खूंटी। एक दिन वह था, जब खूंटी के कुछ गांवों में पत्थलगड़ी के नाम पर सीधे-सादे ग्रामीणों को बरगला कर देश और संविधान के खिलाफ खड़ा किया गया था। ग्रामीणों को यह पाठ पढ़ाया गया था कि तुम सब सरकारी सुविधाओं का लाभ मत लो। खूंटी के सुदूर गांव के ग्रामीणों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में जाने से मना किया गया था। उसकी जगह पर कुछ देशतोड़कों ने ग्रामसभा के स्कूल में बच्चों को भेजने की मुनादी की थी। यही नहीं, गांव में विकास काम का विरोध किया गया था।

कभी जश्न मनाते हुए की गयी थी पत्थलगड़ी

वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी। वह चाहे सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी या फिर पुलिस के जवान, किसी को गांव में घुसने की इजाजत नहीं थी। देशतोड़क पत्थलगड़ी के नाम पर गांववालों को भड़का कर आंदोलित कर दिया गया था। गांववाले उनके बहकावे में आकर मुख्यधारा से कट गये थे। इनका मास्टर माइंड रहा यूसुफ पूर्ति, जिसने ग्रामसभा के बैंक तक की स्थापना कर दी थी। उसमें उसने लाखों रुपये गरीबों के जमा करवा लिये और उन पैसों को लेकर चंपत हो गया। कुछ ग्रामीणों ने तो पैसा डबल करने के नाम पर अपनी जीवन भर की कमाइ यूसुफ पूर्ति के बैंक में जमा कर दी थी, जिसकी प्राप्ति रसीद भी यूसुफ पूर्ति ने उन्हें दी थी। ये सारे कारनामे यूसुफ पूर्ति ने पत्थलगड़ी के नाम पर की थी। एक तरह से उसने ग्रामीणों को पंगु बना दिया था। सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करा कर उसने गांववालों की आर्थिक और सामाजिक रीढ़ तोड़ दी थी। यूसुफ पूर्ति ने गांववालों को उज्ज्वला योजना के तहत फ्री में गैस और चूल्हा लेने से मना कर दिया था।

चितरामू के ग्रामीणों ने ध्वस्त कर दिया देशतोड़क पत्थर को

सरकार की तरफ से गरीबों को मिलनेवाली सारी सुविधाओं का उसने बहिष्कार करवा दिया था। यहां तक कि सरकार की तरफ से दिये जा रहे बीज को भी लेने से रोक दिया था। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि इस बरसात के मौसम में भी ग्रामीण खेती नहीं कर पाये। उनके खेत आज भी परती हैं। कहते हैं, जब पानी सिर से ऊपर बहने लगता है, तो लोगों के सब्र का बांध टूट जाता है, उनकी अक्ल ठिकाने आ जाती है। आज खूंटी के भोले भाले ग्रामीणों की भी अक्ल ठिकाने आ गयी है। इन ग्रामीणों ने एक सुर से यह दोहराया है कि अब वे अपने गांव में देशतोड़क पत्थलगड़ी नहीं करेंगे। खूंटी में इस धारा के सबसे पहले वाहक बने चितरामू गांव के ग्रामीण। यहां एक साल पहले गांव में यूसुफ पूर्ति ने पत्थलगड़ी करवायी थी।

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