रांची। निजी कंपनियों से मिलीभगत कर बिजली की सप्लाई से जुड़े अधिकारियों ने विभाग को आठ करोड़ का नुकसान पहुंचाया। एसआईटी टीम ने जांच के बाद गड़बड़ी पकड़ी है। जमशेदपुर की चार कंपनियों नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल, कमसा स्टील और गजाजन फेरो की बिजली बिल में आठ करोड़ का घोटाला हुआ है।
खाद आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने जमशेदपुर की निजी कंपनियों के द्वारा बिजली बिल में गड़बड़ी कर नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी। सरयू राय की शिकायत के बाद जांच के लिए एडीजी आधुनिकिकरण अनिल पाल्टा के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। टीम में बिजली विभाग के तीन इंजीनियर अमित कुमार, अनिल भारतीयम और सुरेश राम शामिल थे। टीम ने गड़बड़ी संबंधी रिपोर्ट उर्जा सचिव और सरकार को सौंप दी है।
एसआईटी ने जांच के लिए वैसे ग्रिड को चुना था, जहां से बिजली की सप्लाई सिर्फ निजी कंपनियों को होती है। एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2017 की अवधि में ग्रिड से कितनी बिजली की सप्लाई हुई और निजी कंपनियों के मीटर से कितने का बिल बना, इसकी जांच की गई। जांच में पाया गया कि तीन साल की अवधि में गजानन फेरो नाम की कंपनी को ग्रिड से आपूर्ति की गई बिजली और कंपनी के कंज्यूमर फीडर में काफी अंतर है।
इस अंतर के कारण सिर्फ गजानज फेरो से 2.60 करोड़ की बिल का नुकसान विभाग को हुआ। वहीं बाकि तीन कंपनियों नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल, कमसा स्टील को एक ही ग्रिड से आपूर्ति होती थी, इन तीनों कंपनियों के कंज्यूमर फीडर में गड़बड़ी से 5.77 करोड़ का नुकसान हुआ है। एसआईटी ने जांच में पाया है कि बिजली विभाग की ट्रांसमिशन टीम ने हर दिन कितनी यूनिट बिजली की आपूर्ति की इसकी जानकारी सप्लायी को दी थी, लेकिन सप्लाई देखने वाले अफसरों ने ट्रांसमिशन की रिपोर्ट की अनदेखा की।