-गम और गुस्से के बीच किया गया अंतिम संस्कार
-बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेता हुए शामिल
-माकपा ने तीन दिन तक शोक मनाने का किया एलान
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। माकपा नेता सुभाष मुंडा को गुरुवार को गम और गुस्से के बीच ‘लाल सलाम’ के नारे के साथ अंतिम विदाई दी गयी। उनके सम्मान में अगले तीन दिनों तक पूरे राज्य के माकपा कार्यालयों में लाल झंडा झुका रहेगा। माकपा की राज्य कमिटी के सदस्य सुभाष मुंडा के पार्थिव शरीर को सुबह सात बजे पार्टी के मेन रोड स्थित राज्य कार्यालय ले जाया गया, जहां राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, जिला सचिव सुखनाथ लोहरा, आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा, दलित शोषण मुक्ति मंच के शिव बालक पासवान, किसान सभा के सुफल महतो, वीरेंद्र कुमार, भाकपा के अजय सिंह, माले के मनोज भक्त, सीटू के अनिर्वाण बोस, एक्टू के शुभेंदु सेन, साझा मंच के अमल आजाद, एडवा की वीणा लिंडा, पार्टी के पूर्व केंद्रीय कमिटी सदस्य गोपीकांत बख्शी सहित पार्टी के सदस्यों ने सुभाष मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

निवास स्थान से सुभाष मुंडा की शवयात्रा निकाली गयी
पार्टी कार्यालय से सुभाष मुंडा के पार्थिव शरीर को दलादली चौक ले जाया गया। वहां हजारों की संख्या में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान महिलाओं की आंखें नम थीं। वहीं युवा स्तब्ध थे। करीब 12 बजे सुभाष मुंडा के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान ले जाया गया। इसके बाद दोपहर दो बजे सुभाष मुंडा की शवयात्रा निकाली गयी। शवयात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए। इसके बाद सुभाष मुंडा का अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, भाकपा (माले) के विधायक विनोद सिंह, हटिया के विधायक नवीन जयसवाल समेत वाम दलों औरअन्य राजनीतिक पार्टियों के कई नेता सुभाष मुंडा को श्रद्धांजलि देने के लिए उपस्थित रहे।

कौन थे सुभाष मुंडा
सुभाष मुंडा के दादाजी सुकरा मुंडा भारतीय सेना में थे। युद्ध के दौरान उन्होंने अपने पैर खोये थे। वह भी माकपा के सदस्य रह चुके हैं। सुकरा मुंडा के बाद उनके बेटे ललित मुंडा ने और उसके बाद सुभाष मुंडा ने माकपा का दामन थामा। वर्ष 2019 में माकपा से उन्होंने चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें 13 हजार वोट मिले थे। उन्होंने मांडर उप चुनाव भी लड़ा था। वह तेज-तर्रार युवा नेता थे। सुभाष मुंडा पिछले 12-13 वर्षों से माकपा के साथ जुड़े हुए थे। मजदूरों, दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए उन्होंने अपनी आवाज को बुलंद की थी।

हत्या के बाद गरमायी राजनीति
इस बीच माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या के बाद सियासत तेज हो गयी है। माकपा ने इस घटना को झारखंड के लिए दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है, तो दूसरी तरफ भाजपा ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। माकपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बृंदा करात ने कहा कि आदिवासियों की हत्या होना पूरे राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

तेज-तर्रार अधिकारियों को तैनात किया जाये : बाबूलाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हत्याकांड को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री एक ओर विधि-व्यवस्था को लेकर बैठक करते हैं, पुलिस अधिकारियों को चेतावनी देते हैं। दूसरी ओर राजधानी रांची में माकपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सुभाष मुंडा की सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी जाती है। सरेआम की गयी यह राजधानी रांची और पूरे झारखंड की विधि-व्यवस्था की असलियत है। जब तक घूसखोर पुलिस अधिकारियों को हटा कर तेज-तर्रार अधिकारियों की तैनाती नहीं की जायेगी, तब तक विधि-व्यवस्था नहीं सुधरेगी। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकारियों का ध्यान अवैध खनन पर है। अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के गलत और पूर्वाग्रहपूर्ण हुक्म की तामील करते हैं। ऐसे में विधि-व्यवस्था कैसे सुधरेगी। उन्होंने आशंका जाहिर करते कहा कि जिस प्रकार से घटना को अंजाम दिया गया है, वह कोई पेशेवर अपराधी ही कर सकता है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन को उन पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने कहा कि दुखद स्थिति यह भी है कि सरकारी नौकरी, बिजनेस या किसी फील्ड में आगे बढ़ रहे जनजाति समाज के लोग अपराधियों के निशाने पर आ रहे हैं। यह गंभीर विषय है। काफी निराशाजनक तस्वीर है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

