रांची। डीआरडीए कर्मियों के जिला परिषद में समायोजन के फॉर्मूले से जिला परिषद के अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि नाराज हैं। वे ग्रामीण विकास विभाग द्वारा निकाले गये संकल्प में कई विसंगतियां बता रहे हैं और इसे तत्काल दूर कराने के लिए आवाज भी अब उठाने की तैयारी में हैं। केंद्र के फैसले के बाद ग्रामीण विकास विभाग ने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के सरकारी कर्मचारी को छोड़ कर शेष संविदा कर्मियों का समायोजन समस्त आस्तियों और निधि के साथ जिला परिषद में कराने का निर्णय लिया है और इस संबंध में विगत दिनों आदेश जारी किया। 380 पदाधिकारी और कर्मचारियों का समायोजन जिला परिषद के एक कोषांग में करना है और इन पर नियंत्रण पूरी तरह से संबंधित जिले के डीडीसी और निदेशक लेखा नियोजन को दिया गया है। जिप अध्यक्षों की भूमिका काफी कम रखी गयी है। जिप अध्यक्षों का कहना है कि संकल्प में आस्तियां-निधि और कर्मियों का समायोजन तो जिला परिषद में करने की बात कही गयी है, परंतु उनके द्वारा क्रियान्वित किये जाने वाले कार्यों का उल्लेख नहीं किया गया है। कृत्य को छोड़ दिया गया है, जिसके कारण जनकल्याणकारी एवं महत्वाकांक्षी योजनाओं के संचालन में कठिनाई होगी।
हालांकि, संकल्प में यह स्पष्ट किया गया है कि डीआरडीए कर्मियों का समायोजन के बाद कार्य आवंटन जिला परिषद कार्यालय द्वारा किया जायेगा। लेकिन यह भी कहा गया कि कोषांग में समायोजित डीआरडीए कर्मी जिला परिषद के स्थायी कर्मचारी नहीं समझे जायेंगे। अत: उन पर बिहार पंचायत समिति एवं जिला परिषद सेवाशर्त नियमावली प्रभावी नहीं होगी। ऐसे में जिप को पूरा अधिकार भी इन पर नहीं दिया गया है।
जो काम करते आ रहे थे, उन कामों को जिला परिषद से नहीं कराया जायेगा
डीआरडीए कर्मियों को जिला परिषद में समायोजन का निर्णय तो लिया गया है, लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण विकास विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो काम वे जिला ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत रह कर करते आ रहे थे, उन कार्यों को अब जिला परिषद से नहीं कराया जायेगा।
मनरेगा, पीएम आवास, जलछाजन, एनएलआरएम, जोहार, विधायक योजना, एनआरइपी सहित प्रखंड और पंचायत स्तरीय योजनाएं और केंद्र तथा राज्य संपोषित योजनाओं का काम, जो ग्रामीण विकास विभाग के जरिये होता था, उन कार्यों को जिला परिषद से नहीं कराना है। इन कार्यों के लिए अब जिला उपायुक्त के अधीन जिला ग्रामीण विकास शाखा का गठन किया जायेगा।
कोषांग में होगा विलय, जिला परिषद में नहीं
ग्रामीण विकास विभाग के संकल्प में विसंगति बताते हुए अध्यक्षों का कहना है कि डीआरडीए कर्मियों के विलय के लिए जिला परिषद में कोषांग को गठित करना है, जबकि कर्मियों को सीधे जिला परिषद के कर्मियों के रूप में समायोजित किया जाना चाहिए था।