विशेष
-अपराध नियंत्रण के साथ जनता का भरोसा हासिल करना सबसे जरूरी
-पुलिस विभाग का ‘चाचा चौधरी’ कहा जाता है अनुराग गुप्ता को, क्योंकि उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज दौड़ता है

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड के नये डीजीपी के रूप में अनुराग गुप्ता ने पदभार संभाल लिया है। हेमंत सोरेन सरकार ने अजय कुमार सिंह के स्थान पर उन्हें पुलिस महकमे का मुखिया नियुक्त किया है। झारखंड की सवा तीन करोड़ आबादी को नये डीजीपी से बहुत उम्मीदें हैं। इसलिए उनके सामने इन उम्मीदों पर खरा उतरने की बड़ी चुनौती है। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होना है। इस चुनाव को निरापद ढंग से निपटाना उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। अपराध नियंत्रण के साथ आम लोगों का भरोसा हासिल करना झारखंड पुलिस के लिए बड़ा टास्क है और अनुराग गुप्ता को इस पर खरा उतरना होगा। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध और नक्सल समस्या पर नियंत्रण के लिए नये डीजीपी को नये उत्साह के साथ काम करना होगा। झारखंड पुलिस के मानवीय चेहरे को बरकरार रखने के लिए भी उन्हें ठोस रणनीति के तहत काम करने की जरूरत होगी। जमीन और कोयले के कारोबार में लिप्त पुलिसकर्मियों पर नकेल कसना भी उनके लिए बड़ा टास्क हो सकता है। नये डीजीपी के साथ सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह है कि वह झारखंड पुलिस से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वह यहां की समस्याओं से वह अच्छी तरह परिचित हैं। अनुराग गुप्ता बेहद सुलझे हुए अधिकारी माने जाते हैं। उन्हें पुलिस का ‘चाचा चौधरी’ भी कहा जाता है, क्योंकि उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज दौड़ता है। उन्होंने कई बड़े मामलों को केवल अपनी काबिलियत और अलग कार्यशैली के कारण सुलझाया है। कौन हैं झारखंड के नये डीजीपी, क्या हैं उनके सामने व्याप्त चुनौतियां और क्या है उनकी कार्यशैली, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

26 जुलाई, 2024 को जब झारखंड के नये डीजीपी के रूप में 1990 बैच के आइपीएस अनुराग गुप्ता की नियुक्ति की अधिसूचना जारी हुई, तो इस पर बहुत कम लोगों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि वह राज्य के वरिष्ठतम आइपीएस होने के अलावा इस पद के सर्वथा योग्य हैं। करीब डेढ़ साल पहले फरवरी, 2023 में जब अजय कुमार सिंह को डीजीपी नियुक्त किया गया था, तब अनुराग गुप्ता को अपराध अनुसंधान विभाग के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का डीजीपी बनाया गया था। इन दोनों अधिकारियों ने बेहतरीन तालमेल और आपसी समझदारी के साथ राज्य पुलिस का नेतृत्व किया। अब अनुराग गुप्ता ने डीजीपी का पदभार संभाल लिया है और इसके साथ ही उनके सामने चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त भी आ गयी है। अपराध अनुसंधान विभाग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजीपी के रूप में उन्होंने पिछले एक साल के दौरान जो शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं, उनसे तो झारखंड की सवा तीन करोड़ की आबादी को यह भरोसा हो गया है कि वह पुलिस महकमे का चेहरा बदलने में कामयाब होंगे। इसके साथ ही एक कड़क अधिकारी होने के कारण भी लोगों की उम्मीदें उनसे काफी बड़ी हैं।

1990 बैच के आइपीएस हैं अनुराग गुप्ता
अनुराग गुप्ता 1990 बैच के आइपीएस हैं। उन्होंने झारखंड पुलिस में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। वह गढ़वा और हजारीबाग में एसपी रह चुके हैं और रांची के एसएसपी के पद पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह बोकारो रेंज के डीआइजी के पद पर लंबे समय तक काम कर चुके हैं। अनुराग गुप्ता के काम करने की शैली पूरी तरह अलग है। वह एक रणनीति के तहत काम करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके पास एक ऐसा खुफिया तंत्र है, जिसे उन्होंने खुद तैयार किया है। अनुराग गुप्ता को बेहद कड़क अधिकारी माना जाता है। वह अपनी विलक्षण स्मरण शक्ति और चुटकियों में किसी मामले को सुलझाने के लिए चर्चित हैं। इसलिए उन्हें पुलिस महकमे का ‘चाचा चौधरी’ कहा जाता है, क्योंकि उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज दौड़ता है। साइबर अपराध और भ्रष्टाचार के कई मामले उन्होंने सुलझाये हैं। अनुराग गुप्ता ने साइबर अपराध के खिलाफ झारखंड में पहली बार कदम उठाये। इसके कारण कई साइबर अपराधी गिरफ्तार किये गये और अब झारखंड के थानों में साइबर अपराध से संबंधित मामले दर्ज होने लगे हैं। कुछ वर्ष पहले तक तो थाने में साइबर अपराध से संबंधित मामले दर्ज ही नहीं किये जाते थे।

