भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच भारतीय क्षेत्र के चुशूल में मंगलवार सुबह 11.30 बजे शुरू हुई बैठक रात 2 बजे तक चली। लगभग 14 घंटे की इस उच्च स्तरीय बैठक में पैंगोंग और डेपसॉन्ग में सेना की वापसी का दूसरा चरण शुरू करने पर जोर दिया गया। भारत की ओर से फिर एक बार दो टूक कहा गया कि सीमा पर चीन 5 मई के पहले की स्थिति बहाल करने की दिशा मेंं कदम उठाए।
भारत की ओर से इस बातचीत में सेना की 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन फिर आमने-सामने बैठे। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच यह चौथे चरण की बातचीत थी। प्रत्येक चरण की बैठक अवधि एक-एक घंटे बढ़ती जा रही है जैसे पहले चरण की बैठक 11 घंटे, दूसरी 12 घंटे, तीसरी 13 घंटे और अब चौथे दौर की बैठक 14 तक हुई है। इस लंबी बातचीत में भारत ने फिर एक बार चीन से एलएसी पर 5 मई के पहले की स्थितियों को जल्द बहाल करने पर जोर दिया। इसके अलावा पूर्वी लद्दाख के मुख्यतः चार विवादित क्षेत्रों में सैन्य तैनाती कम करने पर चर्चा हुई।
भारत और चीन के कमांडरों के बीच इस मैराथन बैठक में एलएसी पर तनाव कम करने और पैंगोंग झील और डेपसॉन्ग के इलाकों में सैन्य मौजूदगी कम करने के लिए रोडमैप तैयार करने पर मंथन हुआ। बैठक मेंं एलएसी के दोनों तरफ मौजूद करीब 30 हजार सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से पीछे हटाने की रणनीति भी बनी। इसके अलावा पूर्वी लद्दाख के इलाकों में दोनों देशों की तैनात आर्टिलरी फोर्सेज, टैंक और अन्य भारी हथियारों को वापस ले जाने को लेकर बातचीत की गई।
पिछली 30 जून को सैन्य कमांडरों की बैठक में बनी सहमति के आधार पर गलवान घाटी के पेेेट्रोलिंग प्वाइंट-14 पर जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी, वहां से दोनों सेनाएं पीछे हट चुकी हैं। हॉट स्प्रिंग्स इलाके में भी दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे कर लिया है। अब दोनों सेनाओं को एलएसी पर मई से पहले वाली स्थिति पर लौटना है। इसीलिए इस बैठक में दूसरे चरण पर बात करके इसकी टाइमलाइन तय करने की कोशिश की गई। अभी पूर्वी लद्दाख में एलएसी के दोनों तरफ दोनों देशों ने हजारों की संख्या में सैनिक और बड़े हथियार तैनात कर रखे हैं जिन्हें पीछे करना असल चुनौती है।
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