रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि नीति आयोग राज्य में पहुंच कर राज्य की कठिनाइयों और प्राथमिकताओं का अवलोकन कर रहा है, जबकि पूर्व में योजना आयोग दिल्ली में बैठ कर राज्य के वित्त का विश्लेषण करता रहा है। रघुवर दास ने शुक्रवार को डॉ वीके सारस्वत के साथ नीति आयोग के दल एवं राज्य के मुख्य सचिव, विकास आयुक्त सहित राज्य के आला अधिकारियों के साथ बैठक की।
70 साल तक की गयी झारखंड की उपेक्षा
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि पिछले 70 साल में झारखंड का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अलग राज्य का गठन कर इसके विकास की नयी नींव रखी। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों की राजनीतिक अस्थिरता के कारण भी राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। पिछले ढाई वर्षों की स्थिर सरकार ने विकास के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को पाया है। अत: झारखंड को आज भी केंद्र से शिक्षा, स्वास्थ्य आदि महत्वपूर्ण इंडिकेटर में सहायता और सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए ठोस कदम उठाये गये हैं और झारखंड विकास के कई पायदानों में अव्वल राज्यों की श्रेणी में है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 तक सभी घरों में बिजली और सभी जिलों को ओडीएफ करने का लक्ष्य है। राज्य में महिला साक्षरता दर में भी सुधार आया है। बालिका शिक्षा एवं जनजातीय समुदायों के शिक्षा एवं समग्र विकास पर राज्य सरकार सशक्त प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, स्वच्छता आदि में व्यापक दृष्टि-बोध नीति और कार्ययोजना के साथ कार्य किया जा सकता है।
राज्य की विकास दर राष्ट्रीय औसत से आगे
मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने बताया कि देश की औसत विकास दर 6.8 से आगे 8.6 प्रतिशत विकास दर के साथ टीम झारखंड की प्रतिबद्धता और कार्य की दिशा स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि सुगम्य व्यापार की दृष्टि से झारखंड 96.5 प्रतिशत स्कोर के साथ अव्वल राज्यों की श्रेणी में खड़ा है।
पिछले दो बजट में खर्च 94.44 और 97.36 प्रतिशत: खरे
अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त अमित खरे ने बताया कि राज्य में पिछले दो वित्तीय वर्षों में बजट व्यय 94.44 तथा 97.36 प्रतिशत रहा है। साथ ही आज झारखंड देश के तेजी से विकास कर रहे राज्यों के साथ खड़ा है।
योजनाओं को अमलीजामा पहना रही राज्य सरकार : डॉ सारस्वत
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके सारस्वत ने कहा कि झारखंड की विकास दर अभी 8.6 प्रतिशत है। इससे तीन वर्ष पूर्व तक राज्य की दर 4.5 प्रतिशत ही रही। इससे साफ पता चलता है कि राज्य में विकास के बेहतर एवं प्रभावी कार्य हो रहे हैं। राज्य की विकास दर में और बढ़ोत्तरी हो, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार समन्वय स्थापित कर कार्य करें। नीति आयोग किसी भी राज्य की समस्या और जरूरतों को ध्यान में रख कर नीति बनाता है। प्राथमिकताओं के अनुरूप केंद्र सरकार आगे की नीति तय करती है। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए और जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नीति आयोग हर संभव सहयोग करेगा। सारस्वत ने कहा कि झारखंड निर्माण के 17 वर्ष हो चुके है, लेकिन विगत तीन वर्षों में जितना कार्य हुआ, इससे पहले 14 साल में नहीं हुआ था।
राज्य सरकार केंद्र सरकार से तालमेल स्थापित कर योजनाओं को अमलीजामा पहना रही है, जिसका सीधा लाभ यहां के लोगों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग का उद्देश्य है कि राज्य की आवश्यकता अनुसार पंचायत स्तर तक के विकास कार्य को सुचारू करना। उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे नीति आयोग और केंद्र सरकार की अपेक्षा के अनुसार राज्य में विकास का कार्य करेगें। उन्होंने बताया कि आज की बैठक में पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई और अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की गयी। शिक्षा स्वास्थ्य और सिंचाई में राज्य को और कार्य करने की जरूरत है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि देश के सभी राज्यों की विकास दर राष्ट्रीय स्तर की विकास दर तक पहुंचे।