उत्तर परगना। जिले के कई परिवार इन दिनों गहरे संकट से गुजर रहे हैं। ईरान की तीर्थयात्रा और उच्च शिक्षा के लिए गए लोग अब वहां के संघर्षग्रस्त हालात में फंस गए हैं। देगंगा से 11 तीर्थयात्री और स्वरूपनगर व बसीरहाट से तीन छात्र वर्तमान में ईरान में जीवन और मौत के बीच जूझ रहे हैं।

देगंगा के चौरासी ग्राम पंचायत के धलीपाड़ा गांव से तीन परिवारों का एक दल 30 मई को मशहद जैसे पवित्र स्थल की यात्रा पर निकला था। उन्हें 18 जून को भारत लौटना था लेकिन तभी क्षेत्र में अचानक हिंसा भड़क उठी और सभी तीर्थयात्री वहां फंस गए। परिजनों के अनुसार, 17 जून के बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है।

गफूर अली की बेटी शाहिला खातून ने कहा कि हमारी आखिरी बातचीत मुश्किल से एक मिनट चली थी, उसके बाद से पूरी खामोशी है। गफूर अली, उनकी पत्नी शुकरान बीबी, शाहिद अली गयेन व उनकी पत्नी मुसलिमा बीबी, पड़ोसी अकरम हुसैन और अन्य बुजुर्ग सदस्य भी इस समूह में शामिल हैं।

अकरम हुसैन की पत्नी सलमा बीबी अपनी पीड़ा रोक न सकीं और रोते हुए बोलीं कि मुझे बस मेरा पति सही-सलामत वापस चाहिए। अब बाकी कुछ मायने नहीं रखता।

शाहिद अली के बेटे हुसैन मेहदी ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से अपील करते हुए कहा कि हमने स्थानीय प्रशासन को सूचना दे दी है।

इसी तरह स्वरूपनगर के मिर्जापुर के रहने वाले इमरान हुसैन और उनकी पत्नी मुस्कान खातून, जो 2023 से इस्फहान यूनिवर्सिटी में फ़ारसी भाषा की पोस्ट-ग्रेजुएट पढ़ाई कर रहे थे, वे भी रविवार से लापता हैं। इमरान की मां रेहाना खातून ने बताया कि हमने रविवार को आखिरी बार बात की थी, उसके बाद से उनके मोबाइल बंद हैं। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा कि उन्हें कैसे वापस लाएं।

बसीरहाट के संकचुरा निवासी और शोध छात्र सैयद बाक़िर मज्लिसी रिज़वी भी क़ुम स्थित अल-मुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे हैं। वह भी अपने हॉस्टल में फंसे हुए हैं और शनिवार से भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उड़ानों के बंद होने से उनकी वापसी अब अनिश्चित हो गई है।

अब परिजन बस एक ही मांग कर रहे हैं कि सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे और ईरान में फंसे इन सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाए।

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