विशेष
झारखंड भाजपा में उत्साह भर गये अमित शाह
-सात घंटे की रांची यात्रा से कर गये ‘मिशन झारखंड’ का आगाज
-भाजपाइयों को सत्ता में लौटने का मंत्र दे गये भाजपा के चुनावी चाणक्य

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं में से एक अमित शाह का रांची दौरा संपन्न हो गया है। उनका यह दौरा न केवल झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के भाजपा के संकल्प का एलान साबित हुआ, बल्कि इससे लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से हताश पार्टी कार्यकर्ताओं में नये उत्साह का संचार भी हुआ। वैसे तो लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा को झारखंड में तैनात कर अपने इरादों को जाहिर कर दिया था, लेकिन अमित शाह के दौरे ने झारखंड की सत्ता को फिर से हासिल करने के भाजपा के संकल्प को और मजबूत कर दिया है। शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा ने पिछले एक महीने में जिस तरह झारखंड में भाजपा के चुनाव अभियान को मजबूती प्रदान की है, उसमें अमित शाह का दौरान एक टॉनिक का काम कर गया है। भाजपा के चुनाव चाणक्य कहे जानेवाले अमित शाह ने अपने भाषण में जिस तरह झारखंड में सत्तारूढ़ इंडी गठबंधन की सरकार के खिलाफ निशाना साधा, उससे यह भी साफ हो गया कि अगले तीन महीने के दौरान होनेवाले विधानसभा चुनाव में भाजपा किन मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी। इतना ही नहीं, अमित शाह ने जिन मुद्दों को उठाया है, उन पर सत्तारूढ़ गठबंधन रक्षात्मक मुद्रा में रहेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। लोकसभा चुनाव में राज्य की 81 में से 52 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल करने को बड़ी उपलब्धि बता कर अमित शाह ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हताशा को न केवल दूर किया, बल्कि उन्हें नये जोश के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए भी तैयार कर दिया। क्या हैं अमित शाह की इस यात्रा के मायने और भाजपा का अब क्या रुख होगा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

अगले तीन महीने में होनेवाले झारखंड विधानसभा चुनाव की राजनीतिक तैयारियां अब आधिकारिक रूप से शुरू हो गयी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चुनावी चाणक्य अमित शाह ने 20 जुलाई को रांची की सात घंटे की यात्रा के साथ ही पार्टी के ‘मिशन झारखंड’ का आगाज कर दिया। उनकी इस यात्रा ने न केवल झारखंड भाजपा में नये उत्साह का संचार किया है, बल्कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी द्वारा उठाये जानेवाले मुद्दों को भी तय कर दिया।

अमित शाह के इस दौरे ने झारखंड भाजपा को ठीक वैसे ही जगा दिया है, जैसे 1983 के विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में जिंबाब्वे के खिलाफ मैच में भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान कपिलदेव ने एक गेंद को भारतीय ड्रेसिंग रूम में पहुंचा कर हताश हो चुके भारतीय खिलाड़ियों को जगा दिया था। उस पारी में कपिलदेव ने रिकॉर्डतोड़ नाबाद 175 रन की पारी खेल कर भारत को प्रतियोगिता में वापस ला दिया था। बाद में वह प्रतियोगिता इतिहास बन गयी थी, क्योंकि भारतीय टीम ने चैंपियनशिप जीत ली थी।
ठीक इसी तरह भाजपा के शीर्ष नेताओं में से एक अमित शाह ने 20 जुलाई को पहले रांची के प्रभात तारा मैदान में और फिर प्रदेश भाजपा के हरमू स्थित कार्यालय में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कह दिया कि उन्हें निराश या हताश होने की जरूरत नहीं है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में राज्य की 81 में से 52 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है और यह बड़ी कामयाबी है। पार्टी का यह प्रदर्शन साबित करता है कि झारखंड के लोग भाजपा से दूर नहीं गये हैं, बल्कि सत्तारूढ़ इंडी गठबंधन से तंग आ चुके हैं।

