रांची: काके के बोड़ेया गाव में वेजफेड की ओर से 2.60 करोड़ रुपये की लागत से बना कोल्ड स्टोरेज भवन बुधवार की देर रात धराशायी हो गया। छत और पिलर पहले ही अलग हो गये थे, कई पीलर झुक चुके थे। घटना के बाद अहले सुबह इसमें चिलिंग आॅपरेटर उमाशंकर समेत तीन मजदूरों के दबे होने की आशंका जतायी गयी थी। बताया जा रहा था कि तीनों रात तक काम पर थे। सुबह उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो परा रहा है। इससे आशंका व्यक्त की जा रही है कि तीनों दब चुके हैं, लेकिन प्रशासन का ने बताया कि तीनों सुरक्षित और अपने घर पर हैं। दीवारें भी दरक गयी थीं, जबकि इस भवन के शुरू हुए ढाई महीने ही हुए थे। डेढ़ साल पहले निर्माण कार्य पूरा हुआ था। इसके निर्माण में इतना भ्रष्टाचार किया गया कि एक मिट्टी के घर से पहले छह मंजिला भवन ढह गया।

भवन में रखा था 2100 मीट्रिक टन आलू और मकई
2600 मीट्रिक टन क्षमतावाला इसे छह मंजिले कोल्ड स्टोरेज में 2100 मीट्रिक टन आलू और मकई की बोरियां रखी गयी थीं। छठे तल्ले की बीम और पिलर में पहले से ही दरार आ गयी थीं। ग्राउंड फ्लोर समेत अन्य तल्लों में रखी बोरियों में बीम सट गया था।

गैस फैलने से हो सकता था बड़ा हादसा
कोल्ड स्टोरेज को ठंड़ा रखने के लिए अमोनिया गैस चिलिंग प्लाट लगा है। भवन के गिरने से पहले उस अमोनिया गैस को हटा दिया गया। गैस नहीं हटाये जाने से चिलिंग प्लांट जे अमोनिया गैस का रिसाव हो जाता। इससे आसपास के दस किलोमीटर की परिधि में गैस फैल जाती। यह किडनी, दिल, चमड़ा, आंख समेत शरीर के कई हिस्सों के लिए काफी घातक होती। इस खतरे को देखते हुए कोल्ड स्टोरेज से सटे राइस मिल को भी बंद करा दिया गया था। वहीं अरसंडे फीडर की बिजली काट दी गयी है।

बारिश ने खोली भ्रष्टाचार की पोल
कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। इसकी पोल बारिश ने खोल दी है। वेजफेड ने कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए फरीदाबाद की कंपनी एयरटेक कूलिंग प्रोसेसिंग को दिया था। फिलहाल, 2400 मीट्रिक टन के निर्माण में 2.60 करोड़ की लागत से कोल्ड स्टोरेज भवन बनाया गया है। इस कोल्ड स्टोरेज को कुल 5000 मीट्रिक टन की क्षमता वाला बनाया जाना है। शेष 2600 मीट्रिक टन की क्षमता वाला कोल्ड स्टोर भी निमार्णाधीन है, काम जारी है। फसलों व सब्जियों का का संग्रह वेजफेड ने इस कोल्ड स्टोरेज के संचालन की जिम्मेदारी नेशनल फॉर्मर क्लब कोअॉपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को 5 साल के लिए 8 लाख रुपये सलाना की दर से दी थी। जहां काके के बोड़ेया, सुकुरहुटु, होचर सहित आसपास गांव के किसानों की सब्जियां और फसलें रखी जानी हैं।

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