नई दिल्ली। केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने लोकसभा में सोमवार को कहा कि मानसून सत्र से एक दिन पहले ‘पेगासस’ सॉफ्टवेयर जासूसी मामला प्रकाश में आना महज संयोग नहीं है इसका मकसद देश के लोकतंत्र और संस्थाओं की छवि खराब करना है।
लोकसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामें के बीच केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि ‘पेगासस’ सॉफ्टवेयर जासूसी मामले पर कल कुछ वेब पोर्टल ने खबर प्रकाशित कर कई आरोप लगाये थे। यह कोई संयोग नहीं है और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले व्हाट्सएप से जुड़ी जासूसी का मामला उठाया गया था। उस समय भी संबंधित सभी पक्षों ने इसे नाकारा था।
उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र और स्थापित संस्थानों की छवि खराब करने का प्रयास है। वह सभी सांसदों से अनुरोध करते हैं कि मुद्दे पर तथ्यों और तर्क के साथ विचार किया जाये।
खबर के संबंध में वैष्णव ने कहा कि समाचार पत्रों के समूह ने कुछ नम्बरों की सूची प्राप्त की। कहा जा रहा है कि इसमें मौजूद नम्बरों की जासूसी की गई है। हालांकि इस सूची में होना कहीं से साबित नहीं करता कि नम्बर की जासूसी की गई है। पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ने भी इसका खंडन किया है। उनका कहना है कि सूची का सर्विलांस से कोई लेना-देना नहीं है। उसका यह भी कहना है कि उसके ज्यादातर ग्राहक पश्चिमी देश हैं और भारत उसमें शामिल नहीं है।
मंत्री ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित में सर्विलांस का एक स्थापित प्रोटोकॉल है। भारत की व्यवस्था में किसी प्रकार का अवैध सर्विलांस संभव नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा में राज्यों के पास भी इस तरह के सर्विलांस अधिकार मौजूद है। कोई कारण नहीं सेवेदन बनाने की। इसके बाद हंगामें के नहीं रूकने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों से आग्रह है कि वह जनहित और देशहित के मुद्दे ही सदन में उठायें।