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    Home»अन्य खबर»इतिहास के पन्नों में 19 जुलाईः कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे…सुन याद आ जाते हैं नीरज
    अन्य खबर

    इतिहास के पन्नों में 19 जुलाईः कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे…सुन याद आ जाते हैं नीरज

    shivam kumarBy shivam kumarJuly 18, 2024No Comments6 Mins Read
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    देश-दुनिया के इतिहास में 19 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख उत्तर प्रदेश के इटावा में 04 जनवरी, 1925 को जन्मे प्रख्यात मंचीय कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज के अवसान के रूप में दर्ज है। 2018 में 19 जुलाई को अनंत की यात्रा पर चले गए। नीरज का बचपन अभावों में गुजरा।

    शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया। उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की। लंबी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहां से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्की की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पांच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएं देकर 1949 में इंटरमीडिएट, 1951 में बीए और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एमए किया। मेरठ कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। वे अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक रहे।

    कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता की वजह से नीरज को फिल्म नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमंत्रण मिला। पहली ही फिल्म में उनके लिखे कुछ गीत जैसे कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जाएगा बेहद लोकप्रिय हुए। इसके बाद नीरज मुंबई में बस गए। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। किंतु मुंबई की जिंदगी से भी उनका मन बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर अलीगढ़ वापस लौट आए। नीरज ने दिल्ली के एम्स में 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे अंतिम सांस ली।

    उनका यह शेर आज भी मुशायरों में सुनाया जाता है-इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, लगेंगी आपको सदियां हमें भुलाने में। न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में। नीरज के रचना संसार का फलक इतना बड़ा है कि अपने चाहने वालों के दिलों में वे आजीवन जिंदा रहेंगे। उन्होंने अपने गीत ‘मेरा नाम लिया जाएगा’ में लिखा है-आंसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा, जहां प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा, मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का, मैं तो आशिक रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का, लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस गलती के कारण,सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा…। उनका यादगार गीत है-‘कारवां गुजर गया’-स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग के बबूल से, और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे!, नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई, पांव जब तलक उठे कि जिन्दगी फिसल गई, पात-पात झर गये कि शाख-शाख जल गई, चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई, गीत अश्क बन गए, छंद हो दफन गए, साथ के सभी दिऐ धुआं-धुआं पहन गये, और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके, उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे, कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे…।

    नीरज लिखे जो खत तुझे…, ये भाई जरा देख के चलो…, मेघा छाए आधी रात… जैसे सदाबहार नगमों के वो रचयिता है। नीरज जब मंच से अपनी कविताएं सुनाते थे तो उनकी नशीली कविताएं और लरजती आवाज श्रोताओं को अपना दीवाना बना देती थी। अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़ कर सारे शहर में बरसात हुई… सुनकर तो श्रोता सावन की तरह झूमते रहे हैं। फिल्म संसार में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए नीरज को 1970 के दशक में लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।

    केंद्र सरकार ने गोपाल दास नीरज को 1991 में पद्म श्री अलंकृत किया। 1994 में उन्हें यश भारती से नवाजा गया। 2007 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान प्रदान किया गया। उनकी प्रमुख कृतियों में संघर्ष, अंतर्ध्वनि, विभावरी, प्राणगीत, दर्द दिया है, बादर बरस गयो, दो गीत, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, आसावरी, नदी किनारे, लहर पुकारे, कारवां गुजर गया, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिए और नीरज की गीतिकाएं हैं।

     

    महत्वपूर्ण घटनाचक्र

    1848 : न्यूयॉर्क के सिनिका फॉल्स में पहले महिला अधिकार सम्मेलन का आयोजन।

    1870 : फ्रांस ने पर्शिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    1900 : फ्रांस की राजधानी पेरिस में पहली मेट्रो रेल चली। इससे पहले दुनिया की पहली मेट्रो सेवा लंदन में शुरू हो चुकी थी।

    1940 : एडोल्फ हिटलर ने ब्रिटेन को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

    1969 : अपोलो द्वितीय के अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग और एडविन एल्ड्रीन ने यान से बाहर निकलकर चंद्रमा की कक्षा में चहलकदमी की।

    1969 : भारत सरकार ने देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।

    1974 : क्रांतिकारी उधम सिंह की अस्थियों को लंदन से नई दिल्ली लाया गया।

    1995ः रूस एवं उससे अलग हुए गणराज्य चेचेन्या के बीच रूसी महासंघ में ही ‘समप्रभु गणराज्य’ का दर्जा देने संबंधी समझौता।

    2001ः नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने अपने पद से इस्तीफा दिया।

    2001ः ताश, लिपस्टिक, नाखून पालिश और शतरंज सहित 30 वस्तुओं का आयात अफगानिस्तान में प्रतिबंधित।

    2003ः रूस के यूरी माले थान्को अंतरिक्ष में शादी रचाने वाले पहले व्यक्ति बने।

    2004ः तीन बार टाले जाने के बाद दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार उपग्रह को लेकर एरियन-5 फ़्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केंद्र से रवाना।

    2006ः लेबनान में इजराइली हमले में तीन भारतीय सहित 55 लोग मारे गए।

    2007ः इराक में एक अमेरिकी सैनिक मैरिन कॉरपोरल ट्रेंट थॉमस को 11 विकलांग बच्चों की हत्या का दोषी करार दिया गया।

    2008ः अमेरिका ने प्रशांत महासागर में लक्ष्य निर्धारित कर लम्बी दूरी तक मार कर सकने में सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया।

    2021: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में यात्री बस की ट्रक से टक्कर में 31 लोगों की मौत।

    2021: इंग्लैंड में लॉकडाउन, मास्क लगाने की अनिवार्यता और कोविड संबंधी पाबंदियों को एक साल बाद हटाया गया।

     

    जन्म

    1827: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे।

    1900ः छत्तीसगढ़ निर्माण आंदोलन के नेता खूबचंद बघेल।

    1909ः मलयालम भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री नालापत बालमणि अम्मा।

    1925ः भारत के पूर्व विदेशमंत्री दिनेश सिंह।

    1938ः भारतीय भौतिकी वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्लीकर।

    1948ः भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर।

     

    निधन

    1963ः संविधान सभा की सदस्य एनी मसकैरिनी।

    1988ः महावीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैन्य अधिकारी राजीव संधू।

    2018ः प्रख्यात कवि और गीतकार गोपालदास नीरज।

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    shivam kumar

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