24 इंस्पेक्टर आइओ होंगे, 10 डीएसपी मॉनिटरिंग करेंगे
झारखंड की 88 मिशनरी संस्थाओं के खिलाफ हो रही है जांच

रांची। विदेशी फंड के सहारे झारखंड में धर्म परिवर्तन कराने का गंभीर आरोप इसाई मिशनरियों पर लगा है। इन मिशनरियों ने इस खेल में अरबों के विदेशी फंड का घालमेल किया है। यह राज तब खुला, जब केंद्र सरकार ने कुछ शिकायतों के बाद इसकी जांच करवायी। उसने झारखंड सरकार को यह निर्देश दिया कि इस खेल में जुटीं संस्थाओं की जांच करा कर रिपोर्ट भेजें। इधर, मदर टेरेसा की रांची स्थित संस्था मिशनरी आॅफ चैरिटी निर्मल हृदय में बच्चों को बेचने का खुलासा हुआ। जब सीडब्ल्यूसी की टीम वहां बच्चा चोरी की घटना को जांचने गयी, तो वहां पता चला कि यहां सालों साल से कोख का सौदा होता रहा है। जब उसकी गहराई में पुलिस टीम लगी तो चौंकानेवाले तथ्य सामने आये। इसी क्रम में राज्य के डीजीपी ने सरकार से यह आग्रह किया कि यहां इसाई मिशनरियों के खेल की जांच करायी जाये। उनके फंड पर रोक लगायी जाये। आशंका जतायी गयी कि उस फंड का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन कराने में किया जा रहा है, तो सरकार गंभीर हुई। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की पहल पर इस मामले की जांच का जिम्मा सीआइडी को सौंप दिया गया है। सीआइडी ने इसकी जांच आरंभ भी कर दी है।
बच्चों की खरीद-बिक्री से जुड़ी स्वयंसेवी संस्थाओं की जांच चल ही रही है। अब धर्मांतरण में विदेशी पैसा खर्च किये जाने की आशंका के मद्देनजर 88 स्वयंसेवी संस्थाओं की जांच के केंद्र सरकार के आदेश के बाद सीआइडी मुख्यालय ने कवायद शुरू कर दी है। जो संस्था जिस जिले की है, वहां एडीएसपी के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच करायी जायेगी। इधर, भारत सरकार के आदेश के बाद सीआइडी की टीम मिशनरी संस्थाओं को विदेशों से मिले फंड की जांच में रेस हो गयी है। सीआइडी एडीजी प्रशांत सिंह ने एफसीआर के तहत 88 संस्थाओं को मिले 2.65 अरब रुपये की जांच के लिए तकरीबन 10 डीएसपी और 24 से अधिक इंस्पेक्टरों की टीम बनायी है। एक टीम के जिम्मे अधिकतम तीन संस्थाओं की जांच की जवाबदेही है, जबकि, पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर फाइनल रिपोर्ट सीआइडी द्वारा सरकार को भेजी जायेगी। सीआइडी एडीजी ने आदेश दिया है कि प्रत्येक तीन एनजीओ के फंड की जांच एक इंस्पेक्टर करेंगे। वहीं तीन इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट को सुपरवाइज करने की जिम्मेदारी डीएसपी स्तर के एक अधिकारी पर होगी। एटीएस के एसपी पी मुरूगन पूरे मामले की मॉनिटरिंग करेंगे। सीआइडी इस मामले की जांच में जिला पुलिस की भी मदद लेगी। मिशनरी संस्थाएं जिन जिलों से संबद्ध हैं, उन जिलों के अधिकारियों को भी जांच से जोड़ा जायेगा।गौरतलब है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के विदेशी मामलों के संयुक्त सचिव अनिल मल्लिक ने साल 2013-14, 2014-15 और 2016-17 में झारखंड से एफसीआरए निबंधित संस्थाओं के फंड की जांच का आदेश राज्य सरकार को दिया था। इसके बाद केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी सीआइडी को दी गयी है।

88 स्वयंसेवी संस्थाएं हैं धर्मांतरण के घेरे में

झारखंड में एफसीआरए के जरिये 88 एनजीओ को वित्तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में 2.65 अरब रुपये मिले थे। वर्ष 2016 में राज्य की विशेष शाखा ने आशंका जाहिर की थी कि विदेशी फंड के पैसे से मिशनरी संस्थाएं धर्मांतरण करा रही हैं। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार की ओर से उक्त संस्थाओं की जांच का आदेश कुछ दिनों पूर्व दिया गया था।

गृह मंत्रालय ने करायी जांच , दो संस्थाओं का निबंधन रद्द
गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनिल मल्लिक ने राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को 88 एनजीओ के खिलाफ शिकायत मिली थी। मामले की अपने स्तर से गृह मंत्रालय ने जांच करायी। जांच में यह पाया गया कि 88 में से दो एनजीओ ऐसी हैं, जिन्होंने बार-बार नोटिस दिये जाने के बावजूद एनुअल रिटर्न की जानकारी नहीं सौंपी। इन दोनों संस्थाओं का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया है। वहीं, पांच एनजीओ के एफसीआरए को डीम्ड सीज्ड कैटेगरी में रखा गया है। इन संस्थाओं के फॉरेन फंड को फ्रीज भी किया जा सकता है। गृह मंत्रालय के पत्र में जिक्र है कि राज्य के 59 अन्य एनजीओ (88 एनजीओ में इनका जिक्र नहीं था, शिकायत के दायरे में ये नहीं थीं) ऐसे हैं, जिन्होंने एफसीआरए की एनुअल रिपोर्ट नहीं दी, उनका भी एफसीआरए रद्द हो सकता है।

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