Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, June 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»ताजा खबरें»हथियार बेचने वाले ‘मित्र देशों’ की नजर भारत पर
    ताजा खबरें

    हथियार बेचने वाले ‘मित्र देशों’ की नजर भारत पर

    sonu kumarBy sonu kumarJuly 28, 2020No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email
    चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद से हथियार बनाने और बेचने वाले देशों अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजराइल की निगाहें भी भारत की ओर टिकी हैं। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत भी अपने मित्र देशों से कई अत्याधुनिक हथियार खरीदने की तैयारी में है। थलसेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए रूस के हल्के टैंक, इजरायली मिसाइल, हाई स्पीड बोट्स सहित कई हथियारों पर भारत की नजर है। इनमें से अधिकतर हथियार अमेरिका, रूस और इजरायल में बने हुए हैं। हाल के दिनों में इन देशों से भारत की कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
    पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन से तनातनी बढ़ने और परोक्ष रूप से पाकिस्तान का साथ देने से भारत के सामने दोहरे युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में भारत को अपनी हिफाजत के लिए हर किस्‍म के हथियारों और हथियार प्रणालियों की आवश्‍यकता है। देश में हथियारों की तकनीक के विकास की गति धीमी होने से इनकी पूर्ति फिलहाल स्‍वदेशी तरीके से तो संभव नहीं दिखती है। ऐसी स्थितियों में भारत के पास दूसरे देशों से हथियार खरीदने के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं बचता। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने पिछले दो माह के अन्दर सशस्त्र बलों के लिए 800 करोड़ का इमरजेंसी फंड दिया है जिसके बाद से तीनों सेनाओं के लिए हथियार खरीदने की तैयारी चल रही है।
    फ्रांस ​​
    चीन से जारी विवाद के बीच फ्रांस भारत का एक अहम साथी बनकर आया है, क्योंकि कोरोना संकट की वजह से जिन राफेल लड़ाकू विमान की आपूर्ति में देरी हो रही थी लेकिन फ्रांस ने उन्हें 29 जुलाई तक भारत भेजने का भरोसा देकर ‘दोस्ती’ का हाथ बढ़ाया और आज अपने मेरिग्नैक बोर्डो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 5 लड़ाकू राफेल विमान भारत के लिए रवाना कर दिए। पांंचों फाइटर जेट 29 जुलाई को वायुसेना के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंच जाएंगे। एक हफ्ते के अंदर इन सभी को ऑपरेशनल बना दिया जाएगा क्योंकि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन से मोर्चा लेने के लिए तैनात किया जाना है। इतना ही नहीं फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की मौत पर शोक व्यक्त किया है। इसके साथ ही उन्होंने द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत का दौरा करने की पेशकश की है।
    रूस
    रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के पास 59 मौजूदा मिग-29 के उन्नयन के साथ रूस से 21 अत्याधुनिक मिग-29 लड़ाकू विमान खरीदने की  स्वीकृति दी है। नए मिग-29 की खरीद और पुराने 59 मिग-29 के अपग्रेडेशन पर 7 हजार 418 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रूस इन दिनों मिग-29 लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने में जुटा हुआ है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये विमान चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बराबर हो जाएंगे और बहुत तेजी से ऊंचाई वाले स्‍थानों पर उड़ान भर सकेंगे। साथ ही दुश्‍मनों की पहचान करने में और ज्‍यादा कारगर होंगे। भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मौजूद 59 मिग-29 के लिए तीन स्क्वाड्रन हैं और पायलट भी इससे परिचित हैंं। इसी तरह भारतीय वायुसेना को 12 सुखोई-30 एमकेआई खरीदने की भी मंजूरी मिल गई है। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है जिसे ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस किया गया है। सुखोई विमान हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं। एचएएल से 12 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान 10 हजार 730 करोड़ रुपये में खरीदे जायेंगे।
    अमेरिका
    भारतीय नौसेना ने अमेरिका से 6 मल्टीमिशन समुद्री विमान पी-8आई खरीदने का सौदा किया है। हालांकि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन छह पी-8आई की खरीद को मंजूरी नवम्बर, 2019 में दी थी लेकिन इनकी खरीद अब लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ आक्रामक चीन के साथ गतिरोध होने पर की जा रही है। नौसेना को नए 6 मल्टीमिशन समुद्री विमान पी-8आई अगले साल मिलेंगे। यह नौसेना की आईओआर में एएसडब्ल्यू, पुनर्गठन, निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग क्षमताओं को बढ़ाएगा। भारत के पास बोइंग कम्पनी से छह और को खरीदने का विकल्प है, जिस पर 2021 में बातचीत होगी।
