विशेष
-बिहार-आंध्रप्रदेश के अलावा पूर्वी भारत पर भी मेहरबान हुई मोदी सरकार
-युवाओं और किसानों के साथ आम लोगों की उम्मीदों को भी मिली उड़ान
-विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में अहम कदम है बजट

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट कई मायनों में खास रहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश इस बजट में हाल के वर्षों में पहली बार झारखंड को कई तोहफे मिले, तो बिहार और आंध्रप्रदेश समेत पूर्वी भारत के समन्वित विकास का ब्लूप्रिंट भी देखने को मिला। बिहार और आंध्रप्रदेश को जिस विशेष पैकेज की उम्मीद थी, वह तो मिला ही, साथ ही बजट में देश के युवाओं और किसानों के हितों के लिए फोकस रखा गया। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बजट भारत की आजादी के शताब्दी वर्ष यानी 2047 को ध्यान में रख कर बनाया गया है, ऐसा लगता है कि इसमें पिछले 10 साल की आर्थिक नीतियों से अलग हटने में गुरेज नहीं किया गया है। इसलिए इस बजट को मजबूत भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में उठाया गया कदम कहना बिल्कुल जायज होगा। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जानेवाले मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा के लिए भी बजट में बहुत कुछ है, जिससे साबित होता है कि मोदी 3.0 सरकार अपने मूल मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास’ पर मजबूती से कदम बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है। देश के औद्योगिक विकास को गति देने के साथ लघु और मध्यम उद्योग को कई तरह की छूट देकर बजट में नया प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही बेरोजगारी और महंगाई पर नियंत्रण के उपायों को रेखांकित कर केंद्र सरकार ने इन मुद्दों को अपनी प्राथमिकता सूची में रखा है। मोदी 3.0 सरकार के पहले बजट में झारखंड को क्या मिला और क्या है इस बजट की दूसरी खासियत, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लगातार सातवीं बार आम बजट पेश किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत में ही कह दिया कि हमारा ध्यान गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता पर है। यानी वे चार जातियां, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते आये हैं। बजट 2024-25 में इन चार जातियों के लिए खूब सारे प्रावधान हैं। नौकरियों की भी खूब बात की गयी है। उद्योगों और स्टार्ट-अप के लिए बड़ी घोषणाएं की गयी हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि एक आम भारतीय की जिंदगी को यह बजट किस तरह प्रभावित करने वाला है।

बजट में झारखंड को क्या मिला
सबसे पहले बात झारखंड की, जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां भाजपा दोबारा सत्ता हासिल करना चाहती है। इसलिए निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में झारखंड को कई तोहफे दिये। वित्त मंत्री बताया कि केंद्र सरकार झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और आंध्रप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए ‘पूर्वोदय’ योजना तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोदय के तहत पूर्वी राज्यों में मानव संसाधन विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास के अवसरों के सृजन पर काम किया जायेगा, ताकि विकसित भारत में पूर्वी भारत के राज्य इंजन बन सकें। केंद्र सरकार पूर्वी क्षेत्र में विकास के लिए औद्योगिक गलियारे का समर्थन करेगी।

पीएम जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की होगी शुरूआत
इसके अलावा आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू किया जायेगा। यह योजना आदिवासी-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में आदिवासी परिवारों के लिए संतृप्ति कवरेज को अपनायेगी। इससे 63 हजार गांवों को कवर किया जायेगा, जिससे पांच करोड़ आदिवासी लोगों को लाभ होगा।

कई रेल परियोजनाओं को मिला विस्तार
बजट में झारखंड की पुरानी रेल परियोजनाओं के विस्तार का एलान किया गया है। इसके तहत कई किलोमीटर रेल लाइन के विस्तार की योजना है। इसके तहत एक हजार करोड़ रुपये से गोइलकेरा-मनोहरपुर तीसरी लाइन का 40 किलोमीटर विस्तार किया जायेगा। ढाई सौ करोड़ रुपये से बंडामुंडा-रांची रेल लाइन का 58 किलोमीटर का विस्तार किया जायेगा। 950 करोड़ रुपये में रांची-लोहरदगा-टोरी का 113 किलोमीटर विस्तार किया जायेगा। साथ ही मुरी-बरकाकाना की 58 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण किया जायेगा। राजखरसावां-सीनी तीसरी लाइन के विस्तार की भी योजना है। इसके अलावा और भी कई परियोजनाओं को विस्तार मिला है।

महंगाई बढ़ने की कोई संभावना नहीं
अब बात महंगाई की, जिससे आम आदमी सीधे प्रभावित होता है। इस बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे महंगाई दर बढ़ने या घटने का दावा किया जा सकता है। इस समय खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जरूर बढ़ी हुई है, लेकिन सामान्य मानसून के आसार दिख रहे हैं। इससे आनेवाले समय में सरकार को खाद्य महंगाई दर को सीमित रखने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कह रही है कि महंगाई दर लंबे समय तक उच्च स्तर पर कायम नहीं रहेगी। इसमें गिरावट आयेगी।

सस्ता और महंगा होनेवाले सामान
सरकार ने अप्रत्यक्ष कर दरों में कुछ बदलाव किये हैं, जिससे कैंसर की तीन दवाएं, एक्सरे ट्यूब, फ्लैट पैनल डिटेक्टर सस्ते होंगे। इसी तरह मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी घटी है तो वे सस्ते होंगे। सोना और चांदी भी कस्टम ड्यूटी छह प्रतिशत घटने से सस्ते होंगे। प्लेटिनम भी सस्ता होगा। सोलर सेल और सोलर पैनल के निर्माण को सस्ता बनाया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरू की गयी है। छतों पर सोलर पैनल लगाने से एक करोड़ परिवारों को हर महीने तीन सौ यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी।

