नयी दिल्ली। गरीबी हटाने के मामले में झारखंड दुनिया का सिरमौर बना है। झारखंड के खाते में यह उपलब्धि किसी और ने नहीं, बल्कि संयुक्त राष्टÑ ने डाली है। संयुक्त राष्टÑ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल में झारखंड में करीब 92 लाख लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यह सवा तीन करोड़ की आबादी का 28.5 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट में दुनिया के 101 देशों में 2005-06 से 2015-16 के दौरान गरीबी से बाहर निकलने के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। इन देशों की रैंकिंग में भारत को पहला स्थान दिया गया है।
झारखंड में सबसे तेजी से कम हुई गरीबी
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी में कमी के मामले में सर्वाधिक सुधार झारखंड में देखा गया। यहां विभिन्न स्तरों पर गरीबी 2005-06 में 74.9 प्रतिशत से कम होकर 2015-16 में 46.5 प्रतिशत पर आ गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में 2005-06 में 2.43 करोड़ लोग गरीबी के दलदल में फंसे हुए थे। यह संख्या 2015-16 में घट कर 1.57 करोड़ पर आ गयी। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि गरीबी में यह कमी सभी 10 सूचकांकों में दर्ज की गयी।
ये थे गरीबी के संकेतक
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और आॅक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआइ) ने दुनिया के 101 देशों में विस्तृत अध्ययन कर वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ) 2019 नामक यह रिपोर्ट तैयार की है। इन देशों में पोषण की कमी, शिशु मृत्यु दर, खाना बनाने के ईंधन का अभाव, स्वच्छता का अभाव, पेयजल का अभाव, बिजली का अभाव, घरों का अभाव, संपत्तियों का अभाव, कामकाज की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा जैसे सूचकांकों के आधार पर अध्ययन किया गया। देशों की रैंकिंग इन सूचकांकों के बारे में एकत्र आंकड़ों के आधार पर की गयी है। रिपोर्ट में 101 देशों में 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया। इसमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और दो उच्च आय वाले देश थे। ये लोग विभिन्न पहलुओं के आधार पर गरीबी में फंसे थे। गरीबी में कमी को देखने के लिए संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ 10 देशों को चिह्नित किया गया। आंकड़ों के आधार पर इन सभी ने सतत विकास लक्ष्य-1 प्राप्त करने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की। सतत विकास लक्ष्य-1 से आशय गरीबी को सभी रूपों में हर जगह समाप्त करना है। ये 10 देश बांग्लादेश, कंबोडिया, कांगो, इथियोपिया, हैती, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम हैं।
उल्लेखनीय प्रगति
रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्वास्थ्य और स्कूली शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक प्रगति दक्षिण एशिया में देखी गयी। भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ लोग, जबकि बांग्लादेश में 2004 से 2014 के बीच 1.90 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। रिपोर्ट के अनुसार 10 चुने गये देशों में भारत और कंबोडिया में एमपीआइ मूल्य में सबसे तेजी से कमी आयी और उन्होंने सर्वाधिक गरीब लोगों को बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 में भारत के करीब 64 करोड़ लोग (55.1 प्रतिशत) गरीबी में थे। यह संख्या घट कर 2015-16 में 36.9 करोड (27.9 प्रतिशत) पर आ गयी।
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