गोड्डा। गोड्डा के एक कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में आधी रात को नक्सलियों का दस्ता पहुंचा। नाइट गार्ड को बंधक बनाया और घंटों तांडव मचाया। जबरन छात्राओं को उठा कर ले जाने का प्रयास भी नक्सलियों ने किया। बावजूद इसके पुलिस को कानों कान खबर नहीं पहुंची। जब विद्यालय की वार्डन ने संबंधित थाने में इसकी लिखित शिकायत की, तो थानेदार ने विद्यालय की सुरक्षा में पुलिस जवान लगाकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इस खबर की जानकारी आलाधिकारियों को भी देने की जहमत थानेदार ने नहीं उठायी। जब आइजी सुमन गुप्ता से इस बारे में पूछा गया, तो उन्हें भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह जिला पुलिस का मामला है, अगर ऐसा कुछ हुआ है, तो पुलिस और शिक्षा विभाग बैठ कर इस पर मनन करे। यह खबर पुलिस-प्रशासन के लिए अच्छी नहीं है। नक्सली दस्ते में कस्तूरबा की लड़कियों को शामिल करने की योजना बना रहे हैं। जब नक्सली कस्तूरबा स्कूल में पहुंचे, तो उससे घबरा कर कुछ छात्राएं स्कूल छोड़ कर भाग गयीं। प्रबंधन ने खोजबीन की, तो पता चला कि छात्राएं भाग कर घर चली गयी हैं। नक्सलियों की धमक से अभिभावक भी घबराये हुए हैं।

शहर से बाहर कस्तूरबा विद्यालय सुरक्षित नहीं

अमूमन शहर से बाहर ही कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय को संचालित किया जा रहा है। प्राय: विद्यालय सुनसान जगहों पर हैं। जिस कस्तूरबा में यह तांडव नक्सलियों ने बरपाया, उसके आसपास जंगल के सिवाय और कुछ भी नहीं। सुरक्षा के नाम पर इस विद्यालयों में एक मात्र रात्रि प्रहरी को रखा गया है।

गोड्डा में पहले भी भंग हो चुकी है अस्मिता

कुछ वर्ष पहले भी गोड्डा के एक कस्तूरबा विद्यालय में लड़कियों के यौन शोषण का मामला काफी सुर्खियों में रहा था। कभी गोड्डा का शिक्षा विभाग या फिर पुलिस विभाग इनकी सुरक्षा के लिए गंभीर नहीं हुआ।

ग्रामीण महिलाओं को मोटिवेट कर रहा नक्सली दस्ता :

सुंदर पहाड़ी के इलाके में नक्सलियों का महिला दस्ता ग्रामीण युवतियों को मोटिवेट कर अपने दस्ते में शामिल कर रहा है। आज तक पुलिस इसकी टोह तक नहीं ले पायी है। अब तक दर्जन भर से अधिक महिलाओं को नक्सली दस्ता में शामिल कर उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है।

पुलिस के अभियान का कोई मतलब नही

हाल के दिनों में पुलिस सुंदरपहाड़ी के इलाकों में नक्सलियों की टोह लेने के लिए एलआरपी अभियान चला रही है। यह कोई नयी बात नहीं, अब यह रूटीन में शामिल हो चुका है। एक तरफ पुलिस जंगल मे एलआरपी करती है। दूसरी तरफ नक्सली अपना कुनबा बढ़ाने के लिए आसानी से गांवों में बैठक करते हैं।

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