रांची: झारखंड की राजनीति में पिछले लगभग एक साल से सीएनटी और एसपीटी एक्ट को लेकर चल रहे विवाद को गुरुवार को लगभग सुलझा लिया गया। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई टीएसी की बैठक में सीएनटी एक्ट की धारा 49 (1) में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया। विकास कार्यों के लिए अब सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का सहारा लेगी। इसके तहत सरकार इस कानून में स्टेट एमेंडमेंट बिल लायेगी। कारण भूमि अधिग्रहण को लेकर गुजरात, यूपी और चंडीगढ़ में राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किया है। सीएनटी की धारा-49 में विकास कार्यों के लिए यथा-स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र, अस्पताल एवं अन्य के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर संशोधन का प्रस्ताव था। टीएसी की बैठक में धारा-49 (1) में संशोधन नहीं करने के फैसले के बाद राज्य के महाधिवक्ता अजीत कुमार ने रास्ता सुझाया कि विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में राज्य सरकार को संशोधन का अधिकार है। भूमि अधिग्रहण का मामला संविधान की समवर्ती सूची में आता है। सीएनटी की धारा 71 (क) को सदस्यों ने सराहा और कहा कि यह प्रस्ताव आदिवासी हित में है। टीएसी की बैठक में जिन-जिन प्रस्तावों पर सहमति बनी और सदस्य एक राय पर पहुंचे, उसे कल कैबिनेट की होनेवाली बैठक में रखा जायेगा और मुहर लगेगी।
सीएम ने बनायी लुइस के नेतृत्व में कमेटी
बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिया कि सीएनटी एक्ट में संशोधन कर जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने और एसपीटी एक्ट में गैर जनजातीय लोगों द्वारा गैर जनजातीय लोगों से जमीन खरीदने की अनुमति दी जाये। इस सुझाव पर मुख्यमंत्री ने लुइस मरांडी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया, जेबी तुबिद, मेनका सरदार,रामकुमार पाहन सदस्य होंगे। कमेटी जनता से राय लेगी।
सदस्यों के सुझाव पर राज्य सरकार ने दिखायी गंभीरता
टीएसी की बैठक में सदस्यों ने कहा कि क्या सीएनटी की धारा 49(1) के सरलीकरण के प्रस्ताव के बदले भूमि सुधार अधिनियम 2013 में सुधार कर राज्य सरकार विकास के कार्य में तेजी ला सकती है। इस पर मुख्यमंत्री ने महाधिवक्ता अजीत कुमार से परामर्श देने को कहा। महाधिवक्ता ने यह परामर्श दिया कि भूमि सुधार विषय संविधान की समवर्ती सूची में होने के कारण राज्य सरकार इस पर अलग से कानून बना सकती है। इस पर राष्ट्रपति का अनुमोदन विहित प्रक्रिया के अंतर्गत प्राप्त करना होगा। कई अन्य राज्यों ने भी इस विषय पर अपना अधिनियम बनाया है। तय हुआ कि इसमें संशोधन कर राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिए भेजा जायेगा, ताकि जनजातीय समाज को भू-अधिग्रहण का मुआवजा कम से कम समय में मिल सके और विकास का कार्य भी तेजी से हो सके।
3 घंटे मैराथन बैठक के बाद आया फैसला
सीएनटी मामले पर सरकार की संजीदगी टीएसी की बैठक में देखने को मिली। एक-एक सदस्य से मुख्यमंत्री ने राय ली। संशोधन का प्रस्ताव टाला। विकल्प पर भी मंथन किया। विकास कार्यों के लिए धारा 49(1) में संशोधन के बगैर भूमि अधिग्रहण का जब रास्ता नहीं सुझा, तो महाधिवक्ता को बुलाया गया। इस बीच बैठक एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी। महाधिवक्ता की उपस्थिति में दोबारा बैठक दो बजे से शुरू हुई। इसमें महाधिवक्ता ने इसके विकल्प के रूप में भूमि अधिग्रहण बिल को सुझाया।
संशोधन को खारिज करे सरकार: सुखदेव
टीएसी की बैठक में विपक्ष से उपस्थित एकमात्र विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि सीएनटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को सरकार पूर्णत: खारिज करे। उन्होंने कहा कि जब सरकार एसपीटी में कोई संशोधन नहीं कर रही है, तो सीएनटी में संशोधन का औचित्य ही क्या है। बिना संशोधन के जब संथाल में विकास हो सकता है, तो छोटानागपुर में भी बिना संशोधन के विकास संभव है।