“नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से अरविंद पनगढ़िया के इस्तीफे को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुद्धिमानी करार दिया है। उन्होंने कहा कि पनगढ़िया ने गलत साबित होने से पहले बुद्धिमानी पूर्वक इस्तीफा दे दिया है।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कहा कि उनका इस्तीफा एक ‘बुद्धिमान निर्णय’ रहा क्योंकि साल 2017-18 में ग्रोथ Q 4 में 8 फीसदी तक पहुंचने का उनका अनुमान गलत साबित होने से पहले उन्होंने यह निर्णय ले लिया।
गौरतलब है कि जाने-माने भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने मंगलवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि वह अकादमिक क्षेत्र में वापस लौटेंगे। देश के प्रमुख नीति निर्माता थिंक टैंक से पनगढ़िया के इस्तीफे का शायद ही किसी को अनुमान रहा हो।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पनगढ़िया 31 अगस्त तक ही नीति आयोग में अपनी सेवाएं देंगे। अपने फैसले की जानकारी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे दी है।
तौर अर्थशास्त्री पनगढ़िया वर्ल्ड बैंक, एडीबी और आईएमएफ जैसी संस्थाओं में उच्च पदों पर रह चुके हैं। साल 2012 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था। वे विकास के गुजरात मॉडल और मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों के समर्थक रहे हैं। 2014 के आम चुनाव से पहले पनगढ़िया ने गुजरात मॉडल के बारे में काफी लिखा भी था। उन्हें उदारवादी आर्थिक नीतियों का पैरोकार माना जाता है। इसलिए नीति आयोग से उनके इस्तीफे से केंद्र सरकार के आर्थिक एजेंडे को झटका लग सकता है।