कोडरमा। जिले के बांझेडीह में थर्मल पावर प्लांट शुरू हुए कई साल हो गए लेकिन विस्थापित परिवारों के साथ ही इलाके को मूलभूत सुविधा नहीं मिल पायी है। नियमों की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से अपशिष्ट और गंदे पानी को आम लोगों की रैयती कृषि युक्त भूमि को बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। भाजपा नेता और प्रदेश किसान मोर्चा के कोषाध्यक्ष सुरेंद्र मोदी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है और लोगों की सुविधा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है।

मोदी ने रविवार को कोडरमा स्थित होटल सेलेब्रेशन में पत्रकार वार्ता में कहा कि केटीपीएस के प्रदूषण के कारण आसपास के 15 किलोमीटर परिधि के क्षेत्र के लोग प्रभावित हैं और आठ पंचायत (करियावां, हिरोडीह, कन्द्रहपड़ी, तमाम, बिरसोडीह, कांको, पिपराडीह व चंदवारा पूर्वी) के लगभग 40 गांवों के लोग प्रभावित हैं, जिनकी जमीन भी प्लांट निर्माण में गई है। उन्हें प्रभावित क्षेत्र की सूची में केटीपीएस द्वारा शामिल भी किया गया है, जहां प्रदूषण घर की छतों सड़कों और जमीन पर देखने को मिलेगी। इसे रोकने के लिए इन क्षेत्रों में हर तरफ सघन पौधरोपण करवाया जाना था, जिसे मात्र 5-6 गांव में जहां-तहां करवाकर इतिश्री कर दिया गया है।

मोदी ने कहा कि केटीपीएस प्लांट के चारों ओर आवागमन के लिए सड़कों का बहुत ही बुरा हाल है। ढुलाई का काम आम रास्ते से ही कराया जाता है। बार-बार खुली व बड़ी गाड़ियों के आवाजाही के कारण सड़क टूट गई है और सड़कों पर छाई उड़ता रहता है। छाई के कारण यहां के लोगों को अस्थमा, दमा, फेफड़ा जनित रोग व आंखों की बीमारियो का प्रकोप बढ़ गया है। केटीपीएस स्थापना के समय 2006-07 में तात्कालिक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 15 किलोमीटर की परिधि में आने वाले लोगों को केटीपीएस के प्रभावित क्षेत्र की श्रेणी में माने जाने की बात कही थी तथा उनके लिए बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत चीजे मुफ्त में मुहैया कराने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक कोई अमल नहीं हुआ है।

मोदी ने आरोप लगाया कि केटीपीएस में श्रमिकों की बहाली बड़े पैमाने पर हुई है, जिसमें 40 प्रतिशत स्थानीय लोगों का होना था लेकिन स्थानीयता को प्राथमिकता दिए बगैर बहुतायत में बाहरी लोगों से पैसा और पैरवी के बल पर बहाली की गई है। कोरोना काल के बाद से सीएसआर फंड का स्थानीय उपायुक्त द्वारा उनकी मर्जी से किए जाने के कारण अब यह एक नियम बन गया है। सारा फंड का खर्च उपायुक्त कोडरमा के निर्देश पर उनके इच्छानुसार आज भी होता है। पूर्व में इसके लिए एक समिति बनाई गई थी, जिसके सदस्य स्थानीय पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रखंड प्रमुख, विधायक व सांसद सहित स्थानीय उपायुक्त व प्रोजेक्ट मैनेजर हुआ करते थे। अब इस समिति को समाप्त कर दिया गया है।

मोदी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में केटीपीएस द्वारा किसी भी प्रकार का कोई कदम आज तक नहीं उठाया गया है। केटीपीएस परिसर के अंदर अस्पताल का निर्माण भी किया गया है लेकिन चिकित्सकों तथा चिकित्सा कर्मियों के अभाव में बंद पड़ा है। एस पौंड से रिसाव होने वाला पानी के कारण सैकड़ों एकड़ रैयति भूमि में खेती नहीं हो पाता है तथा एक नई किस्म की बड़ी-बड़ी घास जमीन में उग आई है और उपजाऊ जमीन बंजर हो गई है। उन्होंने पत्र में कहा है कि यहां से उत्पादित बिजली का आवंटन यहां के स्थानीय, विस्थापित, प्रभावित क्षेत्र के लोगों को केटीपीएस द्वारा निःशुल्क करवाने की आवश्यकता है। भाजपा नेता ने स्थानीय लोगों की पीड़ा को समझते हुए जनहित में केटीपीएस द्वारा बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत चीजों को मुहैया करवाने की मांग की है।

इस दौरान भाजपा नेता सकलदेव सिंह, चन्दन कुमार, शशिकांत प्रसाद, संतोष साव और रामकुमार मौजूद थे।

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