रांची: बिहार के सियासी उलटफेर का असर झारखंड पर भी पड़ा है। पिछले कुछ समय से झारखंड में महागठबंधन को लेकर नये समीकरण गढ़े जा रहे थे। झाविमो, जदयू, राजद, कांग्रेस आदि दलों को मिला कर बिहार की तर्ज पर महागठबंधन तैयार किया जा रहा था, जिसके लीडर के रूप में बाबूलाल मरांडी का चेहरा आगे किया गया था। नीतीश कुमार के कदम से साल भर पुरानी इन कवायदों पर पानी फिर गया है।
शराबबंदी के बाद हुआ था आगाज : बिहार में शराबबंदी के बाद झारखंड में एक नयी राजनीतिक बिसात बिछायी गयी थी। विभिन्न सामाजिक संगठनों के एक के बाद एक कई कार्यक्रमों में शरीक होकर नीतीश ने बिहार में शराबबंदी को लेकर माहौल बनाने के बहाने रघुवर सरकार पर निशाना साधा था। कहा था कि अगर रघुवर सरकार शराबबंदी नहीं करती है, तो बाबूलाल मरांडी राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे और महिलाओं की मांग पूरी करेंगे।
झारखंडी जनभावना के अनुरूप फैसला: बाबूलाल मरांडी
बदले हालात में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि तमाम परिस्थितियों पर नजर है। समय आने पर झारखंडी जनभावना के अनुरूप ही फैसला लेंगे। नीतीश कुमार के साथ गठबंधन पर बात हो रही थी। अब हालात बदल गया है। इस पर पार्टी में विमर्श के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे।