डोडोमा। तंजानिया के दार अस सलाम स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित की गयी है। तंजानिया के दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रतिमा का अनावरण करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि भारत के महानतम आध्यात्मिक नेताओं और दार्शनिकों में से एक स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण होना एक महान अवसर है। यह प्रतिमा निश्चित रूप से उनकी कालजयी शिक्षाओं की गवाही देती है, जो सीमा से परे हैं और मानवता में विश्वास के उनके संदेश को रेखांकित करती हैं। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसने 2010 में अपनी स्थापना के बाद से तंजानिया में भारतीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जयशंकर ने कहा कि सांस्कृतिक केंद्र का उद्देश्य न केवल तंजानिया में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है बल्कि भारत में तंजानियाई संस्कृति का भी प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने कहा कि तंजानिया की उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि वैश्वीकरण के इस युग में भारत और तंजानिया जैसे दो देश एक-दूसरे के साथ और अधिक काम कर सकते हैं और ऐसा इस तरीके से किया जा सकता है, जो पारस्परिक रूप से लाभप्रद हो।
विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तव में वैश्वीकरण का मतलब यह है कि हम एक-दूसरे के जीवन में बहुत ही सहज तरीके से शामिल हों। प्रतिमा में विवेकानंद की मुद्रा का वर्णन करते हुए जयशंकर ने कहा, जो प्रतिमा आपके सामने है, उसे देखना बेहद दिलचस्प है। प्रतिमा की यह मुद्रा सबसे प्रसिद्ध है, जो आत्मविश्वास, आत्म-आश्वासन, अपने इतिहास में निष्ठा और संस्कृति में समाई परंपराओं को दर्शाती है। स्वामी विवेकानंद 19वीं सदी की शख्सियत थे, जब भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था, वह उस दौर में भी भारतीय समाज को खुद पर विश्वास दिलाने की कोशिशों में जुटे रहे। जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि स्वामी विवेकानंद दुनिया के साथ भारत के जुड़ाव के लिए हमेशा प्रेरणा के रूप में काम करेंगे।