कोलकाता। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के बाद भारतीय छात्रों और अन्य लोगों के स्वदेश लौटने का सिलसिला जारी है। मेडिकल की छात्रा अर्चना के साथ पुराने सहपाठी एवं भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अर्क बसु कोलकाता पहुंचे। अर्क बसु भारत की एक प्रमुख कंपनी के बांग्लादेश में प्रतिनिधि हैं और ग़ुलशन के एक फ्लैट में रहते हैं और लगभग हर महीने कोलकाता आते हैं।

अर्क बसु ने बांग्लादेश से वापसी के अपने यात्रा अनुभवों के बारे में बताया, “मेरा ड्राइवर ग़ुलशन क्षेत्र में ही रहता है लेकिन अशांति के कारण उसने आने से मना कर दिया। मेरे अनुरोध पर वह आया, लेकिन उसने कार निकालने का जोखिम नहीं उठाया। वे अपने ड्राइवर के साथ ऑटो से हवाई अड्डे तक पहुंचे। ऑटो चालक ने अधिक पैसे लिए। पुलिस, आरएबी और सेना के वाहन हर जगह कुछ दूरी पर दिखे। सब कुछ बंद था और माहौल थम गया था। कई यात्रियों ने हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस किराए पर ली थी।

अर्क ने बताया कि हवाई अड्डे पर इतनी भीड़ थी कि पांव रखने की जगह नहीं थी। बाद में मुझे पता चला कि कोलकाता की फ्लाइट रद्द हो गई हैं। हालांकि बाद में फ्लाइट के आने की खबर मिली, जिससे मुझे राहत मिली। उन्होंने इंडिगो के कर्मचारियों की प्रशंसा की जिन्होंने हाथ से बोर्डिंग पास जारी किए। दरअसल माइक्रोसॉफ्ट सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से उस दिन फ्लाइट ऑपरेशन बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए थे। उन्होंने बताया कि आरक्षण विरोधी आंदोलन से बांग्लादेश को बहुत क्षति हुई है जिसकी भरपाई अंसभव है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आरक्षण का मुद्दा नया नहीं है। यह मामला अदालत में है, लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक बयान ने आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा था कि अगर मुक्ति योद्धाओं के पोते-पोतियों को काम नहीं मिलेगा तो क्या राजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?” इस बयान के बाद विरोध-प्रदर्शन बढ़ गया और विपक्षी दल भी इसमें शामिल हो गए। अर्क के अनुसार शेख हसीना अब बहुत दबाव में हैं। उनकी स्थिति बहुत नाजुक हो गई है। वह कह रही हैं कि अदालत जो कहेगी, वही मानेंगी। आरक्षण को 20 प्रतिशत और मेरिट को 80 प्रतिशत रखने की बात कही जा रही है लेकिन बांग्लादेश की समग्र छवि और क्षति की भरपाई संभव नहीं है।

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