रांची. राज्य के छह जिला पुनर्वास केंद्रों रांची, हजारीबाग, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद और पलामू को चुस्त- दुरुस्त किया जाएगा और उन केंद्रों में कृत्रिम अंग तैयार किया जाएगा। इनका संचालन केंद्र सरकार के सहयोग से किया जाएगा। राज्य सरकार भी आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए अपना सहयोग देगी। उन केंद्रों के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी इसके लिए पदों का सृजन भी किया जाएगा।
इतना ही नहीं इन केंद्रों में कृत्रिम अंग बनाने के साथ ही दिव्यांगों के ट्राईसाइकल की मरम्मत का भी काम किया जाएगा। कृत्रिम अंग बनाने के लिए उपकरण या फार्मा मंगाया जाएगा। पिछले माह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के संबंध में कई बिंदुओं पर गहन चर्चा की गई।
राज्य के कृत्रिम अंग बनाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी : राज्य के छह जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में कृत्रिम अंग बनाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। ट्रेनिंग के लिए विशेषज्ञ भी उपलब्ध रहेंगे। इन केंद्रों में दिव्यांगों के लिए राज्य में चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं की भी जानकारी उपलब्ध रहेगी ताकि जरूरतमंद लोग जानकारी प्राप्त कर उसका पूरा लाभ उठा सकें। इन केंद्रों में प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था देने पर भी विचार किया जा रहा है। कंप्यूटर समेत अन्य संसाधन उपलब्ध कराने के लिए ही यहां विशेषज्ञों समेत कुल 66 पद सृजित किए जाने का प्रस्ताव है। पिछले वर्ष इन केंद्रों के लिए दो करोड़ रुपए दिए गए थे, इस वित्तीय वर्ष में भी दो करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राज्य में दिव्यांग जनों के सशक्तीकरण के उद्देश्य : राज्य में दिव्यांग जनों के सशक्तीकरण के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद दिव्यांग विकास सोसायटी के गठन पर भी सहमति बन चुकी है। इसके उद्देश्य एवं कार्ययोजना पर व्यापक संलेख तैयार करने के लिए राज्य के निशक्तता आयुक्त सतीश चंद्रा और झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था के डायरेक्टर सह महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के अपर सचिव राजेश सिंह को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही नगड़ी या नामकुम में कंपोजिट रिसोर्स सेंटर प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। सीएम ने जल्द ही विक्षिप्त महिलाओं एवं पुरुषों के लिए आश्रम गृह शुरू करने का निर्देश दिया है। इसके लिए तत्काल रिनपास द्वारा उपयोग में नहीं लाए जा रहे भवन का उपयोग करने को कहा गया है। भवन के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से समन्वय स्थापित करने को कहा गया है। इसके अलावा दिव्यांगों के संरक्षण के लिए सभी जिलों में मोबाइल कोर्ट का कैलेंडर भी तैयार किया जाएगा। यह कैलेंडर स्वास्थ्य विभाग को भी भेजा जाएगा ताकि सभी केंद्रों में चिकित्सकों की उपस्थिति हो सके।