रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दारोगा उमेश कच्छप की मौत पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कटघरे में खड़ा किया। शुक्रवार को श्री मरांडी ने कहा कि आदिवासी अफसर उमेश कच्छप ने धनबाद के तोपचांची थाने में खुदकुशी कर ली थी। मौत के पहले अपनी पत्नी से बातचीत में उमेश कच्छप ने वरीय अफसरों का नाम लेकर बताया था कि, कैसे उनके जैसे ईमानदार और सीधे-साधे अफसर को एक चालक पर फर्जी केस कर रंगदारी वसूलने वाले अफसरों को बचाने का दबाव वरीय अधिकारी डाल रहे हैं। इसी तनाव में उमेश कच्छप ने जान दे दी। तब सीआइडी और फोरेंसिक टीम ने पुलिस अफसरों को प्रारंभिक जांच में दोषी पाया था, लेकिन जब आदिवासी हितों की रक्षा का दावा कर करने वाली सरकार बनी तो सरकार ने आदिवासी अफसर की मौत की फाइल बंद कर दी। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिवक्ता ने जांच बंद करने की सलाह दे कर, इस सरकार में क्राइम पार्टनर बन चुके एक अफसर को सीआइडी की जांच में बचाने का प्रयास किया। उमेश कच्छप की बिटिया विनीता आज अपने पिता की मौत का इंसाफ मांग रही है। उच्च न्यायालय से सीबीआइ जांच कराने का गुहार लगा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी आप आदिवासी इंस्पेक्टर की मौत की जांच सीबीआई से क्यों नहीं कराते? मृत आदिवासी दारोगा की बच्ची की सीबीआइ जांच की फरियाद आप क्यों नहीं सुन रहे? काहे और किस गुनहगार को बचाने के लिए अपना पिता खो चुकी इस आदिवासी बच्ची को न्यायालय का चक्कर लगवा रहे हैं? कहा कि हिम्मत करिये, आदिवासी हित में कलम उठाइये और उमेश कच्छप मौत के कारणों की जांच के लिए यह मामला सीबीआइ के हवाले करिये।