रांची।  कल्पना सोरेन ने काफी कम समय में राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। राष्ट्रीय मंचों पर उनकी उपस्थिति से राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन को नया

लोकसभा चुनाव के साथ संपन्न हुए विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की। कल्पना सोरेन ने इस दौरान ना सिर्फ हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में बेहतर कार्य कर दिखाया, बल्कि आगे भी उनमें अपार संभावनाएं हैं।

कल्पना सोरेन को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी

यही वजह है कि सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की भी तैयारी चल रही है। केंद्रीय समिति में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। मोर्चा में उन्हें केंद्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव का पद दिया जा सकता है।

कल्पना सोरेन फिलहाल अपने विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा समय देकर जमीनी स्थिति को पुख्ता कर रहीं हैं। यह इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि संताल परगना क्षेत्र में सोरेन परिवार की राजनीतिक विरासत है। पहली बार इससे अलग हटकर कल्पना सोरेन ने गिरिडीह जिले की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट पर परचम लहराया है।

स्टार प्रचारक मिला है। कल्पना सोरेन ने विपरीत परिस्थितियों में राजनीति में कदम रखा था।

उनकी क्षेत्र में मौजूदगी से गिरिडीह और उसके आसपास के क्षेत्र में भी सत्तारूढ़ गठबंधन की किलेबंदी मजबूत होने के आसार है। मोर्चा की रणनीति इसी के इर्द-गिर्द है ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ मिल सके।

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