कानपुर। मानसून बारिश के साथ इन दिनों मेघ गर्जन और आकाशीय बिजली गिरने की भी घटनाएं सामने आ रही है। यहां तक कि पिछले चार दिन में 43 लोगों की मौत उत्तर प्रदेश में बज्रपात से हुई है। यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है और आकाशीय बिजली गिरने में बढ़ोत्तरी हो रही है।

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने सोमवार को बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गरज के साथ बारिश वाले बादलों का बनना बढ़ रहा है। भारत सहित हर जगह गरज के साथ बारिश की घटनाओं के बढ़ने के दस्तावेज तैयार किए गए हैं, लेकिन बदकिस्मती से हमारे पास बिजली चमकने की घटनाओं में बढ़ोतरी को पुख्ता करने के लिए लंबे वक्त का आंकड़ा नहीं है। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि पिछले चार दिन में 43 लोगों की मौत बज्रपात से हुई। उन्होंने कहा कि फिर भी हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गरज के साथ बारिश बढ़ जाती है और बिजली अधिक गिरती है।

उन्होंने बताया कि दुनियाभर में ग्रीनहाउस गैसों के कारण बारिश की मात्रा घटने का खतरा मंडरा रहा है। ये जैव विविधता के लिए भी खतरे की घंटी है। शोधकर्ताओं का दावा है कि गैसों के प्रभाव से पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। तापमान एक डिग्री बढ़ने से बिजली गिरने की घटनाओं में 12 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है।

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