48 घंटे में अपराधियों को पकड़ने का दिया अल्टीमेटम
मरांडी ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री का दंभ भरने वाले हेमंत सोरेन की सरकार में राज्य का आदिवासी असुरक्षित है। आये दिन राज्य के होनहार आदिवासी युवक युवतियों की हत्या हो रही है। इस सरकार की शुरूआत ही आदिवासियों की हत्या से हुई है। आये दिन आदिवासी बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म हो रहा है, उनकी हत्या हो रही है। जिस शातिराना अंदाज में सुभाष मुंडा की हत्या की गयी है, उसकी जांच तत्काल शुरू की जाये। पुलिस को तुरंत एक्शन में आकर अपराधी को पकड़ना चाहिए। उन्होंने घटना में संलिप्त अपराधियों को 48 घंटे के भीतर पकड़ने का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस स्व सुभाष मुंडा मोबाइल कॉल डिटेल अपराधियों तक पहुंचने में सहायक हो सकता है। इसलिए पुलिस को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में स्व सुभाष मुंडा से पहले होनहार दारोगा रूपा तिर्की, संध्या टोपनो, उमेश कच्छप जैसे आदिवासी युवक-युवतियों की हत्या हो चुकी है। मरांडी ने कहा कि दुर्दांत अपराधी जेल से ही अपने गुर्गों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। इसलिए ऐसे जेल में बंद अपराधियों को भी राज्य सरकार बाहर भेजे।

इंटू-चिंटू के इशारे पर हो रही ट्रांसफर-पोस्टिंग
सोशल मीडिया के जरिये भी बाबूलाल मरांडी ने सुभाष मुंडा की हत्या को लेकर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि रांची महानगर में आये दिन आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे की खबरें आती हैं। आदिवासी उत्पीड़न के सैकड़ों मामले आते रहते हैं। कल भी एक आदिवासी नेता की हत्या कर दी गयी। पूरे रांची महानगर में थाना प्रभारी बनाने के लिए सीएम को एक भी आदिवासी पुलिस आॅफिसर नहीं मिला। या फिर आदिवासी पुलिस आॅफिसर आपके सीएम हाउस कमांड पेड ट्रांसफर पोस्टिंग सिस्टम के शिकार हैं।
बाबूलाल के मुताबिक जब राजधानी रांची की पुलिस व्यवस्था और सिपाही, दारोगा से लेकर ऊपर तक की ट्रांसफर-पोस्टिंग का धंधा इंटू-चिंटू जैसे अयोग्य और अज्ञानी लोगों के डायरेक्शन पर चलेगा, उग्रवादियों की तरह सत्ताधारी लोग असामाजिक तत्वों, अपराधियों से लेवी-चंदा लेंगे, तो अपराध आखिर कैसे रुकेगा?

परिजनों को ढाढ़स बंधाया
इससे पहले बाबूलाल मरांडी मारे गये माकपा नेता के आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दिवंगत नेता के परिजनों से मिल कर उन्हें ढाढ़स बंधाया।

अक्षमता के कारण राज्य में अराजकता : रघुवर दास
भाजपा के उपाध्यक्ष रघुवर दास ने भी ट्वीट कर हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, राजधानी रांची में एक बार फिर अपराधियों ने सरकार को खुली चुनौती दी है। इनकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि आॅफिस में घुस कर आदिवासी नेता को गोलियों से भून दिया। हेमंत सरकार की अक्षमता के कारण आज राज्य में अराजकता की स्थिति बन गयी है। मुख्यमंत्री जी को राज्य की नहीं, केवल राजनीति की चिंता है। अपने प्रतिद्वंद्वियों को झूठे केस में कैसे फंसाया जाये, राजनीतिक लाभ के लिए लोगों से क्या-क्या झूठ बोला जाये, पैसे की वसूली कैसे हो, इन्हीं चीजों में यह सरकार लिप्त है, तो अपराधी बेलगाम क्यों नहीं होंगे।

हाइकोर्ट के रिटायर जज से करायी जाये जांच : राजेंद्र प्रसाद
मूलवासी सदान मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने सुभाष मुंडा हत्याकांड की कड़ी भर्त्सना की है। उन्होंने जल्द से जल्द हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। साथ ही सरकार से इस हत्याकांड की जांच हाइकोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायधीश से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए अच्छी सोच रखनेवाले समाजसेवियों की साजिश के तहत हत्या कर दी जा रही है। व्यवसाय से जुड़े लोगों का भी यही हाल है। पुलिस को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार को खुली छूट देनी चाहिए।

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