रांची/धनबाद। झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के लोगों की खासियत है कि वे विपरीत परिस्थितियों में भी अपना हौसला नहीं छोड़ते और लक्ष्य प्राप्ति में जुटे होते हैं। कोरोना संकट के दौर में जब देश-दुनिया नकारात्मक खबरों से जूझ रही है. झारखंड की ये दो बेटियां अपने काम की बदौलत नाम कमा रही हैं। धनबाद की बेटी और इलाके में ‘उड़न परी’ के नाम से मशहूर सृष्टि जीवंतिका सिंह ने कोरोना संकट के दौर में वंदे भारत मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। पेशे से कमर्शियल पायलट सृष्टि ने मिशन के चौथे चरण में विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने में इतिहास रच दिया। उसने अब तक 46 सौ भारतीयों को दुबई, सिंगापुर और क्वालालंपुर से एयरलिफ्ट किया है। सृष्टि एयर इंडिया एक्सप्रेस की कमर्शियल पायलट हैं। उसने दुबई से ढाई हजार और सिंगापुर डेढ़ सौ भारतीयों को स्वदेश लानेवाली उड़ानों में पायलट की भूमिका निभायी। रविवार को वह क्वालालंपुर गयी और उसी रात तीन सौ से अधिक भारतीयों को लेकर लौटी। सृष्टि दो साल पहले उस पहली उड़ान में भी शामिल थी, जिसके चालक दल की सभी सदस्य महिला थी। वह उड़ान अबू धाबी गयी थी। उस उड़ान की कमान सृष्टि ने ही संभाली थी। सृष्टि के पिता कर्नल जेके सिंह शहर के पॉलिटेक्निक रोड में रहते हैं। उन्होंने अपनी बेटी की उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर की है। कर्नल सिंह सेना में रहे हैं और दिल्ली में आयोजित होनेवाले गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में उद्घोषक की भूमिका निभाते हैं।
रांची की ‘फायर लेडी’ अर्चना बुझा रही हैं जंगलों की आग
रांची की अर्चना मिश्रा को मुहल्ले के लोग ‘फायर लेडी’ बुलाते हैं। वह जंगलों में लगी आग को बुझाने के काम में जुटी हैं। नामकुम, टाटीसिल्वे और अनगड़ा क्षेत्र के जंगलों में लगी आग वह दर्जनों बार बुझा चुकी हैं। अर्चना को जैसे ही आग लगने की सूचना मिलती है, वह तुरंत बुझाने पहुंच जाती हैं। अर्चना बताती हैं कि उन्हें यह काम बेहद पसंद है। उन्हें पर्यावरण बचाने की प्रेरणा अपने दादा से मिली है। अर्चना के अनुसार आसपास के ग्रामीणों से उन्हें जंगल में आग लगने की सूचना मिलती है।
गांव वाले इसके लिए जंगल माफिया को जिम्मेवार बताते हैं। अर्चना का कहना है कि यह अकेले का काम नहीं है। किसी महिला के लिए तो यह और भी कठिन है। फिर भी वह कोशिश करती हैं। अर्चना का मानना है कि उनका प्रयास देख कर अन्य लोग भी साथ आयेंगे।