-न्यायालय के फैसले पर टिकी निगाहें, अधिवक्ताओं की दलील है कि सर्वे से स्पष्ट हो जाएगा ज्ञानवापी की सच्चाई

वाराणसी। ज्ञानवापी मां श्रृंगार गौरी के मूल वाद में सील वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले भाग का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से रडार तकनीक से सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत आदेश सुना सकती है। इसके पहले अदालत ने 14 जुलाई को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

हिन्दू पक्ष की चार महिलाएं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक ने 16 मई को जिला जज की अदालत में अर्जी देकर अपील की थी कि सील वुजूखाना को छोड़ शेष सभी हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। न्यायालय में महिलाओं के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पूर्व में हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पेश की। उनका कहना था कि सर्वे में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। अधिवक्ताओं की दलील है कि एएसआई सर्वे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है। सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। साथ ही पूरे सर्वे प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी हो। अधिवक्ताओं ने अपने दलील में कई सुबूत व तथ्य भी अदालत में रखे हैं। अदालत ने 22 मई, 12 व 14 जुलाई को भी सुनवाई की। पिछली सुनवाई पर आदेश के लिए 21 जुलाई की तिथि नियत की थी। इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे कराने के आवेदन का विरोध किया है।

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