बेगूसराय। बेगूसराय की पत्रकारिता के इतिहास में पांच दशक से संघर्षशील सजग और सत्य के समर्थ सारथी गुणानंद मिश्र ”बाबा” रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। मिथिला के पावन गंगा तट सिमरिया मोक्ष धाम में बड़े पुत्र नवीन कुमार मिश्र ने मुखाग्नि दी।

इससे पहले रविवार की दोपहर दिल्ली से उनका पार्थिव शरीर लोहिया नगर स्थित आवास पर आते ही अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जहां जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, चिकित्सकों सहित सैकड़ों लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किया। उसके बाद शव यात्रा प्रेस क्लब पहुंचा।

प्रेस क्लब में विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं के अलावा जिले भर के पत्रकारों ने बेगूसराय पत्रकारिता के युग प्रतिनिधि, बेबाक, निर्भीक, सजग लेखनी के धनी, आर्यावर्त, प्रदीप, दिनमान, पाटलिपुत्र टाईम्स, प्रभात खबर सहित दर्जनाधिक पत्र-पत्रिकाओं के जिला प्रतिनिधि, श्रमजीवी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं अभिभावक को अंतिम विदाई दी।

मेयर पिंकी देवी, विधायक कुंदन कुमार, विधान पार्षद सर्वेश कुमार, पूर्व मेयर संजय कुमार, पूर्व मेयर उपेन्द्र प्रसाद सिंह, सांसद प्रतिनिधि अमरेन्द्र अमर, लोजपा जिलाध्यक्ष प्रेम पासवान, जदयू जिलाध्यक्ष रुदल राय, आर्यभट्ट के निदेशक प्रो. अशोक कुमार सिंह अमर, वरिष्ठ शिक्षक नेता डॉ. सुरेश प्रसाद राय, शिव प्रकाश भारद्वाज, डॉ. शशि भूषण शर्मा, आईएमए के सचिव डॉ. रंजन चौधरी, डॉ. धीरज शांडिल्य, मुखिया संघ जिलाध्यक्ष मो. अहसन तथा प्रभात खबर पटना की संपादकीय टीम ने भी पुष्पांजलि अर्पित किया।

उल्लेखनीय है कि वरीय पत्रकार गुणानंद मिश्र का लम्बी बीमारी के बाद शनिवार को नई दिल्ली में निधन हो गया। वे अपने पीछे दो पुत्र नवीन मिश्र एवं विपीन कुमार मिश्र सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। अकबरपुर शाम्हो के मूल निवासी गुणानंद मिश्र ने पत्रकारिता अपने परिवार से ही सीखी। उन्होंने मुंगेर से निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका अग्रसर से पत्रकारिता शुरू की।

बाद मे वे मटिहानी प्रखंड से अपनी कलम की धार से लोगों को खबर पहुंचाते रहे। बेगूसराय जिला बनने के बाद बेगूसराय आकर आर्यावर्त अखबार से जुडे। बाद के वर्षों में बेगूसराय टाइम्स से भी जुडे। अंत में वे प्रभात खबर से जुडे तथा प्रभात खबर ही उनकी पत्रकारिता की अंतिम यात्रा थी। सरलता और सहजता के प्रतिमूर्ति होकर उन्होंने अलग पहचान बनाई।

प्रेस क्लब की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पत्रकारों को पत्रकारिता के गुढ़ रहस्य सिखाए। खबर को सनसनीखेज नहीं बनाकर, विषय पर फोकस करना उनकी कला थी। अशुद्धियों को पकड़ने में उनका कोई जोड़ा नहीं था। बाल्यकाल से गंगा की निश्छलता और संघर्ष की ओज में ओत-प्रोत बाबा को मुफलिसी में भी राजा के रूप में देखा गया।

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