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    Home»Breaking News»विकास कार्य और पर्यावरण में संतुलन जरूरी : हेमंत सोरेन
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    विकास कार्य और पर्यावरण में संतुलन जरूरी : हेमंत सोरेन

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 28, 2023No Comments4 Mins Read
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    74वां वन महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री

    रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्धन वर्तमान समय में महत्वपूर्ण विषय है। राज्य सरकार पर्यावरण और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयासरत है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इस निमित्त कई नए कड़ियों को जोड़ने का कार्य निरंतर कर रही है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि क्लाइमेट चेंज को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों में भागीदारी का संदेश नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। झारखंड नाम से ही यह समझ सकते हैं कि हमारा राज्य जंगल-झार से भरा प्रदेश है। झारखंड प्रदेश देश में सबसे अलग और कहा जाए कि बहुत ही महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। इस राज्य को जल, जंगल, जमीन के लिए जाना जाता है। क्योंकि, यहां के आदिवासी-मूलवासी जल, जंगल, जमीन से ही प्रेम करते हैं।

    झारखंड प्रदेश को देश के अन्य राज्यों के लोग खनिज संपदा के लिए प्रेम करते हैं। प्रकृति ने देश की 40 प्रतिशत खनिज संपदा से इस राज्य को नवाजा है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को ट्रेनिंग ग्राउंड, खोजाटोली नामकुम में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से आयोजित 74वां वन महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वृक्षों के संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है। इस वर्ष राज्य में दो करोड़ से अधिक पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में 50 हजार एकड़ भूमि पर बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री वन धन योजना के तहत पेड़ लगाने पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों का विचरण समय-समय पर होता है। क्योंकि, जानवर भी गतिशील प्राणी होते हैं। हाथी का भी संरक्षण और मानव जीवन का भी संरक्षण हम सभी की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों द्वारा घरों को क्षतिग्रस्त किया जाता है, नुकसान पहुंचाए गए घरों की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा राशि में भी वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोगों के भागीदारी से ही हाथियों को भी संरक्षित करने में सफलता मिल सकेगी।

    रांची पहले समर कैपिटल के रूप में जाना जाता था

    हेमन्त सोरेन ने कहा कि रांची कभी समर कैपिटल के रूप में जाना जाता था। एकीकृत बिहार के समय गर्मी के महीनों में रांची में ही विधानसभा सत्र का आयोजन किया जाता था। रांची के इर्द-गिर्द क्षेत्र में आज भी सर्दी के महीनों में बर्फ जमता है। रांची के आसपास कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां वो पेड़ मिलते हैं जो बर्फीले पहाड़ों में पाए जाते हैं। इस प्रदेश में एक समय था जब चाय के बागान हुआ करते थे लेकिन यह सभी चीजें धीरे-धीरे लुप्त होते गए।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम में मैंने वन विभाग के पदाधिकारियों से कहा था कि जंगलों की कटाई और अवैध खनन की शिकायत हेतु एक टोल फ्री नंबर जारी करें जिस पर आम जनता शिकायत दर्ज करा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि विभाग द्वारा टोल फ्री नंबर जारी किया गया और हजारों की संख्या में शिकायतें दर्ज हुई तथा उन शिकायतों पर विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गई।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को हरा भरा रखने के लिए हमारी सरकार ने कानून बनाया है कि शहरी क्षेत्र में जो परिवार अपने घरों के कैंपस में पेड़ लगाएंगे प्रति पेड़ उन्हें पांच यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी। यह तो सरकार की एक नीति है परंतु हमें इससे हटकर भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने पड़ेंगे।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य अलग होने के समय कुछ लोगों ने इस राज्य का नाम झारखंड नहीं बल्कि वनांचल रखे जाने की वकालत की थी। हमारे आदिवासी एवं मूलवासी आंदोलनकारी नेतृत्वकर्ताओं ने आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही इस प्रदेश का नाम झारखंड के रूप में ही रखे जाने के लिए लम्बी लड़ाई और संघर्ष की थी। आदिवासियों एवं मूलवासियों ने लम्बे समय तक आंदोलन किया। अलग झारखंड राज्य आंदोलन में ना जाने कितने लोगों की शहादत और कुर्बानी के बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में वर्ष 2000 में हमें अलग झारखंड राज्य मिला।

    इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मोबाइल एप्लीकेशन आधारित हाथी विचरण निगरानी प्रणाली ऐप, वन विभागीय वेबसाइट, राष्ट्रीय ट्रांजिट पास प्रणाली का उद्घाटन तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन से संबंधित बुकलेट का विमोचन गया। मौके पर मुख्यमंत्री ने पर्यावरण एवं वन संरक्षण पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों के बीच पारितोषिक वितरण किया। मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों द्वारा ट्रेनिंग ग्राउंड खोजाटोली नामकुम में पौधारोपण भी किया गया। इस अवसर पर खिजरी विधायक राजेश राजेश कच्छप ने मानव का विकास एवं जलवायु परिवर्तन में समन्वय बनाने तथा प्राकृतिक संतुलन को लेकर अपने संबोधन में विस्तृत प्रकाश डाला।

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