बेगूसराय। राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि आजादी के बाद से ही सत्तारूढ़ दल के खिलाफ विपक्ष प्रदर्शन करता रहा है। यह उसका संवैधानिक अधिकार है। प्रदर्शन को रोकने और दमन करने में अंतर है। भाजपा द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने की जगह दबंग तरीके से दमन किया गया।
शनिवार को बेगूसराय में भाजपा द्वारा आयोजित धरना के बाद प्रेसवार्ता में राकेश सिन्हा ने कहा कि पटना की यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा है। सरकार की विफलता और संवेदनहीनता को लेकर राज्य के कोने-कोने से आए भाजपा कार्यकर्ता संवैधानिक अधिकार के तहत जनपक्षीय मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से नारा लगाते हुए विधानसभा की ओर जा रहे थे। लेकिन बर्बरता पूर्ण तरीके से लाठी चलाई गई।
पुलिस आतंक फैलाने वाले राजद के गुंडे की तरह काम कर रही थी। इस बर्बरता पूर्ण तरीके से हुए हमले में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता विजय कुमार सिंह की हत्या हो गई। राज्य पोषित हत्या का औचित्य बताया जा रहा है। सरकार संवैधानिक और नैतिक दायित्व का अपमान कर रही है। संविधान की प्रस्तावना की बात करने वाले कथित बुद्धिजीवी सड़क पर की गई इस हत्या पर चुप क्यों है। यह सवाल सिर्फ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव नहीं, लिफ्ट लिबरल बुद्धिजीवियों से है।
उन्होंने कहा कि विजय कुमार सिंह का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। जैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को बचाने के लिए बलिदान दिया था। उसी प्रकार विजय कुमार सिंह ने बिहार को जंगलराज से बचाने के लिए बलिदान दिया है। इसमें ललन सिंह जो बोल रहे हैं, ऐसा व्यवहार किसी राजनेता को नहीं करना चाहिए। भाजपा के कार्यकर्ता ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था। लेकिन वहां मीडिया कर्मियों को भगाकर आतंक मचाया गया।
राज्य निर्देशित और राज्य पोषित यह घटना शर्मनाक है। नीतीश और लालू का शासन लोकशाही नहीं, फासीवाद शासन के रूप में बिहार में विद्यमान है। पटना जिला प्रशासन अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने की जगह राजद-जदयू के शाखा के रूप में काम कर रही है। राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस ने हमारे प्रमुख कार्यकर्ता की हत्या कर दी। इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पटना पुलिस की है।
पटना पुलिस पर हत्या का मुकदमा दायर किया जाना चाहिए। आंसू गैस और पानी की बौछार से पीछे हटने वाले कार्यकर्ताओं को खदेड़-खदेड़ कर मारा गया। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने जो किया था, आज वही काम नीतीश-लालू की सरकार कर रही है। कोई पुलिस सामने आकर सबूत दिखा दे कि उसके आंख में मिर्ची का पाउडर डाला गया।
भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे लोगों को ऐसा आरोप लगाना शोभा नहीं देता है। तेजस्वी यादव के पास तो सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार ही नहीं है। इन लोगों से सरकार नहीं चल रही है, शासन नहीं चल रहा है तो पूरी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि लोकतंत्र की जननी में सभी तरह के लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या हो रही है। इन लोगों ने इतिहास को दागदार कर दिया है।
विधायक कुंदन कुमार ने कहा कि पटना में घटित घटना भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय में शामिल होने वाली है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने संयम के साथ काम लिया है, अन्यथा पटना की सड़कों पर बड़ी तबाही का रूप देखने को मिलता। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के पहले ही पटना के एसएसपी ने कह दिया कि बगैर मार खाए ही विजय कुमार सिंह मर गए ।जब की कल आई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि इंटरनल ब्लडिंग के कारण मौत हुई है।