अजय शर्मा
रांची। झारखंड के बहुचर्चित बकोरिया मुठभेड़ कांड की जांच कर रही सीबीआइ को कई महत्वपूर्ण सबूत नहीं मिल रहे हैं। सीबीआइ को मुठभेड़ में मारे गये लोगों के कपड़ों की जरूरत है। सीबीआइ टीम को पलामू सदर अस्पताल और सतबरवा थाना में कपड़े नहीं मिले।
क्या है मामला
बकोरिया में हुई मुठभेड़ में मारे गये लोगों ने घटना के वक्त जो कपड़े पहन रखे थे, उन्हें पुलिस ने हटा दिया था और सभी को काले रंग का कपड़ा पहना दिया था, ताकि उन्हें नक्सली साबित किया जा सके। सभी शवों पर जो कपड़े पाये गये, वे एक ही साइज के थे, जबकि शवों का आकार अलग-अलग था। घटना में नाबालिग समेत 12 लोग मारे गये थे। नाबालिग का पूरा शरीर उस कपड़े में समा गया था। किसी भी कपड़े पर गोलियों के निशान नहीं थे।
पोस्टमार्टम के समय कई अधिकारियों ने सवाल उठाये थे
पोस्टमार्टम के समय कई अधिकारियों ने उसी समय इस पर सवाल खड़ा किया था। आठ जून 2015 को इस घटना को अंजाम दिया गया था, जिसमें पुलिस की टीम शामिल नहीं थी। घटना को जेजेएमपी के उग्रवादियों ने अंजाम दिया था। इस घटना में पांच नाबालिग बच्चे मारे गये थे। इसमें 10 वर्षीय उमेश सिंह, प्रकाश तिर्की, महेंद्र सिंह, चारू तिर्की शामिल हैं। घटना में सिर्फ एक व्यक्ति नक्सली था, जिसका नाम अनुराग था।
कई अधिकारियों के हुए बयान
सीबीआइ की आठ सदस्यीय टीम इस घटना की जांच कर रही है। टीम उस समय के डीआइजी हेमंत टोप्पो समेत अन्य अधिकारियों का बयान ले चुकी है। टोप्पो ने बताया है कि पूरा मामला फर्जी है। घटना की एफआइआर करने वाले सतबरवा के तत्कालीन थानेदार मो रुस्तम भी पलट चुके हैं। अब सीबीआइ कम से कम चार आइपीएस अफसरों से पूछताछ करेगी।
सच बोलने पर अधिकारी बदले गये थे
इस मामले में सही बात कहने वाले अधिकारी सीआइडी के एडीजी रेजी डुंगडुंग, पलामू के डीआइजी हेमंत टोप्पो, रांची रेंज की आइजी सुमन गुप्ता को हटा दिया गया था। उस समय पलामू पुलिस ने वहां के सदर थाना प्रभारी हरीश पाठक का फोन टेप किया था।