आयकर के स्लैब में बदलाव से राहत
देश में सर्वाधिक टैक्स देनेवाले वेतनभोगी वर्ग के लिए बजट में वैसे तो कोई खास राहत नहीं है, लेकिन यदि कोई करदाता नयी स्कीम के तहत रिटर्न फाइल कर रहा है, तो उसको 17 हजार पांच सौ रुपये तक बचत हो सकती है। सरकार ने जो भी बदलाव किये हैं, वे नयी स्कीम में किये हैं। वेतनभोगियों में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 से बढ़ा कर 75 हजार किया गया है। इसी तरह स्लैब में भी बदलाव किया गया है। तीन लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। तीन से सात लाख रुपये तक पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा। सात से 10 लाख रुपये तक 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 10 से 12 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 12 से 15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इन बदलावों से अधिकतम 17 हजार पांच सौ रुपये तक की बचत होगी। इसका मतलब है कि पुरानी टैक्स स्कीम के तहत जो लोग रिटर्न फाइल कर रहे हैं, उनकी बचत पर कोई खास अंतर नहीं पड़ेगा। न तो होम लोन पर चुकाने वाले ब्याज पर कोई राहत दी गयी है और न ही 80 (सी) के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख रुपये की सीमा को बढ़ाया गया है। सीधी बात है कि सरकार चाहती है कि पुरानी स्कीम के बजाय लोग नयी स्कीम को अपनायें। पिछले साल सरकार ने नयी स्कीम को डिफॉल्ट स्कीम बना दिया था, यानी कोई यदि नयी या पुरानी में से कोई स्कीम नहीं चुनता है, तो वह खुद-ब-खुद नयी स्कीम का करदाता हो जायेगा। सरकार ने अब नयी और पुरानी व्यवस्था में टैक्स करीब-करीब बराबरी पर ला दिया है।
आयकर के बारे में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 8.58 करोड़ रिटर्न फाइल होते हैं। इसमें से सिर्फ दो करोड़ ही टैक्स देते हैं। फाइल होने वाले 86 प्रतिशत रिटर्न में आमदनी 10 लाख रुपये से कम की है। इसका मतलब है कि 14 प्रतिशत लोग ही 10 लाख रुपये से अधिक की आय वाले हैं।

सरकार खर्च को प्रोत्साहित करने के पक्ष में
बजट से एक बात साफ है कि सरकार चाहती है कि लोग पैसा बचाने की बजाय खर्च करने के विकल्प को चुनें। आयकर की नयी स्कीम इसी मंत्र को आगे बढ़ाती है। आयकर में बचत के लिए जो राहत प्रदान की जाती है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। यदि लोग अपनी बचत को शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो वह भी आकर्षक नहीं रह गया है। सरकार ने लघु अवधि पूंजीगत आय और दीर्घ अवधि पूंजीगत आय के नियमों में बड़े बदलाव किएयेहैं। इसके अलावा हर लेन-देन पर लगने वाला एसटीटी भी बढ़ाया गया है।

रोजगार के अवसर सृजित होंगे
बजट प्रावधानों से संकेत मिलता है कि सरकारी नौकरियां तो नहीं, लेकिन निजी नौकरियों में इजाफा होगा। वह भी विनिर्माण क्षेत्र में। सरकार का पूरा फोकस विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के उद्यमियों को मदद करनेवाला दिख रहा है। एक करोड़ युवाओं को पांच साल में टॉप-500 कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका देने की बात बजट में की गयी है। इसके तहत युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपये का भत्ता दिया जायेगा। कंपनियों को सीएसआर के तहत 10 प्रतिशत राशि का भार उठाना पड़ेगा। राज्य सरकारों और उद्योगों के साथ मिल कर कौशल और सहयोग के लिए पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य है। एक हजार आइटीआइ को हब एंड स्पोक सिस्टम में अपग्रेड करने की बात भी बजट में है।

बजट का सबसे गेमचेंजर प्रावधान
बजट की सबसे पहली खासियत एक लाख रुपये तक के वेतन वाले सभी नये कर्मचारियों से जुड़ी है। अधिकतम 15 हजार रुपये एक महीने के वेतन के तौर पर डीबीटी के तहत ट्रांसफर किये जायेंगे। इपीएफओ में पंजीकृत नये लोगों को यह मदद मिलेगी। खास बात यह है कि यह राशि उन्हें ही मिलेगी, जिनका वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह से कम होगा। इस योजना से 2.10 करोड़ युवाओं को फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है। नयी भर्ती करने पर कंपनियों को इपीएफओ योगदान में दो साल तक हर महीने तीन हजार रुपये तक की प्रतिपूर्ति भी मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि 50 लाख नयी नौकरियां आयेंगी। महिलाओं की वर्क फोर्स में भागीदारी बढ़ाने के लिए हॉस्टल बनाने पर भी काम होगा। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों में डोरमेटरी की तर्ज पर किराये पर रहने के लिए आवासीय योजना पर भी पीपीपी मॉडल के तहत काम होगा।

सच होगा घर खरीदने का सपना
बजट प्रावधानों के अनुसार स्टांप ड्यूटी कम होगी, तो घर की लागत कम होगी। सरकार महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने को प्रोत्साहित कर रही है। महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में छूट देने का आग्रह वित्त मंत्री ने राज्य सरकारों से किया है। यदि राज्य सरकार केंद्र के आग्रह को मान लेती है, तो संपत्ति खरीदने की लागत कम होगी। इससे यह एक अच्छा निवेश विकल्प बनेगा।
कुल मिला कर यह बजट मजबूत भारत की वह तस्वीर पेश करता है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार किया है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए देश को तैयार करने की दिशा में यह बजट निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण कदम है।

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