रांची। झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को रांची-जमशेदपुर के फोर लेनिंग मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान पर सुनवाई की। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी कर कहा है कि रांची-जमशेदपुर एनएच पर तेज वाहन चलाने वालों पर पुलिस एक्शन ले।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस इन्हें रोके। तेज वाहन चलाने वालों पर अंकुश के लिए एनएच-33 पर अपग्रेडेट कैमरा लगाया जाये। इस सड़क के बनने से वाहनों की रफ्तार काफी तेज हो गयी है, जिससे आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पुलिस इस एनएच की सुरक्षा के लिए आवश्यक मशीनरी, स्पीड कैमरा, स्पीड गन खरीदे। पांच साल में पुलिस को 15 करोड़ दिये गये हैं लेकिन मात्र दो करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं। इन पैसों से पुलिस सड़क सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों की क्यों नहीं खरीद रही है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

एनएच के किनारे बैरिकेडिंग की जाये, जिससे अचानक रोड पर ग्रामीण या कोई जानवर नहीं पहुंचे, ताकि दुर्घटना को टाला जा सके। कोर्ट ने जानना चाहा कि एनएच के किनारे कितने ऐसे भवन हैं, जो एनएच के गाइडलाइन के मुताबिक नहीं हैं। एनएच के किनारे जो अतिक्रमण है, उसे हटाने की दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार एवं एनएचएआइ मिल कर इस एनएच के किनारे के अतिक्रमण को हटाने को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार कर इसे कोर्ट में प्रस्तुत करे।

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि दलमा नेशनल प्रोजेक्ट में पड़ने वाले इस एचएच के कुछ हिस्से के फारेस्ट क्लीयरेंस की क्या अद्यतन स्थिति है, इससे कोर्ट को अवगत करायें। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के परिवहन सचिव केके सोन एवं एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कोर्ट में सशरीर हाजिर हुए।

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