नई दिल्ली: सरकार उन एक लाख कंपनियों को कई मोर्चों पर घेरने की तैयारी में है जिनका रजिस्ट्रेशन अभी हाल में रद्द किया गया है। इस सिलसिले में उनके खिलाफ टैक्स और मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी नियमों के उल्लंघन को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उनकी बैंकिंग गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार्टर्ड अकाउंटेंट के एक सम्मेलन में बताया था कि कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक लाख कंपनियों के नाम रजिस्टर से हटा दिए हैं। इसके एक दिन बाद सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इन कंपनियों के बोर्डों में शामिल सभी डायरेक्टरों को अगले पांच सालों तक दूसरी कंपनियों के बोर्ड में यह पद लेने पर पाबंदी लगाई जाएगी। सरकार का यह कदम कंपनीज एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक होगा।
कंपनी मामलों का मंत्रालय रिटर्न्स फाइल नहीं करने पर इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। अब वह इन कंपनियों की लिस्ट लेकर बैंकों के पास जा रहा है।
दरअसल, सरकार की मंशा ऐसी कंपनियों को उन्हें अपने बैंक अकाउंट ऑपरेट करने या लोन लेने से रोकने की है। पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा कि अतीत में हमने देखा कि जिन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन कैंसल हुए थे, उनमें से कुछ बैंकिंग सर्विसेज का इस्तेमाल करते रहे क्योंकि तब बैंकों को इसकी जानकारी ही नहीं दी गई थी।
हम इसे रोकना चाहते हैं, वरना पूरे मकसद पर पानी फिर जाएगा।’ “जहां कहीं भी उल्लंघन का मामला दिखेगा, मंत्रालय वहां समान कार्रवाई करेगी। एक लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले उन्हें भी जवाब देने का मौका दिया गया था और सारा काम कानून के तहत हुआ है।”