    भारतीय सेना ने अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से दूसरी खेप में 72 हजार सिग-716 असॉल्ट रायफलें खरीदने का ऑर्डर किया है। यह खरीद इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रूसी तकनीक वाली एके-203 रायफलों का निर्माण नहीं शुरू हो पाया है। भारतीय सेना ने फरवरी, 2020 में 647 करोड़ रुपये के फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से आधा किमी. दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार 400 असॉल्ट रायफलें खरीदी थीं। पहली खेप में मिलीं असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल भारतीय सेना अपने आतंकवाद-रोधी अभियानों में कर रही है। इन सॉल्ट रायफलों से 15 लाख की क्षमता वाले भारतीय सशस्त्र बलों की आंशिक जरूरतें पूूूरी हो पा रही थीं। यह नई अमेरिकी नई असॉल्ट रायफल्स सेना के पास इस समय मौजूद इंसास रायफलों का स्थान लेंगी। इन इंसास रायफलों का निर्माण स्थानीय रूप से आयुध कारखानों बोर्ड ने किया था।
    भारतीय सेना ने इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करके हॉवित्जर तोपों के लिए एक्सकैलिबर गोला-बारूद की खरीद अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी होवित्जर से की है। भारत ने 19 जून को ऑर्डर किया था जिसकी आपूर्ति 10 दिन के भीतर 29 जून को हो गई है। अमेरिका निर्मित एम-777 अत्यंत हल्की होवित्जर तोप है जिससे एक्सकैलिबर गोलों को दागा जा सकता है। जीपीएस से लैस इन तोप के गोलों के जरिये एलएसी पर 50 किलोमीटर दूर से लक्षित ठिकानों को तबाह कर सकता है। इस एक्सकैलिबर गोला-बारूद को अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सटीक निशाना साधने के लिए विकसित किया था, जहां वह करीब दो दशकों तक युद्ध लड़ता रहा। इनकी यह भी खासियत है कि घनी आबादी के पास किसी अन्य को नुकसान पहुंचाए बिना दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकते हैं। भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय पिछले साल एक्सकैलिबर गोला-बारूद की खरीद की थी। अब फिर चीन से तनाव बढ़ने पर पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात सेना की ताकत बढ़ाने के मकसद से यह एक्सकैलिबर गोला-बारूद की खरीद की गई है।
    इजरायल
    भारतीय वायुसेना इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल खरीदने का ऑर्डर दे रही है। पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की एक खेप भारत को मिली थी। भारतीय वायुसेना हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन को अपने बेड़े में शामिल करने की दिशा में काम रही है। हालांकि, इजरायल से कितने हेरॉन ड्रोन खरीदे जाएंगे, इसकी संख्या का पता नहीं चला है। यह हेरॉन ड्रोन 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रखने के लिए एक बार में दो दिन तक उड़ सकता है। भारतीय वायुसेना के लिए बियांड विजुअल रेंज एयर टू एयर डर्बी मिसाइल को खरीदने को लेकर भी भारत विचार कर रहा है। इसे भी इजरायली हथियार निर्माता कंपनी रॉफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम ने बनाया है। इसे भारत के एलसीए तेजस और मिराज-2000 विमानों में तैनात करने की योजना है। इसमें एक्टिव रडार सीकर लगा होता है जो मैक 4 की स्पीड से 50 किमी के रेंज में दुश्मन के एरियल टॉरगेट को नष्ट कर सकता है।
    ​​
    पिछले साल पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट शहर में एयर स्ट्राइक के दौरान आतंकियों के लांचिंग पैड पर मिराज-2000 से किये गए ऑपरेशन में इजरायली स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल किया गया था। अब जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल चीन के खिलाफ किए जाने की तैयारी है। इसीलिए भारतीय वायुसेना ने इसका अडवांस वर्जन इजरायल से खरीदने का फैसला लिया है। इन स्पाइस-2000 बम की खासियत यह है कि यह क्षण भर में 70 किलोमीटर दूर तक दुश्मनों की इमारतों और बंकरों को धूल मिला देते हैं। अब वायु सेना के पास बंकर और इमारत नष्ट करने वाला स्पाइस-2000 का एडवांस वर्जन होगा, जिसमें मार्क 84 वॉरहेड होंगे, जिससे लक्ष्य किए गए इमारतों को नष्ट किया जा सकेगा। बालाकोट एयरस्ट्राइक में जिस वर्जन का इस्तेमाल किया गया था वह मजबूत शेल्टर्स और बिल्डिंग में घुसकर तबाही मचाने में सक्षम है।
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleचीनी डॉक्टर का बड़ा खुलासा, बताया वुहान से दुनिया में कैसे फैला कोरोना?
    Next Article एक-एक कर घर में निकले 50 से अधिक जहरीले सांप, इलाके में दहशत
    sonu kumar

      Related Posts

      प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुआ बेंगलुरु हादसा

      June 6, 2025

      हॉकी कोच प्रतिमा बरवा का निधन

      May 31, 2025

      पाकिस्तान ने घबराकर हमें फोन किया… भारत ने ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता के बयान को किया खारिज

      May 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • रांची में कोयला कारोबारी की गोली लगने से मौत, जांच में जुटी पुलिस
      • एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’
      • चुनाव आयोग की दोबारा अपील, लिखित शिकायत दें या मिलने आएं राहुल गांधी
      • भारतीय वायु सेना ने किडनी और कॉर्निया को एयरलिफ्ट करके दिल्ली पहुंचाया
      • उत्तर ग्रीस में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, माउंट एथोस क्षेत्र में दहशत का माहौल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version