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    Home»राजनीति»सुशील मोदी के आरोपों से पड़ी महागठबंधन में ‘गांठ’
    राजनीति

    सुशील मोदी के आरोपों से पड़ी महागठबंधन में ‘गांठ’

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJuly 27, 2017No Comments4 Mins Read
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    पटना:  बिहार में पिछले 16 घंटे के दौरान सियासी नक्शा पूरी तरह बदल गया है। इस स्थिति में भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पद पर कायम रहे हों, लेकिन उनके ‘हमसफर’ बदल गए। वैसे इस नक्शे को बदलने में सबसे बड़ा कारण पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाना बताया जा रहा है।

    लेकिन, अगर सही अर्थों में देखा जाए तो सियासी परिदृश्य के बदलने में सबसे बड़ा योगदान भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी का माना जाता है। यह दीगर बात है कि इस कारण उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का पुरस्कार भी मिला है।

    बुधवार की शाम नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके साथ ही 20 महीने पुरानी महागठबंधन की सरकार गिर गई थी। इस इस्तीफे के पीछे का कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश की तनातनी को माना जा रहा है। तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन नीतीश के कहने के बावजूद उन्होंने इन आरोपों का तथ्यात्मक जवाब नहीं दिया था।

    वैसे, यह माना जा रहा है कि पिछले करीब दो महीने से पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति को लेकर जिस तरह मोर्चा खोला, उसकी परिणति बिहार में महागठबंधन के टूटने से हुई। इसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात करने वाले नीतीश कुमार असहज होते चले गए।

    नीतीश ने अपने इस्तीफे के बाद कहा था, अब इस स्थिति में काम करना मुश्किल हो गया था।

    सुशील मोदी ने लालू और उनके परिवार के पास करीब एक हजार करोड़ रुपये की ‘बेनामी संपत्ति’ होने का दावा किया था। इस पर लालू यादव ने सुशील मोदी पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी भी दी। वैसे अब तक लालू ने ऐसा कोई मुकदमा नहीं किया है।

    मोदी ने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया था कि 26 साल की उम्र में उनकी 26 बेनामी संपत्तियां हैं। भाजपा के नेता ने आरोप लगाया कि तेजस्वी दो संपत्तियों के मालिक उस समय बन गए थे, जब उनकी उम्र मात्र तीन वर्ष की थी। इसके अलावा राजद नेता रघुनाथ झा और कांति सिंह ने अपनी करोड़ों की संपत्ति तेजस्वी को उस समय दान दी थी, जब उनकी उम्र 16 वर्ष थी।

    उन्होंने कहा कि डिलाइट मार्केटिंग, ए.बी. एक्सपोर्ट्स, ए.के. इंफोसिस्टम के माध्यम से जब तेजस्वी पटना और दिल्ली की 13 संपत्तियों के मालिक बने, उस समय तेजस्वी वयस्क (बालिग) थे।

    उन्होंने दावा किया था कि इस तरह तेजस्वी नाबालिग रहते 13 संपत्तियों के जबकि व्यस्क होने के बाद 13 संपत्तियों के मालिक बने।

    उन्होंने लालू के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप पर अवैध ढंग से पेट्रोल पंप हासिल करने का मसला भी उठाया, जिसके कारण उस पेट्रोल पंप का आवंटन रद्द कर दिया गया।

    वैसे, लालू और मोदी का यह ‘रिश्ता’ कोई नया नहीं है। मोदी ने लालू प्रसाद के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जो बाद में चारा घोटाला साबित हुआ था। वैसे दोनों छात्र राजनीति में साथ रहे हैं।

    मोदी ने लालू की पुत्री और सांसद मीसा भारती पर भी बेनामी संपत्ति मामले और मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया था, जिसके बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच शुरू की थी।

    मोदी द्वारा लगाए गए इन आरोपों के बाद सीबीआई ने लालू प्रसाद और बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने सात जुलाई को पटना सहित देशभर के 12 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह मामला वर्ष 2004 का है, जब लालू प्रसाद देश के रेलमंत्री थे।

    आरोप है कि उन्होंने रेलवे के दो होटलों को एक निजी कंपनी को लीज पर दिलाया और उसकी एवज में उन्हें पटना में तीन एकड़ जमीन दी गई थी।

    भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जद (यू) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेदाग छवि को लेकर तेजस्वी से जनता के सामने आरोपों पर तथ्यों के साथ सफाई देने की मांग रखी थी। इसे लेकर दोनों दलों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया था और महागठबंधन में दरार चौड़ी होती चली गई, जिसकी अंतिम परिणति नीतीश के इस्तीफे के रूप में सामने आई।

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