रांची। झारखंड के मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से सरकार परेशान है। मनरेगा कर्मियों की हड़ताल पर रहने की वजह से इस योजना का सारा कामकाज प्रभावित हो गया है। गरीब मजदूरों को रोजगार देने वाली इस योजना पर ब्रेक लग गया है। बिरसा हरित ग्राम, पशु शेड योजना, कूप निर्माण, मिट्टी खुदाई सहित सारे कामकाज प्रभावित हैं। मजदूरों का पेमेंट भी फंस गया है। सेवा नियमितीकरण, मानदेय बढ़ोतरी सहित अन्य सुविधाओं को देने की मांग को लेकर कर्मी अनिश्चितकालिन हड़ताल पर चले गये। हड़ताल पर जाने के बाद विभाग ने नो वर्क नो पे लागू किया है और सभी जिलों को वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है।

अब फिर से ग्रामीण विकास विभाग ने सभी उपायुक्त सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और सभी उपविकास आयुक्त को पत्र लिखा है और हड़ताल का हुए असर की जानकारी मांगी है। सभी जिलों के अधिकारियों से प्रतिवेदन मांगा है और पूछा है कि जिलों में मनरेगा कर्मियों की वर्तमान में क्या स्ट्रेंथ हैं। विभाग ने एक फॉरमेट दिया है, जिसमें प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी सहायक अभियंता के समकक्ष, तकनीकी सहायक, कनीय अभियंता, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक और ग्राम रोजगार सेवक की जानकारी मांगी है कि आखिर इनमें से कितने वर्तमान में कार्यरत हैं और कर्मी हड़ताल में शामिल हैं। विभाग ने कृत कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट मांगी है।

पांच हजार से अधिक कर्मी हड़ताल पर
झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ के आह्वान पर राज्यभर के पांच हजार से अधिक मनरेगा कर्मी हड़ताल पर हैं। अध्यक्ष जॉन बागे के नेतृत्व में राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन भी चल रहा है। इससे पहले मनरेगा कर्मियों ने रैली, झामुमो कार्यालय का घेराव भी किया हैं। हालांकि, विभागीय मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने हड़ताल खत्म करने की अपील भी की है।

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