विशेष
झारखंड के वोटरों ने सभी दलों को पढ़ाया आत्ममंथन का पाठ
लोकसभा चुनाव परिणाम से मिले संकेतों को बारीकी से समझने की जरूरत
51 विधानसभा सीटों पर बढ़त लेकर भी एनडीए के लिए संभलने का समय
आदिवासी सीटों पर जीत के बावजूद इंडिया गठबंधन को भी होगी मुश्किल
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
लोकसभा चुनाव के परिणाम का विश्लेषण लगातार चल रहा है। झारखंड में भी विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से चुनाव परिणाम का विश्लेषण और हार-जीत के कारणों का पता लगाने का काम शुरू कर दिया है। झारखंड के लिए यह चुनाव परिणाम इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां अगले पांच-छह महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसमें भाजपा सत्ता में अपनी वापसी की कोशिश करेगी, जबकि इंडी गठबंधन अपनी सत्ता बचाने के लिए मैदान में उतरेगा। झारखंड की 14 संसदीय सीटों के परिणाम पर नजर डालने से स्पष्ट होता है कि राज्य के करीब 2.62 करोड़ मतदाताओं ने सभी राजनीतिक दलों को एक पाठ पढ़ाया है और वह पाठ है आत्ममंथन करने का। झारखंड के मतदाताओं ने कह दिया है कि राजनीतिक दलों के लिए आराम करने का समय अभी नहीं आया है और उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालने से हालांकि यह बात साफ होती है कि भाजपा को राज्य के 81 में से 48 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली है और उसकी सहयोगी आजसू ने तीन विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली है, लेकिन भाजपा के लिए बुरा संकेत यह है कि 28 आदिवासी सीटों में से केवल पांच पर उसे बढ़त मिली, जबकि 13 पर कांग्रेस और 15 पर झामुमो ने बढ़त हासिल की। यह आंकड़ा राजनीतिक नजरिये से बेहद चौंकानेवाला है और इसके कारण ही दोनों गठबंधनों को कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी। विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में क्या है लोकसभा चुनाव परिणाम का संदेश, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद से ही पूरे देश में राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर से परिणाम का विश्लेषण कर जीत-हार के कारणों की तलाश कर रहे हैं और आगे की रणनीति तैयार करने में व्यस्त हो गये हैं। झारखंड में यह काम थोड़ा अधिक तेजी से होने लगा है, क्योंकि यहां अगले पांच-छह महीने में विधानसभा चुनाव होना है। झारखंड में विधानसभा का चुनाव इसलिए अहम होगा, क्योंकि इस बार एक तरफ जहां झामुमो-कांग्रेस-राजद अपनी सत्ता बचाने की कोशिश करेंगे, वहीं भाजपा और आजसू झारखंड की सत्ता वापस हासिल करने की कोशिश करते दिखेंगे। इसलिए तमाम राजनीतिक और तात्कालिक कारणों के बावजूद दोनों ही गठबंधन, सत्तारूढ़ इंडी अलायंस और विपक्षी एनडीए अपनी-अपनी रणनीति बनाने की तैयारी में जुट गये हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि झारखंड में लोकसभा चुनाव के परिणामों ने राजनीतिक दलों को क्या संदेश दिया है।
कैसा रहा विधानसभा सीटों पर परिणाम
जहां तक झारखंड में लोकसभा चुनाव परिणाम का सवाल है, तो यदि इस पर विधानसभा सीट के हिसाब से नजर डाली जाये, तो भाजपा-आजसू के लिए यह उत्साहजनक है, जबकि झामुमो-कांग्रेस के लिए यह परिणाम थोड़ा निराशाजनक है। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं और इनमें से 28 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। चूंकि भाजपा इस बार झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी पांच लोकसभा सीटें हार गयी है, इसलिए इस चुनाव परिणाम को विधानसभा चुनाव के नजरिये से देखना महत्वपूर्ण हो जाता है। भाजपा को राज्य की 28 आदिवासी सीटों में से केवल पांच पर बढ़त हासिल हुई, जबकि बाकी 23 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस और 10 पर झामुमो को बढ़त मिली। भाजपा के लिए यह स्थिति 2019 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले उत्साहजनक है, क्योंकि उस बार भाजपा को केवल दो आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी। जहां तक विधानसभा की सभी सीटों का सवाल है, तो भाजपा को 48, आजसू को तीन, जयराम महतो की जेबीकेएसएस को दो, झामुमो को 13 और कांग्रेस को 15 सीटों पर बढ़त हासिल हुई। पिछली बार एनडीए को कुल 56 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी।
कई विधायक भी अपनी सीटों पर पिछड़े
