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    Home»Top Story»धोनी को सात नंबर पर क्यों भेजा
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    धोनी को सात नंबर पर क्यों भेजा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 13, 2019No Comments5 Mins Read
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    प्रशासनिक समिति भी चाहेगी तीन सवालों के जवाब, विनोद राय ने दिये संकेत
    दीपेश कुमार
    रांची। भारत वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार कर बाहर हो गया है। लेकिन भारतीय समर्थकों और क्रिकेट प्रेमियों को यह हार पच नहीं रही है। क्रिकेट के बादशाह सचिन तेंदुलगर से लेकर धारदार कैप्टन सौरभ गांगुली और क्रिकेट के अंगद सुनील गावस्कर भी इस हार से संतुष्ट नहीं हैं। वे कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री से यह जानना चाह रहे हैं कि जल्दी में तीन विकेट गिर जाने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को नंबर चार पर क्यों नहीं उतारा गया। उन्हें नंबर सात पर क्यों भेजा गया। गावसकर का कहना है कि जब जल्दी-जल्दी विकेट गिर रहे थे, तब जरूरी था कि एक ऐसे बैट्समैन को उतारा जाये, जो न्यूजीलैंड के बॉलरों की धार को रोक सके और इसके लिए महेंद्र सिंह धोनी सर्वाधिक फिट थे, फिर भी ऐसा नहीं किया गया। अगर एक छोर पर धोनी टिके होते, तो ऋषभ पंत से लेकर हार्दिक पांड्या और फिर रवींद्र जडेजा लंबा शॉट लगा सकते थे। उन्हें कप्तान के अनुभव का लाभ भी मिलता। इधर यह भी जानकारी मिली है कि प्रशासनिक समिति पर भी पूरे देश से दबाव पड़ रहा है कि बैठक बुला कर कोच और कप्तान से जवाब मांगा जाये।
    कप्तान और कोच के लौटने के बाद भारत के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा सीओए
    सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली के लौटने के बाद विश्व कप में भारत के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी। विनोद राय की अध्यक्षता वाली समिति प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद से भी बात करेगी। समिति में डायना एडुल्जी और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रिव थोडगे भी हैं। राय ने सिंगापुर से कहा कि कप्तान और कोच के ब्रेक से लौटने के बाद बैठक जरूर होगी। मैं तारीख और समय नहीं बता सकता, लेकिन हम उनसे बात करेंगे। हम चयन समिति से भी बात करेंगे। उन्होंने आगे ब्यौरा देने से इनकार कर दिया।
    शास्त्री, कोहली और प्रसाद से पूछे जायेंगे सवाल
    विराट कोहली और टीम रविवार को मुंबई के लिए रवाना होंगी। भारत को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड ने 18 रन से हराया जबकि ग्रुप चरण में भारतीय टीम शीर्ष पर रही थी। राय ने कहा कि भारत का अभियान अभी खत्म हुआ है। कहां, कब और कैसे जैसे सवालों का मैं आपको कोई जवाब नहीं दे सकूंगा। शास्त्री, कोहली और प्रसाद को कुछ सवालों का जवाब देना पड़ सकता है। मसलन आखिरी सीरीज तक अंबाती रायडू का चयन तय था, लेकिन अचानक वह चौथे नंबर की दौड़ से बाहर कैसे हो गये। रायडू का नाम रिजर्व में था, लेकिन दो खिलाड़ियों के चोटिल होने पर भी उन्हें नहीं बुलाया गया, जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को अलविदा कह दिया।
    टीम में तीन विकेटकीपर पर उठ रहे सवाल
    टीम में तीन विकेटकीपर क्यो थे? खासकर दिनेश कार्तिक की क्या जरूरत थी, जो लंबे समय से फॉर्म में नहीं थे। कार्तिक के अलावा महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत भी टीम में थे। तीसरा, सेमीफाइनल में महेंद्र सिंह धोनी को सातवें नंबर पर क्यो उतारा गया। समझा जाता है कि धोनी को नीचे भेजने का फैसला बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ का था।
    चयन समिति भी सवालों के घेरे में
    यह भी पूछा जायेगा कि सहायक कोच के इस फैसले का मुख्य कोच ने विरोध क्यो नहीं किया। मौजूदा चयन समिति बीसीसीआइ की आमसभा की बैठक तक बनी रहेगी। ऐसे में प्रसाद को चयन बैठकों में अधिक सक्रिय रहने की सलाह दी जा सकती है। असल में समस्या प्रसाद से नहीं, बल्कि शरणदीप सिंह और देवांग गांधी से है, क्योंकि कइयों का मानना है कि उनका कुछ योगदान नहीं रहता।
    धोनी को बाहर करने पर तुले हैं शास्त्री
    यह किसी से छुपा भी नहीं है कि रवि शास्त्री धोनी को टीम से बाहर करने पर तुले हैं। वह चाहते है कि धोनी रिटायरमेंट की घोषणा जल्द से जल्द कर दें। यह शास्त्री की ही साजिश थी कि हर मैच में ऋषभ पंत और हार्दिक पांडया को धोनी से ऊपर भेजा जाता रहा। यहां तक कि सेमीफाइनल मैच में जब टॉप आॅर्डर के विकेट जल्दी-जल्दी गिर गये थे, तो ऐसे नाजूक मौके पर जरूरत थी किसी रूक कर खेलनेवाले की, पर टीम मैनेजमेंट ने धोनी को न उतार कर पांडया और ऋषण पंत जैसे अनुभवी हिटरों को भेज दिया। इस फैसले की चहुओर आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि वहां पारी संभालने की जरूरत थी, न कि हिटरों की। ये हिटर तो बाद में भी आकर रन गति बढ़ा सकते थे। मैच को बनाया भी आखिर धोनी और जडेजा ने ही। जडेजा भी इसीलिए खुल कर खेल सके, क्योंकि दूसरे छोर पर धोनी मौजूद थे। दोनों मिलकर 100 रनों से ज्यादा की साझेदारी निभायी और टीम को जीत के करीब ले जाकर इज्जत भी बचायी।
    टीम मैनेजमेंट से जनता मांग रही जवाब
    आखिर धौनी को नंबर सात पर उतारने के पीछे क्या कारण थे, यह तो टीम मैनेजमेंट से पूछा ही जाना चाहिए। सिर्फ खेल में हार-जीत होती रहती है, कह कर मामले को टाला नहीं जा सकता। 45 मिनट बुरे गुजरे यह कहकर भी बचा नहीं जा सकता। आखिर टीम इंडिया से देश और सवा करोड़ लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। इन फैंस के बल पर ही ये खिलाड़ी स्टार बने हैं। इसलिए जनता को सवाल पूछने का हक है, पूछेगी ही और जिम्मेदार लोगों को जवाब भी देना होगा। जब जीत का श्रेय लेने के लिए सभी आगे आते हैं, तो इस हार की जिम्मेदारी कौन लेगा, टीम मैनेजमेंट और बीसीसीआइ को भी इसका जवाब देना होगा। बीसीसीआइ भी विश्व की सबसे मजबूत और धनी संस्था इसीलिए है कि देश की सवा करोड़ जनता उसके साथ है।

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