रांची: विधानसभा में झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 पर शनिवार को मुहर लगने के बाद अब किसी को लालच देकर या डरा-धमका कर उसका धर्म परिवर्तन करना मुश्किल होगा। यदि किसी ने ऐसा करने की हिमाकत की, तो उसके लिए झारखंड सरकार ने बेहद सख्त कानून बना दिया है। छह-सात राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानून का अध्ययन करने के बाद बनाये गये झारखंड सरकार के कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करानेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। जुर्माना और जेल का भी प्रावधान है।
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य में कतिपय स्थानों पर जबरदस्ती, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीके से आमजनों का एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण कराया जा रहा है। असामाजिक और स्वार्थी तत्वों द्वारा गांव के गरीब, अनपढ़ एवं समाज के पिछड़े व्यक्तियों को लक्षित कर जबरन, धोखे अथवा प्रलोभन से धर्मांतरण किये जाने से समाज में अनावश्यक तनाव की स्थिति पैदा हो रही है। अत: आम आदमी को अपने-अपने धर्म का पालन अपनी इच्छानुसार करने में पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के लिए एवं सामाज में विधि-व्यवस्था, लोक शांति कायम करने के उद्देश्य से जबरन, प्रलोभन, कपटपूर्ण तरीके द्वारा धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए इस विधेयक को पारित कराया गया है।
*बलपूर्वक, लालच देकर अथवा कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन कराने पर 3 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना
*महिला, एसटी, एससी, और नाबालिग के मामले में चार साल की सजा, एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों संभव।
*धर्म परिवर्तन के लिए अब डीसी से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
*बिना पूर्व अनुमति के किया गया धर्मांतरण अब अवैध माना जायेगा। धर्मांतरण के लिए होनेवाले संस्कार या समारोह के आयोजन की भी सूचना देकर जिला उपायुक्तों से पहले अनुमति लेनी होगी।
*कानून बन जाने के बाद गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराना संज्ञेय अपराध माना जायेगा और यह गैर जमानतीय है।
*धर्मांतरण निषेध अधिनियम के अधीन के अपराध के लिए कोई भी अभियोजन डीसी या उनकी अनुमति से एसडीओ या प्राधिकृत अधिकारी ही देंगे।
*स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रशासन को अनिवार्य रूप से शपथ पत्र देकर इसकी सूचना डीसी को देनी होगी।
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य में कतिपय स्थानों पर जबरदस्ती, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीके से आमजनों का एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण कराया जा रहा है। असामाजिक और स्वार्थी तत्वों द्वारा गांव के गरीब, अनपढ़ एवं समाज के पिछड़े व्यक्तियों को लक्षित कर जबरन, धोखे अथवा प्रलोभन से धर्मांतरण किये जाने से समाज में अनावश्यक तनाव की स्थिति पैदा हो रही है। अत: आम आदमी को अपने-अपने धर्म का पालन अपनी इच्छानुसार करने में पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के लिए एवं सामाज में विधि-व्यवस्था, लोक शांति कायम करने के उद्देश्य से जबरन, प्रलोभन, कपटपूर्ण तरीके द्वारा धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए इस विधेयक को पारित कराया गया है। -रघुवर दास, मुख्यमंत्री