झारखंड के संदर्भ में एक बात यह रही कि इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे विधायकों में कई अपनी भी विधानसभा सीट पर बढ़त नहीं बना सके। गोड्डा से इंडी गठबंधन के लोकसभा प्रत्याशी प्रदीप यादव अपनी पोड़ैयाहाट सीट पर भाजपा के निशिकांत दूबे से पिछड़ गये। कोडरमा से माले प्रत्याशी विनोद सिंह भी बड़े वोटों के अंतर से अपने विधानसभा क्षेत्र बगोदर में पिछड़े। भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होकर लड़े जेपी भाई पटेल भी अपनी सीटिंग सीट मांडू पर वोटों के बड़े अंतर से भाजपा के मनीष जायसवाल से पिछड़ गये। बागी होकर चुनाव लड़े बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम और विशुनपुर विधायक चमरा लिंडा भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे नंबर पर रहकर जमानत भी नहीं बचा सके। इसी तरह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा अपने विधानसभा क्षेत्र खरसांवा में बड़े अंतर से पिछड़ गये। इसी सीट से जीतने के बाद वह मुख्यमंत्री बनते रहे थे। गीता कोड़ा पूर्व में जगन्नाथपुर से विधायक रही हैं। इस सीट को मधु कोड़ा के गढ़ के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यहां से गीता कोड़ा पिछड़ गयीं। इसी तरह राज्यसभा के पूर्व सांसद समीर उरांव का कार्यक्षेत्र सिसई-विशुनपुर रह चुका है और इन दोनों सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रहे। आजसू ने गिरिडीह सीट पर जीत दर्ज की, लेकिन आजसू विधायक लंबोदर महतो की सीटिंग सीट गोमिया से जयराम महतो ने बढ़त बनायी। इस सीट पर आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी दूसरे नंबर पर खिसक गये। डुमरी विधानसभा सीट झामुमो के कब्जे में है, लेकिन वहां भी जयराम महतो ने बढ़त हासिल की। भाजपा वर्तमान में विधानसभा की दो आरक्षित सीटों, खूंटी और तोरपा पर काबिज है, लेकिन इन सीटों पर वह पिछड़ गयी। इसी तरह पांच आदिवासी आरक्षित विधानसभा सीटों, सरायकेला, दुमका, जामा, घाटशिला और पोटका में भाजपा को बढ़त मिली।
क्या है इस परिणाम का संदेश
इस बात में कोई संदेह नहीं कि लोकसभा के चुनाव परिणाम ने झारखंड में अंतिम सांसें गिन रहे इंडी गठबंधन में जान फूंक दी है। साल 2019 में लोकसभा की दो सीटों पर सिमट कर रह गये इंडी गठबंधन (तब के यूपीए) के खाते में अब पांच सीट आयी है। इस परिणाम से इंडी गठबंधन इसलिए भी उत्साहित है, क्योंकि सभी आदिवासी सीटें उसके हिस्से आयी हैं। ऐसे में राज्य की राजनीति में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की उठता पहला कदम दिख रहा है। जानकार कहते हैं कि चुनाव परिणाम के बाद राज्य में इंडी गठबंधन का उत्साह और एनडीए की चुप्पी विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ता पहला कदम है। लोकसभा चुनाव के परिणाम से इंडी गठबंधन पूरी तरह उत्साहित है। वह इसे भुनाने की पूरी कोशिश भी करेगा। इंडी गठबंधन अब यह मान कर चल रहा है कि लोकसभा चुनाव में जनता ने उसे आशीर्वाद दिया है और वह चाहेगा कि विधानसभा चुनाव में भी उसे आशीर्वाद दे। इस परिणाम ने एनडीए गठबंधन को भी बता दिया है कि उसे वोट बैंक को मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी होगी। एनडीए के ग्रामीण वोटों में भी कमी हुई है। ऐसे अब दोनों गठबंधन के लिए विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए को मेहनत करनी होगी।
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यहां मिली भाजपा को बढ़त
चतरा (एससी), पांकी, डाल्टनगंज, बिश्रामपुर, छतरपुर (एससी), हुसैनाबाद, गढ़वा, भवनाथपुर, लातेहार (एससी), दुमका (एसटी), जामा (एसटी), घाटशिला (एसटी), पोटका (एसटी), सरायकेला (एसटी), बहरागोड़ा, जुगसलाई (एससी), जमशेदपुर पूर्व, जमशेदपुर पश्चिम, कोडरमा, बरकट्ठा, बरही, मांडू, हजारीबाग, सिमरिया (एससी), बड़कागांव, रामगढ़, धनवार, बेरमो, ईचागढ़, सिल्ली, रांची, हटिया, कांके (एससी), बोकारो, चंदनक्यारी (एससी), सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, देवघर (एससी), बगोदर, जमुआ (एससी), गांडेय, जरमुंडी, नाला, सारठ, पोड़ैयाहाट, गोड्डा।
यहां मिली आजसू को बढ़त
गिरिडीह, टुंडी, बाघमारा।
यहां मिली कांग्रेस को बढ़त
गुमला (एसटी), बिशुनपुर (एसटी), लोहरदगा (एसटी), खरसावां (एसटी), तमाड़ (एसटी), मांडर (एसची), तोरपा (एसटी), खूंटी (एसटी), सिसई (एसटी), सिमडेगा (एसटी), कोलेबिरा (एसटी), खिजरी (एसटी), मनिका (एससी), मधुपुर, महागामा।
यहां मिली झामुमो को बढ़त
चाइबासा (एसटी), मझगांव (एसटी), जगन्नाथपुर (एसटी), मनोहरपुर (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी), बोरियो (एसटी), बरहेट (एसटी), लिट्टीपाड़ा (एसटी), महेशपुर (एसटी), शिकारीपाड़ा (एसटी), पाकुड़, राजमहल, जामताड़ा।
यहां मिली जेबीकेएसएस को बढ़त
गोमिया, डुमरी।