रांची। भाजपा ने रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को औरंगजेब का अवतार बताया। पार्टी कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री को गजनी कहने वाले हेमंत ने अपने पिता को साजिशन हरवा कर उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन जाने दी।

  • जानबूझ कर शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया

शिबू सोरेन(गुरुजी) आज राजनीतिक निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं। हेमंत ने बड़े ही शातिराना अंदाज में गुरुजी को राजपाट से दूर कर उन्हें राजनीतिक रूप से नजरबंद कर पार्टी पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने जानबूझ कर शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया, जबकि विधायक पौलुस सुरीन उनके लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार थे।

  • औने-पौने दाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी और कई विशाल भवन बनवाए हैं

उन्होंने कहा- औरंगजेब ने भी अपने पिता के साथ ऐसा ही किया था, जैसा अभी हेमंत सोरेन कर रहे हैं। हेमंत ने अपने शासनकाल में आदिवासी-मूलवासियों के साथ-साथ झारखंड की जनता को जम कर लूटा है। प्रतुल ने आरोप लगाया कि सोरेन ब्रदर्स इस राज्य के सबसे बड़े जमीन लुटेरे हैं। पिछले 10 वर्षों में इन भाइयों ने औने-पौने दाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी और कई विशाल भवन बनवाए हैं। जिनकी कीमत सैकड़ों करोड़ रुपए है। शायद ही ऐसा कोई जिला है, जहां हेमंत सोरेन या इनके परिजनों ने आदिवासियों की जमीन नहीं हड़पी है। अब जबकि सरकार इसकी जांच करा रही है, तो ये अनाप-शनाप बोलने लगे हैं। इनके अति का अंत करीब है। प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक भी थे।

  • आदिवासियों के विकास में हेमंत बाधक : बिंदेश्वर उरांव

भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बिंदेश्वर उरांव ने आरोप लगाया कि आदिवासियों के विकास में हेमंत सोरेन बाधक हैं। एसटी समाज के बारे में उनकी नकारात्मक सोच है। झामुमो के नेताओं ने आदिवासियों को जमकर छला और सिर्फ उन्हें वोट बैंक तक सीमित रखा। पत्थलगड़ी पर उनकी आवाज चुप हो जाती है। मिशनरी ऑफ चैरिटी के गुनाहों पर उनकी जुबान खामोश हो जाती है, खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थक जब सरकारी स्कूलों को बंद करा रहे थे, तो इन्होंने कुछ भी नहीं बोला, पर सदन में स्कूलों के मर्जर पर शोर मचाने लगे। यह इनका दोहरा चरित्र है। बिंदेश्वर उरांव ने कहा कि भाजपा सरकार में आदिवासी-मूलवासियों को उनका वाजिब हक मिल रहा है। उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं।

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