कई मुद्दों को छुआ अमित शाह ने
झारखंड के 25 हजार से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए अमित शाह ने कई मुद्दों को रेखांकित किया। उन्होंने लोकसभा चुनाव परिणाम का विश्लेषण करते हुए कहा कि देश के लोकतांत्रिक इतिहास में 60 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। वर्ष 2014, 2019 और 2024 में नरेंद्र मोदी को लगातार तीन बार पीएम बने। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के बाद एक अजीब चीज देखने को मिली। साधारण तौर पर देखा जाता है कि विजय के बाद किसी व्यक्ति में अहंकार आता है, लेकिन पहली बार देखा गया कि व्यक्ति में पराजय के बाद भी अहंकार आता है। संसद में राहुल गांधी के व्यवहार को देख कर ऐसा लगा कि वह दो-तिहाई बहुमत हासिल कर यहां पहुंचे हैं, जबकि सच्चाई है कि पूरे इंडी अलायंस को मिला कर उतनी सीटें नहीं आ सकीं, जितनी कि अकेले भाजपा को मिलीं। पिछले तीन लोकसभा चुनाव के दौरान भी यदि कांग्रेस की सीटों को जोड़ लिया जाये, तो भाजपा ने 2024 के चुनाव में उससे अधिक सीटें हासिल की।

आत्मविश्वास से लबरेज दिखे अमित शाह
अपनी रांची यात्रा में अमित शाह हमेशा की तरह आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उन्होंने कहा कि वह दीवार पर लिखा हुआ पढ़ सकते हैं और पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि वर्ष 2024 में एक बार फिर झारखंड में भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और अर्जुन मुंडा ने कुछ भी ऐसा नहीं किया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं को सिर झुकाना पड़े।

लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को सराहा
अमित शाह ने साफ किया कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में पार्टी का प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा। पार्टी ने राज्य की 14 संसदीय सीटों में से नौ पर जीत हासिल की, लेकिन इसके साथ ही पार्टी ने 81 विधानसभा सीटों में से 52 पर बढ़त हासिल कर साबित कर दिया कि राज्य में पार्टी का जनाधार कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ा है। उनकी इसी बात से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नये उत्साह का संचार हुआ है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से पार्टी के भीतर जो माहौल था, वह अमित शाह की यात्रा के बाद पूरी तरह बदल गया है।

विधानसभा चुनाव के मुद्दे भी तय कर गये शाह
अमित शाह ने रांची में अपने दो कार्यक्रमों में विधानसभा चुनाव के मुद्दे भी तय कर दिये। इनमें राज्य की इंडी गठबंधन की सरकार की पांच साल की तमाम विफलताओं और भ्रष्टाचार के साथ आदिवासियों के लिए मोदी सरकार द्वारा किये गये कामों को गिनाना शामिल है। अमित शाह ने जिस तरह भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दों पर राज्य की गठबंधन सरकार को घेरा, उससे एक बात साफ हो गयी कि झारखंड भाजपा अब विधानसभा चुनाव तक पूरी तरह आक्रामक मोड में रहेगी। इसके अलावा अमित शाह ने झारखंड के विकास के लिए भाजपा के संकल्प को दोहरा कर मतदाताओं के उस वर्ग को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है, जो पिछले कुछ वर्षों में भाजपा से दूर जा रहा था।

कुल मिला कर अमित शाह की रांची यात्रा झारखंड भाजपा के लिए टॉनिक का काम कर गयी है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया था और उसने अपने दो कद्दावर नेताओं, शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा को झारखंड में तैनात कर अपना रुख साफ कर दिया था। इन दोनों नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ मिल कर पिछले एक महीने में जिस तरह पार्टी की चुनावी तैयारियों को नया रूप दिया है, उसमें अमित शाह का दौरा बेहद लाभदायक साबित होगा।

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