नये डीजीपी ने गिनायी प्राथमिकताएं
नये डीजीपी अनुराग गुप्ता ने अपनी प्राथमिकताएं गिना दी हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से चार बिंदुओं पर फोकस किया जायेगा। इनमें नशीले पदार्थ, साइबर, हिंसक अपराध और महिलाओं की सुरक्षा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की आपराधिक घटना होने पर पुलिस की प्रतिक्रिया त्वरित होनी चाहिए। पुलिस को आम लोगों के प्रति संवेदनशील बनाने पर जोर दिया जायेगा। सबसे जरूरी है कि थाना में लोगों की बात को अच्छे तरीके से सुना जाये। उन्होंने पुलिस सिस्टम को मजबूत करने के लिए ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत के साथ प्रतिनियुक्ति पर विशेष सावधानी बरतने और पारदर्शिता के साथ ट्रांसफर-पोस्टिंग करने को जरूरी बताया।

क्या हैं नये डीजीपी के सामने चुनौतियां
अनुराग गुप्ता की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब विधानसभा चुनाव सिर पर है। ऐसे में उनके सामने यह चुनाव निरापद ढंग से संपन्न कराना सबसे बड़ा चैलेंज है। इसके साथ ही पुलिस के साथ आम जनता के रिश्तों में सुधार करना भी उनके लिए चुनौती है। वास्तव में झारखंड पुलिस को इस वक्त आम लोगों का विश्वास हासिल करने की सबसे अधिक जरूरत है। हाल के दिनों में राज्य में अपराध की स्थिति चिंताजनक हो गयी है। नये डीजीपी को पुलिस के खुफिया तंत्र को मजबूत करने के साथ पुलिस की मारक क्षमता को बढ़ाने की तरफ ध्यान देना होगा। राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध के साथ सामान्य अपराध भी बढ़े हैं, जिन पर लगाम लगाना और अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाने का चैलेंज नये डीजीपी के सामने है। इसके साथ झारखंड पुलिस के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि बड़ी संख्या में इसके अधिकारी जमीन और कोयले के अवैध कारोबार में लिप्त हैं। बार-बार चेतावनी दिये जाने के बावजूद ऐसे पुलिस अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे। इससे अपराध पर अंकुश लगाना अक्सर मुश्किल हो जाता है। नये डीजीपी को पुलिस महकमे की इस अंदरूनी बीमारी को दूर करने के लिए बहुत परिश्रम करना होगा। उन्होंने अपने पहले साक्षात्कार में पुलिसकर्मियों को जनता के साथ शालीन व्यवहार करने की बात कही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसका सकारात्मक असर होगा। नये डीजीपी झारखंड पुलिस का मानवीय चेहरे को और चमकायेंंगे, यह उम्मीद तो लगायी ही जा सकती है।

नये डीजीपी को झारखंड की समस्याओं की बेहतर समझ है। वह राज्य के विभिन्न इलाकों से अच्छी तरह परिचित भी हैं। अपने 34 साल के लंबे करियर में उन्होंने जिस सुलझे तरीके से चुनौतियों का सामना किया है, उससे यह उम्मीद बंधी है कि वह डीजीपी के रूप में कामयाबी की नयी ऊंचाइयां हासिल करेंगे। उनकी छवि एक सुलझे हुए पुलिस अधिकारी की है, जो अपने काम के रास्ते में आनेवाली किसी भी रुकावट से सीधे टकराने में नहीं हिचकते। एसीबी के डीजीपी के रूप में उन्होंने बेहद कुशलता से भ्रष्टाचार पर प्रहार किया है। झारखंड को अपराध मुक्त बना कर उसकी ख्याति एक निरापद और सुरक्षित प्रदेश के रूप में दुनिया भर में फैलाना नये डीजीपी के सामने बड़ा चैलेंज है। उनके पास इन चुनौतियों से पार पाने के लिए अभी लंबा वक्त है। इसलिए यह उम्मीद बंधती है कि नये डीजीपी झारखंड पुलिस के उस चमकीले चेहरे को दुनिया के सामने लाने में सफल होंगे। इसके लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करना जरूरी होगा, जिसका व्यापक अनुभव नये डीजीपी को है। पुलिसकर्मियों का आम जनता के साथ शालीन व्यवहार हो, यह नये डीजीपी की प्राथमिकता में शामिल है। इसलिए खुफिया सूचनाएं अब पुलिस को मिलेंगी, इसकी उम्मीद भी जगी है। कुल मिला कर नये डीजीपी के सामने चुनौतियों का अंबार है और वह इससे पीछे हटने वाले अधिकारी नहीं हैं। झारखंड पुलिस को नया कलेवर और नया तेवर देने से वह कतई पीछे नहीं हटेंगे।

 

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