पद ग्रहण करते ही लक्ष्य साफ
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पद ग्रहण करते ही कहा कि विकसित भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और सुपोषित-सक्षम-समर्थ महिलाएं और बच्चे ही इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में सहायक होंगे। मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि अपने मंत्रिपरिषद में शामिल करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने सुपोषित विकसित भारत के निर्माण का दायित्व मुझे सौंपा है। अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विगत 10 साल देश की आधी आबादी और नौनिहालों के सशक्तीकरण के रहे हैं। मोदी ने वूमेन डेवलपमेंट की जगह वूमेन लेड डेवलपमेंट का मंत्र दिया है और इसी मंत्र को उत्प्रेरक बना कर महिला एवं बाल विकास की संपूर्ण कार्ययोजना होगी। नारी शक्ति को आत्मनिर्भर और सक्षम बना कर उन्हें नेतृत्वकारी भूमिका में लाने के प्रयासों के तहत ही लखपति दीदियां तैयार हो रही हैं और इसकी निरंतरता में कोई बाधा न आये, इसके लिए मैं सदैव सचेष्ट रहूंगी। अन्नपूर्णा देवी का केंद्रीय मंत्री बनना झारखंड के लिए भी बड़ी बात है। झारखंड की महिलाओं का सम्मान है।