Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 25
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»गहरे हैं निशिकांत दुबे की अति सक्रियता के राज
    Jharkhand Top News

    गहरे हैं निशिकांत दुबे की अति सक्रियता के राज

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 7, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    देश की सर्वोच्च पंचायत, यानी संसद के निचले सदन, जिसे आम बोलचाल में लोकसभा कहा जाता है, में झारखंड के 14 प्रतिनिधि हैं। पिछले साल मई में हुए आम चुनाव में इन सभी ने जीत हासिल की। इन 14 में से 11 सांसद भाजपा के हैं, जबकि झामुमो, कांग्रेस और आजसू के एक-एक सांसद हैं। हाल के दिनों में इन 14 सांसदों में से केवल एक बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं। वह हैं गोड्डा के भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे। विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद से वह इतने वोकल हो गये हैं कि राजनीतिक हलकों में भी इसके अलग मतलब निकाले जाने लगे हैं। चाहे बाबा मंदिर खोलने का मामला हो या फिर प्रवासी कामगारों की वापसी का, कोल ब्लॉक नीलामी का मुद्दा हो या कोयला तस्करी से लेकर मवेशियों के कारोबार का सवाल हो, दुबे जी हर मुद्दे पर कुछ न कुछ टिप्पणी कर रहे हैं, अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं। वैसे तो सार्वजनिक मुद्दों को लेकर किसी निर्वाचित जन प्रतिनिधि की सक्रियता स्वस्थ लोकतंत्र में कहीं से भी आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन डॉ दुबे की अति सक्रियता से लोगों को आश्चर्य इसलिए हो रहा है कि एक सांसद के रूप में यह उनकी तीसरी पारी है और आज तक उन्होंने कभी ऐसे मुद्दे नहीं उठाये और न ही किसी राजनीतिक विवाद में फंसे। क्या है गोड्डा सांसद की अति सक्रियता के मायने और झारखंड की राजनीति पर इसका क्या असर होगा, इन सवालों के जवाब तलाशती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    हाल के दिनों में कॉरपोरेट की चमकदार दुनिया से राजनीति के मटमैले सागर में डुबकी लगानेवालों की यदि फेहरिस्त बनायी जाये, तो एक नाम सबसे ऊपर आयेगा और वह है डॉ निशिकांत दुबे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जब उन्हें गोड्डा से भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तब पार्टी के भीतर भारी बवाल हुआ था। पांच मार्च, 2009 को जब निशिकांत दुबे पार्टी का उम्मीदवार बनने के बाद पहली बार जसीडीह स्टेशन पर उतरे, तब उनके समर्थकों और विरोधियों में जबरदस्त मारपीट हुई थी। उसमें निशिकांत दुबे के कपड़े तक फाड़ दिये गये थे। चुनावी राजनीति में इतनी धमाकेदार इंट्री कम से कम झारखंड के दो दशक के इतिहास में किसी दूसरे की नहीं हुई। निशिकांत ने वह चुनाव जीता और उसके बाद लगातार दो बार उन्होंने गोड्डा में जीत का परचम लहराया। एक सांसद के रूप में उनकी यह तीसरी पारी है। लेकिन उनकी यह पारी इसलिए बेहद चर्चा में है, क्योंकि इस बार वह अत्यधिक सक्रिय और वोकल नजर आ रहे हैं।
    किसी सांसद या विधायक का सार्वजनिक मुद्दों पर सक्रिय होना कतई अनुचित नहीं है, लेकिन जब यह सक्रियता सांसद के तौर पर तीसरी पारी में अचानक आये, तो राजनीतिक हलकों में इसकी चर्चा अपरिहार्य हो जाती है। यही डॉ निशिकांत दुबे के साथ भी हो रहा है। पिछले साल मई में हुए आम चुनाव में वह गोड्डा सीट से लगातार तीसरी बार जीते, तब भी वह इतने सक्रिय नहीं हुए। लेकिन छह महीने बाद ही दिसंबर में जब विधानसभा का चुनाव हुआ और उसमें उनकी पार्टी बुरी तरह पराजित होकर झारखंड की सत्ता से बाहर हो गयी, अचानक वह वोकल हो गये।
    पिछले दिनों देवघर के बाबा मंदिर को खुलवाने और श्रावणी मेला आयोजित करने को लेकर उन्होंने पहले सार्वजनिक बयान दिया, फिर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी, जिसे बाद में अदालत ने खारिज कर दिया। इसी दौरान उन्होंने श्राप दे दिया कि झारखंड सरकार बहुत जल्द गिर जायेगी। अब कोयला तस्करों द्वारा दुमका के शिकारीपाड़ी में जब्त ट्रकों को छुड़ा कर ले जाने की घटना को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने और झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात वह कह रहे हैं। इतना ही नहीं, गोड्डा सांसद हर छोटी-बड़ी घटना पर तत्काल प्रतिक्रिया दे रहे हैं और राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। घटनाओं को छोड़ भी दिया जाये, तो गोड्डा सांसद राजनीतिक मुद्दों पर भी झामुमो से दो-दो हाथ करने को तैयार बैठे दिखाई देते हैं। कोल ब्लॉक नीलामी और कमर्शियल माइनिंग के मुद्दे पर तो वह शुरू से ही राज्य सरकार पर हमलावर हैं।
    डॉ निशिकांत दुबे की इसी अत्यधिक सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। जानकार इस अति सक्रियता के पीछे चार मुख्य कारण मान रहे हैं। पहला कारण तो यह है कि कॉरपोरेट जगत से राजनीति में इंट्री करनेवाले डॉ निशिकांत दुबे को राजनीति का असली मतलब अब समझ में आ गया है। इसलिए वह हर मुद्दे को राजनीतिक चश्मे से देखने लगे हैं। दूसरा कारण यह हो सकता है कि वह खुद को पार्टी नेतृत्व के साथ आम लोगों की निगाह में बनाये रखना चाहते हैं। राजनीति में सफलता के लिए चर्चा में रहना बहुत जरूरी होता है, लेकिन यहां तो मामला ‘बदनाम होंगे तो क्या नाम नहीं होगा’ वाला दिख रहा है। हर घटना पर उल्टी-सीधी प्रतिक्रिया का जनता में असर भी उल्टा-सीधा होता है और यह भविष्य में खतरनाक भी हो सकता है। डॉ दुबे की अति सक्रियता का तीसरा कारण यह हो सकता है कि वह कॉरपोरेट जगत में अपनी कम होती भूमिका को एक बार फिर से स्थापित करना चाहते हैं। हालांकि यह केवल संभावना है, लेकिन डॉ दुबे के विरोधी यह निजी तौर पर आरोप लगाते हैं कि सांसद के रूप में अपनी दो पारियों में डॉ दुबे ने कॉरपोरेट जगत की बहुत मदद की। वहां उनकी पूछ भी काफी थी, लेकिन इस बार उनका रुतबा कम हो गया है। चौथा और अंतिम कारण विशुद्ध रूप से राजनीतिक है। विधानसभा चुनाव में गोड्डा संसदीय क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की करारी हार ने डॉ दुबे के कामकाज पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को गोड्डा संसदीय क्षेत्र में छह लाख 35 हजार से अधिक वोट मिले थे, विधानसभा चुनाव में यह घट कर चार लाख 26 हजार हो गया। छह महीने में दो लाख नौ हजार वोट कम मिलना भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। लोकसभा चुनाव में जहां डॉ दुबे को सभी छह विधानसभा क्षेत्रों से बढ़त हासिल हुई थी, विधानसभा चुनाव में केवल दो क्षेत्रों में ही भाजपा को बढ़त मिल सकी। इसलिए डॉ दुबे अभी से ही अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की जुगत में अत्यधिक वोकल हो गये हैं।
    वास्तविक कारण चाहे जो भी हो, यह हकीकत है कि गोड्डा सांसद की इस अति सक्रियता का आम लोगों के बीच सकारात्मक संदेश नहीं जा रहा है, जैसा कि सोशल मीडिया पर उनकी प्रतिक्रियाओं की टिप्पणी को देखने से पता चलता है। कहीं ऐसा न हो कि डॉ निशिकांत दुबे सक्रियता के ओवर डोज के शिकार हो जायें।

