गुरुवार रात के दो बज रहे थे। इंसेफेलाइटिस वार्ड के कर्मचारियों ने प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील अहमद को सूचना दी कि अगले एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस सूचना के बाद ही डॉक्टर की नींद उड़ गई। वह अपने कार से मित्र डॉक्टर के अस्पताल गए और वहां से ऑक्सीजन का तीन जंबो सिलेंडर लेकर शुक्रवार के तीन बजे सीधे बीआरडी पहुंचे। तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट ऑक्सीजन सप्लाई हो सकी।
सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म होने पर एक बार फिर वार्ड में हालात बेकाबू होने लगे। मरीज तड़प रहे थे, तीमारदार व्याकुल होने लगे, वार्ड में तैनात डॉक्टर और कर्मचारी परेशान होने लगे। उधर, ऑक्सीजन सिलेंडर की खेप आने में करीब दो घंटे देर थी। ऐसे में डॉ. कफील ही हर मोर्चे पर जूझते रहे। वार्ड में घूम-घूम कर बेहद ऐसे मरीजों का इलाज किया जिनके दिल की धड़कन मंद हो रही थी। साथ में जूनियर डॉक्टरों को एम्बु बैग चलाने को निर्देशित भी किया।
ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाने के लिए जूझते रहे डॉक्टर
डॉक्टर कफील को यह समझते देर न लगी ऑक्सीजन सिलेंडर मिले बगैर उनका यह प्रयास सफल न होगा। उन्होंने जिले में आधा दर्जन ऑक्सीजन सप्लायरों से फोन पर बात की। मयूर गैसेज ऑक्सीजन सिलेंडरों को नकद भुगतान मिलने पर रिफिल करने को तैयार हो गया। डॉ. कफील तुरंत एक कर्मचारी को एटीएम कार्ड देकर रुपये निकालने को भेजा। फैजाबाद से आए इम्पीरियल गैसेज कंपनी के ट्रक चालक को डीजल और दूसरे खर्च की रकम जेब से देकर खलीलाबाद भेजा।
अधिकारियों से मांगी मदद
मयूर गैसेज संचालक जब सिलेंडरों को रिफिल करने से मुकरने लगे तब एक बार फिर डॉ. कफील सामने आए। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी प्रशासन के आला अधिकारियों को देकर मदद की गुहार लगाई। हालांकि तब तक काफी देर हो गई थी।
नाम को सार्थक कर गए डॉ. कफील
कफील का मतलब मददगार होता है। शुक्रवार को डॉ. कफील ने अपने नाम के अर्थ को सार्थक कर दिया।