    Nishikant Dubey's secrets of hyperactivity are deep
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसिब्बल ने कोरोना वैक्सिन को लेकर आईसीएमआर के दावों को बताया अवैज्ञानिक
    Next Article हत्या के विरोध में बरवाडीह बाजार में पसरा रहा सन्नाटा
    azad sipahi desk

      Related Posts

      आरक्षण का श्रेणी वार परिणाम नहीं निकाल कर जेपीएससी ने परीक्षा को बना दिया संदिग्ध: प्रतुल शाहदेव

      May 24, 2025

      सिल्ली में जलसंकट की स्थिति बेहद चिंताजनक: बाबूलाल

      May 24, 2025

      संजय सेठ ने घायल जवान अवध सिंह का हालचाल जाना, स्वास्थ्य की ली जानकारी

      May 24, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • केंद्र और राज्य टीम इंडिया की तरह मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं : प्रधानमंत्री
      • राहुल गांधी ने पुंछ में गोलाबारी के पीड़ितों से की मुलाकात, नुकसान को बताया एक बड़ी त्रासदी
      • नीति आयोग की बैठक में हर घर नल योजना और यमुना के मुद्दे पर भी हुई चर्चाः रेखा गुप्ता
      • आतंकवादियों को नहीं पढ़ाई जाएगी जनाजा नमाज, भारत में दफनाया भी नहीं जाएगा : डॉ इलियासी
      • आरक्षण का श्रेणी वार परिणाम नहीं निकाल कर जेपीएससी ने परीक्षा को बना दिया संदिग्ध: प्रतुल शाहदेव
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version